पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव का पांचवा चरण आज सम्पन्न होने जा रहा है, और अब बंगाल चुनाव की तस्वीर साफ़ हो चुकी है। भाजपा अनेक चुनौतियों के बावजूद इन चुनावों में अच्छी खासी बढ़त बना चुकी है। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस अनेक तिकड़म भिड़ाने के बावजूद जनता के बीच अपनी लोकप्रियता कायम रखने में असफल रही है। न तुष्टीकरण की राजनीति काम आ रही है और न ही गुंडागर्दी से लोग डर रहे हैं। ऐसे में अब ममता बनर्जी को एक ही चीज का सहारा है – कोरोना वायरस का।
पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस ने भारत में विकराल रूप धारण कर लिया है, और बंगाल भी इससे अछूता नहीं है। कल भारत में 2.33 लाख से अधिक नए मामले सामने आए हैं, जिसमें से लगभग 7000 मामले बंगाल से निकलकर आए हैं। अब ममता बनर्जी का मानना है कि या तो कोरोना के बहाने चुनाव स्थगित हो जाए या फिर रद्द हो जाएँ।
ममता बनर्जी के हालिया भाषण के अनुसार, “उन लोगों [भाजपा नेताओं] ने बाहरी लोगों को चुनावी प्रचार के लिए बुलाया, जिससे कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। हमने कोविड के मामलों को संभालने में सफलता पाई थी, परंतु उन्होंने [मोदी और अन्य भाजपा नेताओं] ने मामले को और बिगाड़ दिया”।
ममता को अब बस कोरोना से ही आस है कि किसी तरह उनकी डूबती नैया पार लग जाए। ममता ने चुनाव आयोग को इस संबंध में अपील भी की है कि चुनाव आयोग तत्काल प्रभाव से बंगाल से ‘बाहरी’ लोगों को बाहर खदेड़ें, और साथ ही साथ बाकी ‘चार चरण’ के चुनाव एक ही दिन में एक साथ करा दें। ममता को लगता है कि अगर बाकी चुनाव भी एक ही चरण में कर दिये जाते हैं तो BJP के तीव्र चुनावी प्रचार को रोका जा सकेगा जिससे TMC को होने वाले नुकसान में कमी आएगी!
हालांकि चुनाव आयोग के वर्तमान रुख को देखते हुए ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। पांचवें चरण तो आज शुरू होके खत्म हो भी जाएगा, और फिलहाल के लिए चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जैसा चुनावी अभियान और कार्यक्रम तय किया गया है, वैसा ही चलेगा, और उसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
इस समय ममता बनर्जी के सामने स्थिति ऐसी है कि आगे कुआं तो पीछे खाई। ऐसे में वह कोरोना की आड़ में अपनी सत्ता बचाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही है, लेकिन अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गया खेत!