चुनाव के समय किया राज्य का खजाना खाली, अब ममता बनर्जी को वैक्सीनेशन के लिए चाहिए केंद्र से मदद

वैक्सीनेशन के लिए ममता ने केंद्र सरकार से मांगी मदद

ममता बनर्जी

Jansatta

चुनावों से पहले तो ममता बनर्जी ने खूब फ्री की चीजे बांटी और बाँटने का ऐलान किया, परन्तु चुनाव जीतने के बाद अब वैक्सीन के लिए हाथ खड़े कर चुकी है। वैक्सीन के लिए अब वे केंद्र सरकार को निशाना बना रही है और राज्य को फ्री में वैक्सीन देने की बात कर रही है। यही नहीं इसी दौरान उन्होंने केद्र सरकार की चल रही सेंट्रल विस्टा परियोजना को भी निशाना बनाया।

दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को सभी के लिए universal vaccination programme की मांग की और कहा कि टीकाकरण के लिए 30,000 करोड़ रुपये भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लिए कुछ भी नहीं है।

सीएम ने राज्य विधानसभा को संबोधित करते हुए सवाल किया, “वे (भाजपा) टीके के लिए 30,000 करोड़ रुपये का आवंटन क्यों नहीं कर रहे हैं? वे नई संसद और प्रतिमाएँ बनाने के लिए 20,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं।  आखिर PM Cares का फ़ंड कहां है?”

उन्होंने आगे कहा, “30,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार के लिए कुछ भी नहीं है। पूरे देश में फ्री वैक्सीनेशन होना चाहिए।” टीएमसी सुप्रीमो ने कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो अलग-अलग पत्र लिखे थे। पहला, सभी के लिए कोविड -19 के खिलाफ नि: शुल्क टीकाकरण का अनुरोध था और दूसरा, राज्य को ऑक्सीजन आवंटित करने के लिए। इसके बाद अब ममता बनर्जी ने यह बात कही है।

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ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में हाल ही में संपन्न राज्य चुनावों के दौरान भारी मात्रा में धन खर्च करने को भी वैक्सीन से जोड़ने की कोशिश की और राज्य में हो रही हिंसा से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, “भाजपा ने अपने नेताओं, केंद्र और अन्य राज्यों के मंत्रियों के लिए कई होटल बुक किए हैं। यह एक साजिश थी, उनके सभी मंत्री यहां आये थे। मुझे नहीं पता कि उन्होंने विमानों और होटलों पर कितने करोड़ खर्च किए। पैसा यहां पानी की तरह बह रहा था। अगर वे इसके बजाय वैक्सीन देते तो यह राज्य के लिए बेहतर होता।”

यानी ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी के लिए बीजेपी के फंड्स और केंद्र सरकार के फंड्स एक ही है। अगर नहीं लगता है तो यह स्पष्ट है कि वे जनता को गुमराह करना चाहती है। विडम्बना यह है कि एक राज्य की मुख्यमंत्री इस तरह के बयान देती है।

यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि, “इस तथ्य के बावजूद कि राज्य में वैक्सीन और ऑक्सीजन नहीं है, हमें एक जनादेश मिला है कि अब हमें  कोरोनोवायरस बीमारी से जूझना होगा।”

यानी ममता बनर्जी यह कहना चाह रही है कि पश्चिम बंगाल में वैक्सीन और ऑक्सीजन नहीं है। आखिर 2011 से ही सत्ता में बैठी ममता बनर्जी कर क्या रही थी कि राज्य में न तो ऑक्सीजन है और न ही वैक्सीन के लिए फंड?

आखिर कहां गए सभी फंड? एक तरफ आप किसी कंपनी को राज्य में आने नहीं देती जिससे राजस्व बढ़े और फिर आप अपनी तुष्टिकरण के लिए राज्य का संसाधन लुटा देती है और फिर यह कहती है कि वैक्सीन और ऑक्सीजन नहीं है? यह प्रशासन का कौन सा तरीका है?

यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि जब TMC सत्ता में आई थी तो यह उलाहना देती थी कि वाम मोर्चे की सरकार ने पश्चिम बंगाल को कर्ज में डूबा दिया है। हालाँकि, ममता बनर्जी के शासन में वह कर्ज और अधिक हुआ है। पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार द्वारा freebies बाँटने के कारण debt-GSDP ratio काफी ऊँचा है और GSDP ratio के लिए कम टैक्स रेवेन्यु, अधिक ऋण देनदारियां, उच्च interest payment obligations, के साथ-साथ ऐतिहासिक रूप से capital expenditure का आधार भी कम है। ऐसे में राज्य का कर्ज से निकलना मुश्किल है। बावजूद इसके अपनी नीतियों को ठीक करने के बजाये ममता बनर्जी वैक्सीन के लिए केंद्र को निशाना बना रही है। जब सभी राज्य वैक्सीन के लिए स्वयं प्रयासरत हैं तो ऐसे में ममता बनर्जी कोरोना से निपटने पर ध्यान न दे कर, चाहती है कि अब उनके राज्य के लिए वैक्सीन भी केंद्र सरकार दे। यह कुछ और नहीं बल्कि राज्य में हो रही TMC द्वारा हिंसा से ध्यान भटकाने का एक प्रयास है।

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