किसान प्रदर्शन भड़का रहे अमरिंदर पर पड़ा किसानों का पंच, भूमि अधिग्रहण बिल पर पंजाब के किसान भड़के

CM अमरिंदर सिंह को मिला उनके कर्मों का फल

अमरिंदर

PC: MtsAllNews

आज देश में कोरोना संक्रमण की वजह से तबाही मची हुई है और पंजाब में किसानों ने मुख्यमंत्री अमरिंदर के आवास के सामने हिंसक विरोध प्रदर्शन  कर के तबाही मचा दि है। हिंसा इस कदर बढ़ गई कि चार पुलिस वालों को गंभीर चोटें आई है। बता दें कि यह हिंसक आंदोलन दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे भूमि अधिग्रहण के विरोध में था।

कल ( शुक्रवार) को पटियाला में किसानों ने मोती बाग पैलेस के सामने ट्रैक्टर मार्च करना शुरू कर दिया, क्योंकि मोती बाग पैलेस में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का आवास है वहां पर बैरिकेडिंग लगी हुई थी और भारी मात्रा में पुलिस फोर्स मौजूद थी। इसके बावजूद भी उग्रवादी किसानों ने ट्रैक्टर मार्च को नहीं रोका और बैरिकेडिंग तोड़ कर आगे जाने की कोशिश करने लगे, ट्रैक्टर को रोकने के लिए जब पुलिस आई तो किसानों ने उनके ऊपर से ट्रैक्टर चलाने की कोशिश की। इस पूरे घटना में 4 पुलिस वालों को गंभीर चोटें आई है।

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जिला पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि “दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे संघर्ष समिति के सदस्य हरमनप्रीत सिंह जीजी, जगजीत सिंह गलोली और अन्य ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड तोड़ने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने के लिए उकसाया। उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को चलाने की कोशिश की और चार पुलिसकर्मियों को गंभीर रूप से घायल कर दिया।”

पुलिस अधीक्षक, शहर वरुण शर्मा ने कहा कि पुलिस कानून व्यवस्था की स्थिति पर निगरानी रखे हुई है। उन्होंने कहा, “प्रदर्शनकारियों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के बारे में अभी कहना जल्दबाजी होगी।  हम स्थिति को नियंत्रित करने के बाद निश्चित रूप से कानून के अनुसार काम करेंगे।

आपको बता दें कि National Highway Authority of India शुरू में प्रति एकड़  9.67 लाख के मुआवजे के साथ आया था, लेकिन बाद में किसानों को 18 लाख की पेशकश की गई थी।  हालांकि, राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए multiplication factor  को लागू किया। इससे कई किसानों को सरकार ने 55 लाख रुपये प्रति एकड़ तक पेशकश की थी।

जनवरी 2021 में इस मुद्दे पर डेडलॉक को तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के लिए नए नियम लेकर आई थी। नए नियम में जमीन के मार्केट रेट पर multiplication factor लगाकर नए कीमत तय किए जाएंगे। Multiplication factor, Right to fair compensation और Transparency के नियम के तहत लगाया जाएगा। बता दें कि राज्य सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद यह मामला अभी तक सुलझा नहीं है।

आज कैप्टन अमरिंदर सिंह की परिस्थिति को देखकर इंग्लिश का एक मुहावरा चरितार्थ है – ‘taste of your own medicine’। आपको बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने ही पहली बार किसान आंदोलन का मनोबल बढ़ाया था। दिल्ली में  26 जनवरी को हिंसक प्रदर्शन हुआ तभी कैप्टन चुप रहें।  इससे पहले पंजाब में उग्रवादियों ने जियो का मोबाइल टावर को क्षति पहुंचाई और कई बार आंदोलन को हिंसक रूप देने की कोशिश की तब भी मुख्यमंत्री मौन थे और आज उन्हीं के द्वारा लगाई गई आग, उनके ही निवास स्थान के सामने जल रही है।

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आज पंजाब में भूमि अधिग्रहण को लेकर जो कुछ चल रहा है, कुछ वैसा ही किसान बिल को लेकर दिल्ली में हो चुका है। केंद्र सरकार ने भी किसानों के लिए कई अच्छे ऑफर किए थे, लेकिन कथित किसान अपनी जिद से टस से मस नहीं हुए। ठीक उसी प्रकार पंजाब में अमरिंदर सिंह भी किसानों को लुभाने के लिए कई अच्छे ऑफर दिए, लेकिन कुछ नहीं बदला है। बस बदला यह है कि, अब दिल्ली में नहीं पटियाला में हो रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री ने जिस प्रकार दिल्ली में खालिस्तानी किसानों की मदद की, उसको देखते हुए हम यह निष्कर्ष निकाल सकते है कि- कर्मों का फल इसी जन्म में भोगना पड़ता है। वह किसी को नहीं छोड़ता है।

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