राजनीति को लेकर कहा जाता है कि भले ही हार मिल रही हो, लेकिन राजनीतिक पार्टियों को अपने असेट्स को संभाल कर रखना चाहिए, लेकिन शायद ये बात उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भूल चुके हैं।
यूपी की राजनीति में जिन पूर्व लोकसभा सांसद आज़म खां के जरिए प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े वोट बैंक यानी मुस्लिम समाज को सपा लुभाती थी, उनका वक्त बिगड़ने पर अखिलेश ने उनसे दूरियां बना ली हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों मे़ सीतापुर जेल बंद आज़म खां कोरोना संक्रमित होने के बाद लखनऊ के मेदांता अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती हैं, लेकिन अखिलेश यादव ने उनके नाम पर एक ट्वीट तक नहीं किया।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी के नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री आज़म खां का एक अलग स्तर का रसूख रहा है, लेकिन प्रदेश में सरकार बदलने के बाद से उनके भ्रष्टाचार खुलने लगे तो उनके जरिए मुस्लिम समाज का वोट हासिल करने वाले अखिलेश ने उनसे कन्नी काट ली। आजम खां से लेकर उनके बेटे तक पर योगी सरकार द्वारा धड़ाधड़ कार्रवाई की गईं, लेकिन अखिलेश ने अपना मुंह नहीं खोला। कुछ वैसी ही स्थिति आज भी है।आजम लखनऊ के मेदांता अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं लेकिन उन्होंने जिस पार्टी के लिए सबकुछ समर्पित किया, उसका सर्वोच्च नेता उनका उल्लेख तक नहीं करता है।
आज़म खां लंबे वक्त से भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण न्यायालय के आदेश पर सीतापुर जेल में बंद थे। कोरोना की दूसरी लहर में जेल के कई कैदियों के साथ उन्हें भी कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया। उनकी तबियत पिछले कुछ दिनों से काफी खराब है जिसके बाद उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया है।
मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक उन्हें हाई ऑक्सीजन दी जा रही है, और उनकी स्थिति फ़िलहाल बेहद गंभीर लेकिन स्थिर बताई जा रही है। अब ऐसी स्थिति में सपा के अधिकारिक पेज से मेडिकल बुलेटिन के नाम पर औपचारिकता तो की जा रही है, लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश ने आज़म की गंभीर हालत पर एक ट्वीट तक नहीं किया है।
आज़म खां की बात करें तो यूपी के रामपुर को उनका गढ़ माना जाता है। बीजेपी और पीएम मोदी की लहर के बीच भी वो लोकसभा चुनाव आसानी से जीत गए, और बेटे अब्दुल्ला आज़म ने विधानसभा सीट भी अपने नाम की।
इसके अलावा देश के दूसरे बहुसंख्यक समाज के लोगों के बीच यूपी में उनकी लोकप्रियता अधिक मानी जाती है। आज़म खां को आधिकारिक तौर पर समाजवादी पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा माना जाता है। सपा ने हमेशा ही मुस्लिम समाज का वोट हासिल करने के लिए आज़म खां को अगड़ी पंक्ति में खड़ा किया है, लेकिन अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का दोगला चरित्र सामने आया है
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पिछले पांच वर्षों के योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान आजम खां पर हुईं कार्रवाई उन्हें मुसीबत में डालती गईं, तो वहीं इस दौरान अखिलेश का चरित्र भी मुस्लिम समाज के सामने आता गया। आजम जब जमानत पर बाहर निकलते अखिलेश अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ उनसे मिलने जाते और लोगों का ध्यान आकर्षित करने निकल पड़ते, लेकिन उनके जेल में रहने पर वो आज़म खां को फिर भूल जाते।
उनका ये रवैया मुस्लिम समाज की जनता भी देख चुकी है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर मुस्लिम चेहरे के साथ अखिलेश ने जो महत्वाकांक्षी रुख दिखाया है, उसे अब प्रदेश की अल्पसंख्यक समाज की जनता भी समझ रही है, क्योंकि उनका रुख केवल निजी हितों का है। संभवतः सपा के प्रति मुस्लिम समाज में नाराजगी है और ये नाराजगी अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी देखने को मिलेगी।