केरल में राज्य सरकार में उच्च शिक्षा और कल्याण विभाग मंत्री के टी जलील को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। उन पर लोकायुक्त द्वारा पद के दुरुपयोग द्वारा अपने रिश्तेदार को फायदा पहुंचाने के मामले में जांच चल रही थी, जिसमें चार दिन पहले उन्हें दोषी ठहराया गया था।इसके बाद जलील ने लोकायुक्त के फैसले के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसपर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
जलील ने अपने इस्तीफे के बारे में फेसबुक पोस्ट के जरिये जानकारी देते हुए बताया कि वह मीडिया ट्रायल के शिकार हुए हैं। हालांकि जलील इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं, लेकिन सच तो यह है कि उनपर यह कोई नया आरोप नहीं है। इससे पहले भी ईडी, कस्टम डिपार्टमेंट और NIA उनसे सोना तस्करी केस को लेकर पूछताछ कर चुकी है।
और पढ़ें : कभी शहरी इलाकों पर TMC का राज होता था, इस बार BJP की लहर ज़ोरदार है
यह तीसरा मौका है, जब लोकायुक्त ने केरल सरकार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है, लेकिन इस बार सीधे कैबिनेट मंत्री पर कार्रवाई करने के कारण सरकार बैकफुट पर आ गई। जलील के इस्तीफे के पहले केरल सरकार ने अंतिम समय तक प्रयास किया था कि जलील को किसी तरह से बचाया जा सके। इसीलिए लोकायुक्त की रिपोर्ट के बाद जलील पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई।
रिपोर्ट के अनुसार शुरू में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने व्यक्तिगत रूप से जलील को बचाने की कोशिश की। इसके बाद जब सीपीएम नेतृत्व ने सीएम को यह समझाया कि जलील की मंत्रिमंडल में उपस्थिति, केरल के आपकी छवि के लिए नुकसानदेह होगी, तब जाकर मुख्यमंत्री ने उस पर कार्रवाई की।
जलील के इस्तीफे के बाद सीपीएम ने इसे उच्च नैतिकता का प्रतिमान बताया है। सत्तासीन गठबंधन LDF के संयोजक और CPM के राज्य सचिव विजयराघवन ने कहा कि “जलील ने इस्तीफा देकर उच्च लोकतांत्रिक नैतिकता दिखाई है। पिछली सरकार में तो लोकायुक्त द्वारा कई प्रतिकूल निर्णय देने के बाद भी मुख्यमंत्री ओमनचांडी पद पर बने हुए थे। पूर्व मंत्री के बाबू तो तब भी पद नहीं छोड़ रहे थे, जब विजलेंस विभाग और एन्टीकरप्शन कोर्ट की जांच में उनके कई सारे दोष उजागर हो गये थे।
और पढ़ें : अब बेगम साहिबा भी दे सकेंगी मियां साहब को तलाक़, महिला विरोधी मियाओं को केरल हाईकोर्ट का झटका
वहीं विपक्षी कांग्रेस गठबंधन का कहना है कि यदि जलील में नैतिकता होती, तो वह लोकायुक्त का फैसला आते ही इस्तीफा दे देते, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि विजयन सरकार भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकिचा क्यों रही थी ? ऐसा इसलिए, क्योंकि जलील को NIA द्वारा गोल्डस्मगलिंग मामले में गवाह बनाया गया है। विजयन सरकार को भय है कि जलील कई ऐसे राज NIA के सामने खोल सकता है, जिसके कारण CPM के बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। यही कारण था कि पार्टी और मुख्यमंत्री दोनों ने अंतिम समय तक जलील को बचाने की कोशिश कर रहे थे।
गौरतलब है कि केरल राजनीतिक भ्रष्टाचार और हिंसा का गढ़ बन गया है। भाई-भतीजावाद और नौकरियों में राजनीतिक हस्तक्षेप ने केरल की स्थिति खराब कर दी है। देश का सबसे शिक्षित राज्य होने के बाद भी केरल का आर्थिक विकास वैसा नहीं हो पाया है, जैसा गुजरात, आंध्र प्रदेश आदि का है। जब तक केरल में कांग्रेस और लेफ्ट का कोई विकल्प नहीं मिलता, यही स्थिति बनी रहेगी।