जापान ने भारत को धोखा नहीं दिया है, RCEP और SCRI में एक साथ शामिल होना उसकी एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है

जापान ने नवंबर 2019 में यह स्पष्ट किया था कि अगर भारत RCEP में शामिल नहीं होता है तो वह भी इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा! हालांकि, वर्ष 2020 में उसने RCEP पर हस्ताक्षर कर भी दिये और अब वर्ष 2021 में जापान की संसद ने भी इसपर अपनी सहमति जता दी है।

RCEP

(PC: Japan Forward)

इस हफ्ते जापानी सरकार द्वारा दो बड़े फैसले लिए गए! बीते बुधवार को जहां जापान ने चीन के नेतृत्व वाले दुनिया के सबसे बड़े ट्रेडिंग ब्लॉक Regional Comprehensive Economic Partnership यानि RCEP को अपनी आधिकारिक मंजूरी प्रदान की, तो वहीं उससे सिर्फ एक दिन पहले ही जापानी सरकार ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर Supply Chain Resilience Initiative यानि SCRI को आधिकारिक रूप से हरी झंडी दिखाने का काम किया

SCRI के माध्यम से जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत की सरकारें मिलकर अपनी सप्लाई चेन को चाइना-फ्री करने पर काम करेंगी। दो दिनों में RCEP और SCRI पर अपनी मुहर लगाकर जापान ने स्पष्ट कर दिया है कि RCEP में उसकी भूमिका चीन के लिए आर्थिक समस्या खड़ी करने पर होगी, जबकि वह अपने आर्थिक लाभ के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहता है।

मंगलवार को भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा “SCRI के माध्यम से हम अपनी सप्लाई चेन को ज़्यादा संतुलित और स्थिर करना चाहते हैं, ताकि क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे। भविष्य में अगर सभी देश इस बात पर राजी हों, तो हम SCRI में बाकी देशों को भी शामिल कर सकते हैं।” इसके एक दिन बाद ही जापान की संसद ने RCEP को भी अपनी अप्रूवल दे दी। यहाँ जापान की रणनीति को समझना हम सब के लिए आवश्यक है।

जापान ने नवंबर 2019 में यह स्पष्ट किया था कि अगर भारत RCEP में शामिल नहीं होता है तो वह भी इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा! हालांकि, वर्ष 2020 में उसने RCEP पर हस्ताक्षर कर भी दिये और अब वर्ष 2021 में जापान की संसद ने भी इसपर अपनी सहमति जता दी है। यह जापान की एक बड़ी रणनीति का एक हिस्सा है जहां वह ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर RCEP में रहते हुए भी चीन के प्रभाव को चुनौती देने का काम करेगा, जबकि जापान और ऑस्ट्रेलिया SCRI के माध्यम से Indo-Pacific में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करेंगे।

पिछले वर्ष पक्के किए गए RCEP समझौते पर ASEAN देशों ने भी अपनी सहमति जताई थी। ऐसे में यह जापान के हित में है कि वह RCEP की नीतियों को लागू कर ASEAN पर चीन का एकमुश्त प्रभाव बढ़ने से रोके! अपनी इस नीति में वह ऑस्ट्रेलिया का भी साथ ले सकता है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया भी RCEP पर हस्ताक्षर कर चुका है।

Quad के अंतर्गत जापान और ऑस्ट्रेलिया की भूमिका और चीन के प्रति इन दो देशों के अलगाव के कारण खुद चीनी मीडिया भी जापान और ऑस्ट्रेलिया पर शक कर चुकी है। नवंबर 2020 में जब ऑस्ट्रेलिया और जापान ने Reciprocal Access Agreement यानि RAR पर अपनी सहमति जताई थी, तो उसके बाद Global Times ने लिखा था कि ये दो देश RCEP में शामिल होने के बावजूद सुरक्षा मोर्चे पर चीन को घेरने की नीति पर ही काम कर रहे हैं। आगे इस लेख में चीनी मीडिया ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के इरादों पर भी सवाल उठाए थे।

RCEP और SCRI, दोनों को एक ही वक्त में हाँ बोलकर जापान ने चीन समेत सभी साथी देशों को भी एक बड़ा संदेश दिया है। संदेश यह है कि जापान जिस प्रकार Senkaku और East China Sea क्षेत्र में चीनी आक्रामकता का शिकार बन रहा है, वह अब RCEP के माध्यम से चीन पर आर्थिक और रणनीतिक चोट करना चाहता है। इसमें उसे भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का भरपूर साथ मिलेगा जो आर्थिक मोर्चे पर चीन को घेरने में उसकी सहायता करेंगे। ऑस्ट्रेलिया भी पिछले कई महीनों से चीन के साथ ट्रेड वॉर में उलझा हुआ है। ऐसे में SCRI के माध्यम से चीन को आर्थिक दंड देकर वह भी चीन से अपना बदला ज़रूर लेना चाहेगा। Indo-Pacific में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया RCEP की सफलता को सुनिश्चित करेंगे, जबकि यही देश RCEP की विफलता का बड़ा कारण भी बनेंगे। और इस पूरे खेल में सबसे अधिक नुकसान अगर किसी का होगा तो वह चीन का ही होगा!

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