साल 2021 में पुडुचेरी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी नया कीर्तिमान रचते हुए नजर आ रही है। वर्तमान समय (शाम 3 बजे) के रुझानों के अनुसार एनडीए गठबंधन की सरकार आसानी से बनती हुई नजर आ रही है। बता दें कि, भाजपा साल 2021 में पहली बार पुडुचेरी में सत्ता पक्ष में बैठेगी। इससे पहले अमूमन कांग्रेस, डीएमके, AIADMK और वहां की क्षेत्रीय पार्टी All India NR Congress की सरकार बनती थी।
पुडुचेरी एक तमिल भाषी केन्द्रीय शासित प्रदेश है। भाजपा सालों से तमिल भाषी प्रदेशों पर भगवा फहराने की कोशिश कर रही है। हालांकि, तमिलनाडु में इस बार ऐसा संभव नहीं हो सका, लेकिन पुडुचेरी में ऐसा पहली बार होने वाला है। पुडुचेरी में भाजपा के साथ गठबंधन में All India NR Congress और AIADMK है। गठबंधन का नेतृत्व All India NR Congress के प्रमुख एन. रंगास्वामी कर रहे है। यह उम्मीद जताई जा रही है कि, मुख्यमंत्री पद पर रंगास्वामी बैठेंगे। बता दें कि, इससे पहले रंगास्वामी भी 3 बार पुडुचेरी का मुख्यमंत्री बन चुके है।
पिछले पांच वर्षों के कांग्रेस शासन ने केंद्र शासित राज्य में कुशासन और भ्रष्टाचार इस कदर फैलाया था कि, जब राहुल गांधी मछुआरे समुदाय से मिल रहे थे। तभी एक मछुआरे ने पूर्व मुख्यमंत्री नारायणसामी की राहुल गांधी से शिकायत की थी।
मछुआरे ने शिकायत किया और कहा कि, ” किसी ने भी कोई सहयोग नहीं दिया। यहां तक कि सीएम नारायणसामी भी चक्रवात के बाद हमसे मिलने नहीं आए थे।” तमिल से इंग्लिश में अनुवाद करने वाला और कोई नहीं स्वयं मुख्यमंत्री जी थे। बता दें कि मुख्यमंत्री ने मछुआरे की बातों का ठीक विपरीत अनुवाद करके राहुल गांधी को बताया। बाद में सीएम नारायणसामी को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। और फिर वहां पर कांग्रेस की सरकार गिर गई। ऐसे ही एक और राज्य कांग्रेस मुक्त हो गया।
कांग्रेस दक्षिण भारत में अपनी उपस्थिति के बल पर अभी तक कायम थी। तमिलनाडु को छोड़कर (जहाँ यह DMK की जूनियर पार्टनर है), बाकी सभी दक्षिण भारतीय राज्यों से ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस का सफाया हो गया है।
तमिलनाडु भाजपा का प्रदर्शन और फिर पुडुचेरी में यह जीत बताती है कि, बीजेपी तमिल भाषी राज्यों में अपनी पैठ बनाने में कामयाब रही है। इसके पीछे एक मुख्य कारण है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तमिल भाषा से लगाव। पीएम मोदी ने एक सभा में कहा था कि, उन्हें जिंदगी भर इस बात का मलाल रहेगा कि वो तमिल नहीं सीख पाए। बता दें कि, दक्षिण भारत में भाषा राजनीति में एक अहम किरदार निभाया है।