जब से ममता बनर्जी ने बंगाल विधानसभा चुनाव में विजय प्राप्त की है, तब से उनकी मुसीबतें खत्म होने के बजाए बढ़ती ही जा रही हैं। हाल ही में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद TMC के गुंडों ने बंगाल में जो तांडव मचाया है और जिस प्रकार से अनुसूचित जातियों के व्यक्तियों को नुकसान उठाना पड़ा है, उसके चलते अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन के सदस्यों ने बंगाल के उन क्षेत्रों का दौरा करने का निर्णय किया है, जहां पर चुनाव के पश्चात काफी हिंसा और आगजनी हुई है।
इसी को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन ने अपनी जांच बिठाई, जिसमें उन्हे समझ में आया कि बंगाल में सब कुछ ठीक नहीं है। इसलिए उन्होंने बंगाल के हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करने की ठानी, लेकिन अब ममता सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जहां उन्होंने इन दौरों को रद्द करने की मांग की है। ममता की TMC सरकार के अनुसार, चुनाव के पश्चात यहाँ कोई हिंसा नहीं हुई, इसलिए कमीशन के सदस्यों का दौरा निरर्थक है, लेकिन यदि अगर यह सच है तो TMC को तो चिंता ही नहीं होनी चाहिए। फिर किस बात का भय ममता सरकार को सता रहा है।
लेकिन ममता प्रशासन को अपनी पोल खुलने का डर है कि कहीं उनके गुंडों की करतूतें जगजाहिर न हो। बता दें कि 2 मई को बंगाल के विधानसभा चुनाव में TMC ने सभी को चौंकाते हुए 211 से अधिक सीटें प्राप्त की, जबकि भाजपा को विपक्ष के पोजीशन से ही संतोष करना पड़ा। लेकिन TMC को इतने से भी संतोष नहीं हुआ, क्योंकि इसके बाद जिस प्रकार से तृणमूल के गुंडों ने बंगाल भर में भाजपा कार्यकर्ताओं और अन्य हिंदुओं के विरुद्ध त्राहिमाम मचाया, इससे स्पष्ट पता चलता है कि किस प्रकार से बंगाल में इस समय टीएमसी की निरंकुशता अपने चरम पर है।
हालांकि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन इस बार किसी भी दबाव में आने के मूड में नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि स्थिति चाहे जो हो, वे हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा कर के ही रहेंगे। इसके अलावा सीबीआई ने नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में लिप्त 3 TMC मंत्रियों को हिरासत में लेने का निर्णय है। असली खेल तो अब शुरू होबे।