पश्चिम बंगाल में विधानसभा के लिए अंतिम यानी 8वें चरण के चुनाव खत्म हुए, और हमेशा की तरह टीवी चैनलों ने अपने एग्जिट पोल्स की दुकानें खोल लीं। इस बार सबसे खास बात ये रही कि कोई भी एग्जिट पोल ये नहीं पता लगा पाया है कि असल में कौन जीत रहा है।
लगभग-लगभग सभी एग्जिट पोल्स में पश्चिम बंगाल की हालिया मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी की पुनः जीत के अनुमान लगाए जा रहे हैं, लेकिन एग्जिट पोल्स की सटीकता इस बार धराशाई हो गई हैं, क्योंकि इन सभी के अपने पूर्वाग्रह हैं, जिसमें ये खुद को जकड़े हुए हैं, और बंगाल की जनता इस बार इन सभी एग्जिट पोल्स को नकार सकती है।
दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर आए लगभग सभी एग्जिट पोल्स में साफ दिख रहा है कि ममता बनर्जी एक बार फिर बंगाल में अपना दबदबा बना सकती हैं, लेकिन दिलचस्प ये है कि कुछ एग्जिट पोल बीजेपी को भी प्रचंड बहुमत दे रहे हैं, जो इस बात का पर्याय है कि बंगाल में इस बार एग्जिट पोल्स कुछ भी सटीक पता नहीं लगा पाए हैं।
एक तरफ जहां ममता के पक्ष में जा रहे एग्जिट पोल्स टीएमसी को औसतन 150-160 सीटें दे रहें हैं, तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी की सरकार बनने का दावा करने वाले पोल्स औसतन 165-185 सीटों के आने की बात कह रहे हैं।
और पढ़ें- अमित शाह ने बंगाल का टार्गेट 200 से 200+ किया, शाह के “+” के पीछे के राज
बंगाल की राजनीति की बात करें तो पिछले दस सालों से ममता बनर्जी के शासनकाल को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद का गलत इस्तेमाल करते हुए टीएमसी के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी को नजरअंदाज किया है। इसके साथ ही राज्य में राजनीतिक हिंसा को भी भड़काया है जिसके चलते टीएमसी के प्रति जनता के मन में आक्रोश तो है, लेकिन जनता ये बताने में डर रही है, कि उसने किसे वोट दिया।
इससे इतर विधानसभा चुनाव के पहले हुए ओपिनियन पोल में भी एबीपी और सी वोटर जैसे सर्वे में यह सामने आया था कि ममता बनर्जी एक बार फिर बंगाल में सरकार बना सकती हैं, उस वक्त भी बीजेपी को 100 के करीब सीटें ही दी गई थीं लेकिन यह इस बात का संकेत जरूर था कि बीजेपी राज्य में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
इसके विपरीत जातिगत राजनीति और हिंदुत्व के एजेंडे पर चुनाव की सटीक रूप रेखा तैयार करने में बीजेपी ने बेहतरीन काम किया है। 2019 लोकसभा चुनाव में ही देखने को मिला था कि बंगाल का मतुआ, माहिष्य और राजवंशी समुदाय ममता से खफा हो चुका है, और इस नाराजगी को 2019 लोकसभा चुनाव में भुनाने के साथ ही बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में भी अपने पक्ष में लाने के लिए काम किया और इस बात को ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी कहा था कि ये सभी बीजेपी की तरफ जा सकतें हैं।
प्रशांत किशोर ने वामपंथी पत्रकारों के साथ बातचीत में यह भी कहा था कि पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता ममता बनर्जी के बराबर हो गई है। यद्यपि वो ममता से पैसे लेकर उनके लिए चुनावी रणनीति बना रहे थे, इसके बावजूद उनका पीएम मोदी को लोकप्रियता को स्वीकार करना दिखाता है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की लोकप्रियता बंगाल में काफी आगे निकल गई है, और बीजेपी की आगे निकलने की यही लहर अगर जनता के बीच हुई तो ममता के लिए बीजेपी को रोकना नामुमकिन होगा।
राजनीतिक हिंसा से लेकर बांग्लादेश में गौ तस्करी और मानव तस्करी तक के मुद्दे ममता के लिए शुरू से ही परेशानी का सबब रहे हैं। सीएए और एनआरसी के मुद्दों को उठाकर घुसपैठियों का विरोध बीजेपी के लिए फायदे क सबब बन सकता है। वहीं अम्फान तूफान से लेकर पिछले दस सालों के भ्रष्टाचार और सत्ता विरोधी लहर भी बीजेपी के हक में ही जाती हुई दिख रही हैं।
इतना ही नहीं सैकड़ों कार्यकर्ताओं का टीएमसी से नाराज़ होकर बीजेपी का रुख करना ममता के लिए आंतरिक रूप से झटका था, जिसके चलते कभी ममता ने अपनी चोट को मुद्दा बनाया, तो कभी व्हीलचेयर पर रैलियां कर जनता से सहानुभूति हासिल करने की कोशिशें की, लेकिन इन एग्जिट पोल्स की ही मानें तो 80 प्रतिशत तक ममता की कोशिशें नाकाम हुई हैं।
इन सभी मुख्य बिंदुओं के इतर बीजेपी की लहर को लेकर ये कहा जा रहा है कि वो इस बार एग्जिट पोल्स बंगाल में बीजेपी की सकारात्मक की लहर को लेकर कुछ खास मूल्यांकन नहीं कर पाए हैं। एग्जिट पोल्स के बीच बीजेपी को लेकर असमंजस की स्थिति है लेकिन सभी में एक बिंदु समान है कि बीजेपी 3 सीटों से 120 सीटों के पार जा सकती है।
कुछ इसी तरह उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान एग्जिट पोल से अंदाजा लगाया था कि बीजेपी यूपी में सबसे बड़ी पार्टी तो बनेगी लेकिन वो बहुमत से काफी पीछे रह जाएगी। उस वक्त भी सभी बीजेपी को सबसे आगे रख रहे थे, लेकिन कोई अंदाजा नहीं लगा पाया था ठीक उत्तर प्रदेश मैं बीजेपी अपने गठबंधन के छोटे दलों के साथ 325 सीटों का तीन चौथाई बहुमत लेकर आएगी।
और पढ़ें- अमित शाह अपना वादा भूले नहीं हैं- कोरोना के बाद घुसपैठिये भी निकलेंगे और CAA-NRC भी लागू होगा
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर भी स्थिति कुछ ऐसी ही है एग्जिट पोल्स 3 सीटों वाली बीजेपी को 100 से 120 सीटें देकर लहर को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन वो इस मामले में चूक जा रहे हैं की लहर कितनी विराट हो सकती है। ऐसे में पश्चिम बंगाल के मुद्दों और बीजेपी के चुनावी कैंपेन को देखते हुए कहा जा सकता है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी उत्तर प्रदेश की तरह चुनावी लहर में एक बड़ा कमाल कर सकती है, और यही वो लहर हो सकती है जिसे एग्जिट पोल्स नहीं पहचान पा रहे हैं।