देश की राजनीति में कांग्रेस के रसातल में जाने का सबसे बड़ा कारण नेतृत्व में कमी है। कांग्रेस ने नेतृत्व का जिम्मा उस शख्स को दे रखा है, जिसके दिमाग में देश को आगे बढ़ाने का कोई रोडमैप या विजन तक नहीं है। राहुल गांधी अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता को लेकर आए दिन कोई-न-कोई सबूत देते रहते हैं। उसी सबूत का एक नया प्रो वर्जन अब सामने आया है।
राहुल का कहना है कि वह ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर देना चाहते हैं, जबकि उन्हें प्रगति से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। राहुल का ये बयान तर्कहीन है। इसीलिए वह एक बार फिर हंसी का पात्र बन गए हैं। हाल ही में कांग्रेस नेता और वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने हावर्ड कैनेडी स्कूल के एम्बेसडर निकोलस बर्न्स से बातचीत में अजीबो-गरीब बयानबाजी की है।
राहुल गांधी ने कहा, मैं विकास केंद्रित नीतियों से हटकर रोजगार पर आधारित नीतियों पर जोर देता। हमें हर श्रेत्र में विकास की भी जरुरत है, लेकिन उत्पादन और रोजगार के नए अवसर पैदा करना हमारा मुख्य लक्ष्य होता।”
राहुल गांधी ने रोजगार को लेकर कहा, “यदि हम वर्तमान की बात करें तो देश के विकास के साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा होने चाहिए। नयी संभावनाएं जुड़ने के साथ-साथ उत्पादन भी बढ़ना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।”
राहुल गांधी ने अमेरिका के स्कूल के एम्बेसडर से कहा है कि अमेरिका को भारत के मामलों में खुलकर बोलना चाहिए। उन्होंने कहा, “इन सबके बीच अमेरिकी सरकार की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई है। अगर भारत और अमेरिका के बीच लोकतांत्रिक साझेदारी है, तो फिर अमेरिका भारत में घटित हो रही इन घटनाओं पर क्यों नहीं बोलता ? मेरा मतलब है कि भारत में, जो कुछ हो रहा है उस पर आप (बर्न्स) का क्या विचार है ? मैं मूल रूप से मानता हूं कि अमेरिका एक गहन विचार है। अमेरिका के संविधान में स्वतंत्रता का विचार जिस तरह से निहित है, वह एक बहुत शक्तिशाली विचार है, लेकिन आपको इस विचार की रक्षा करना चाहिए।”
राहुल हमेशा ही ये कहते रहे हैं कि मीडिया समेत भारत की सभी संस्थाओं पर सरकार का नियंत्रण हो चुका है। अब उन्होंने यही बात एक बार फिर दोहराई है और अपने हारने तक के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बना दिया है। उन्होंने कहा, “बीजेपी आर्थिक तौर पर और मजबूत हुई है। मीडिया पर उसका प्रभुत्व बढ़ा है, जिसकी वजह से विपक्षी पार्टियां चुनाव नहीं जीत पा रही हैं।” राहुल गांधी का ये बयान उनकी बचकाना सोच को दर्शाता था।
राहुल गांधी अब ज्यादा-से-ज्यादा रोजगार तो पैदा करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि विकास हो या न हो। राहुल की ये सोच देश में काम की गुणवत्ता को बर्बाद कर सकती है। यही नहीं वो देश के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए अमेरिका को न्यौता दे रहे हैं। देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी का नेता अमेरिका से भारत के मामलों में हस्तक्षेप करने की बात कर रहा है, जो बेहद ही आपत्तिजनक है, क्योंकि कोई भी नेता अपने आंतरिक मसलों को लेकर बाहर नहीं जाता है।
राहुल गांधी को लेकर ये कहा जा सकता है कि देश की राजनीति में राहुल अपनी अपरिपक्वता दिखाते ही रहेंगे। इससे भारत के लोगों का मनोरंजन तो होगा ही, साथ ही उन्हें यह भी याद रहेगा कि राहुल गांधी को किसी भी जिम्मेदार पद पर क्यों नहीं बैठाना है।