पश्चिमी लिबरल मीडिया भारत के शमशान घाटों की इमेज बड़ी ख़ुशी से शेयर कर रही हैं

कुछ तो शर्म करो!

कोरोना के मामले बढ़ने से पश्चिमी मीडिया को एक बार फिर से भारत पर हमला करने का मौका मिला है। जिस उत्साह के साथ पश्चिमी मीडिया भारत के शवगृहों की फोटो के साथ लेख प्रकाशित कर रही हैं उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि वे इसी मौके की तलाश में थीं।

दरअसल, जब से कोरोना की दूसरे लहर ने देश में उफान मारी है, तब से वैश्विक मीडिया भारत के खिलाफ समायोजित तरीके से दुष्प्रचार कर रही है। अपनी खबर को सनसनीखेज बनाने के लिए लिबरल मीडिया अपने लेखों के साथ ऐसी फोटो शेयर कर रही हैं जिससे लोगों में भारत के प्रति एक नकारात्मक छवि बने और लोग panic हो।

पश्चिमी लिबरल मीडिया चाहे वो Reuters हो या NYT या Washington Post या फिर BBC, या Forbs ही क्यों न हो,  किसी की भी वेबसाइट पर जाने से सबसे बड़ी स्टोरी भारत की ही दिखाई देती है वह भी शमसान में जलती हुई हुई चिता की तस्वीर के साथ।

उदहारण के लिए कुछ दिनों पहले एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी जो कि एक शमसान के ऊपर ड्रोन कैमरे से ली गयी थी और उस तस्वीर में कई चिता एक साथ धधक रही थीं। इसे रायटर के पुलित्जर पुरस्कार विजेता प्रमुख फोटोग्राफर, दानिश सिद्दीकी ने खींची थी और इसे ट्विटर पर शेयर किया था। इस तस्वीर के सामने आने के बाद पश्चिमी मिडिया हर एंगल से भारत के विभिन्न शमसानों की तस्वीर खींचभारत में हो रहे कोरोना से मौत को ऐसे दिखाने लगी जैसे अब भारत में सिर्फ शमशान ही बचे हों। अगर यह कहा जाये कि पश्चिमी मीडिया ने भारत में हो रही कोरोना से मौत को Pendemic Porn बना कर अपने एजेंडे के लिए बेचने में जुटी हैं तो यह गलत नहीं होगा।

https://twitter.com/dansiddiqui/status/1385272543918149635?s=20

इस तस्वीर को देखिये किस तरह एक गूगल सर्च में भारत और भारत के शमसान से जुड़ी खबर और उनके सनसनीखेज हैडलाइन से यह स्पष्ट है कि किस तरह भारत की स्थिति को लेकर तस्वीर पेश की जा रही है और जलती चिताओं का तमाशा बनाया जा रहा है।

The Guardian ने दिल्ली की एक शमसान की फोटो के साथ लेख प्रकाशित किया है और हैडलाइन है, “दिल्ली के शवगृह अस्थाई श्मशानघाट के लिए मजबूर हुए।” BBC ने भी इसी तरह की रिपोर्ट प्रकाशित की है।

इसी तरह NYT ने भी शमसान घाट की तस्वीर के साथ लिखा कि,” ‘यह एक तबाही है: भारत में हर जगह बीमारी।”

AP और New York Post ने तो फेक फोटो शेयर करते हुए भारत में हो रही मौतों को इस हैडलाइन के साथ लिखा कि, “भारत में वायरस लोगों को निगल रहा है; श्मशान शवों से डूब गए।” यह Pendemic Porn नहीं है तो क्या है?

https://twitter.com/AskAnshul/status/1386966248215351297?s=20

हाँ, भारत में कोरोना से लोगों की मृत्यु हो रही है लेकिन इस तरह भी नहीं जैसे दिखाया जा रहा है। COVID-19 के तांडव के बारे में लिखने और लोगों को भारत की स्थिति बताने के लिए यह तो आवश्यक नहीं है कि आप सिर्फ जलती हुई चिता और शमशान घाट की फोटो अपने पहले पन्ने और, अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करें। अगर बताना ही है तो थोड़ी संवेदनशीलता के साथ सत्य बतायें वो भी फैक्ट और संख्या के साथ।

परन्तु उससे पश्चिमी मीडिया को फैक्ट में वो मजा कहा आएगा जो इस तरह से भारत की छवि ख़राब करने में आ रहा है। यह गिद्ध पत्रकारिता का सबसे उत्कृष्ट उदहारण है इन लिबरल मीडिया की मदद दानिश सिद्दीकी और बरखा दत्त जैसे भारत के कुछ गिद्ध पत्रकार कर रहे हैं।

इसी गिद्ध पत्रकारिता पर ब्रह्मा चेलानी ने ट्वीट किया कि, “पत्रकारिता के मूल नियमों में से एक: दु: ख और त्रासदी पर रिपोर्टिंग करते समय संवेदनशील रहें। फिर भी पश्चिमी मीडिया के बड़े हिस्से ने भारत की covid आपदा को कवर करते हुए इस नियम की धज्जियाँ उड़ाई है।“

उन्होंने आगे लिखा, “श्मशान और अंतिम संस्कार भारत में एक बहुत ही निजी मामला है। चिता पर जलते हुए शवों का फोटो दिखाना निजता जा उल्लंघन है।“

अगर आबादी को देखते हुए मौत आंकड़ों को देखा जाये तो आज भी भारत की स्थिति अमेरिका और ब्रिटेन से अच्छी है।

भारत ने जब कोरोना के पहले चरण को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर लिया था तब उस दौरान पश्चिमी लिबरल मीडिया को मौका नहीं मिला था जिससे वो बदनाम कर सके। परन्तु उस दौरान भी जब भारत ने HCQ दवाई एक्सपोर्ट कर अन्य देशों की मदद की तो ग्लोबल मीडिया इस दवाई के पीछे हाथ धो कर पड़ी थी और और लगातार इसके विषय में नकारात्मक रिपोर्ट प्रकाशित कर रही है। अब ये लोगों की मौत का तमाशा बना कर जलते हुए चिताओं पर अपनी रोटी सेंक रहे हैं। अगर ये कहा जाये कि हिन्दुओं की जलती चिता का तमाशा बना कर ये खुश हो रहे हैं तो यह गलत नहीं होगा। इनका एक ही मकसद है कि कैसे भी करके भारत को तोड़ा जाये, वह भी तब जब कोरोना के कारण भारत बैकफुट पर है।

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