अपने घमंड को संतुष्ट करने और सुवेंदु अधिकारी से बदला लेने के कारण विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने अपनी परंपरागत सीट छोड़ नंदीग्राम से सुवेंदु के खिलाफ चुनाव लड़ा था। नतीजा सभी के सामने है क्योंकि ममता को सुवेंदु ने पटखनी दे दी थी। ऐसे में ममता ने CM पद की शपथ तो ले ली है, लेकिन वो विधायक नहीं हैं, जिसके चलते अब वो अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से चुनाव लड़ने वाली हैं।
भवानीपुर से चुने गए विधायक शोभन देव चटर्जी ने इस्तीफा दे दिया है। भवानीपुर में TMC उम्मीदवार की भारी मतों से जीत हुई है, लेकिन ममता की जीत का पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो ये सीट ममता के लिए खतरनाक भी है।
ममता बनर्जी का घमंड चूर-चूर होने के बाद उन्होंने एक बार फिर अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचने का मन बनाया है। खबरों के मुताबिक इस सीट पर जीते TMC उम्मीदवार शोभन देव चटर्जी ने इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में संभवानाएं हैं कि सीट पर होने वाले उपचुनावों के दौरान ममता बनर्जी मैदान में होंगी, लेकिन ममता बनर्जी के लिए ये सीट एक बड़ा खतरा बन सकती है, क्योंकि ममता का प्रदर्शन इस सीट पर कुछ खास नहीं रहा है।
भवानीपुर सीट की बात करें तो इसे एक बहुसंख्यक आबादी वाला क्षेत्र माना जाता है, जहां बड़ी संख्या में गुजराती लोग भी रहते हैं। गैर बंगालियों में इन गुजरातियों की संख्या करीब 70 प्रतिशत से भी ज्यादा है। दो बार के चुनावों में ही ममता की लोकप्रियता ढलान पर आ गई थी। 2011 के विधानसभा चुनाव में जो आंकड़ा 77% वोट के साथ विराट था, वही 2016 के विधानसभा चुनाव में 48 प्रतिशत पर आकर लुढ़क गया। ममता को इस सीट पर गैर बंगालियों के कारण नुकसान हुआ, क्योंकि वो बंगाली बनाम बाहरी का नारा लगाया करतीं हैं।
2021 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर शोभन देव चटर्जी की प्रचंड जीत हुई थी, जो जाहिर करती है, कि TMC से ज्यादा इस क्षेत्र के लोगों को ममता बनर्जी से नफ़रत है। ममता से लोगों की इसी नफ़रत का नुकसान उन्हें एक बार फिर मुश्किलों में ला सकता है। इतना ही नहीं पिछले कुछ समय में बंगाल में चुनावी नतीजों के बाद जो हिंसा हुई है, उससे राज्य में ममता के प्रति बहुसंख्यक समाज के लोगों का गुस्सा बढ़ा है, जो इन चुनावों में ममता के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।
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नतीजों के बाद हुई चुनावी हिंसा के चलते ऐसा प्रतीत होता है कि भवानीपुर की सीट पर होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में बीजेपी ममता के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खोल सकती है, और यदि इस सीट पर चुनाव में बीजेपी अपनी ताकत दिखाती है तो ममता को इसका तगड़ा नुक़सान हो सकता है।