अब तक लगता था कि वुहान वायरस से लड़ने में भारत के लिए सबसे बड़ा अवरोध महाराष्ट्र का वर्तमान प्रशासन और उसके जनता-विरोधी कारनामे हैं, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने तो यहाँ भी उद्धव ठाकरे को मात दे रखी है। अब जब ये साफ है कि दिल्ली का ऑक्सीजन ऑडिट होने से कोई नहीं रोक सकता, तो अब दिल्ली सरकार ने पेशकश की है कि अन्य राज्य उसके हिस्से की अतिरिक्त ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
जी हाँ, आपने बिल्कुल ठीक सुना है। अब दिल्ली सरकार के पास ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, बल्कि वह अतिरिक्त ऑक्सीजन दूसरे राज्यों के साथ बांटना चाहती है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार, “हमें पहले 700 मेगाटन ऑक्सीजन की आपूर्ति की आवश्यकता थी, लेकिन अब मामले कम हो रहे हैं, और हमारी ऑक्सीजन की कमी दूर हो चुकी है। इसलिए हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार हमारे कोटे की अतिरिक्त ऑक्सीजन अन्य राज्यों को देना शुरू कर दें”।
मोदी जी ने सही कहा था ऐसी प्रवृत्ति के लोगों के लिए, ‘हिपोक्रेसी की भी सीमा होती है’। दिल्ली सरकार की जो सच्चाई अब निकलकर सामने आ रही है, उसके सामने तो उद्धव ठाकरे और ममता भी मासूम लगने लगेंगे। ये वही दिल्ली सरकार है, जिसने ऑक्सीजन और वैक्सीन की आपूर्ति पूरी न होने के कारण आसमान सर पर उठा लिया था। अब दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार द्वारा आवंटित ऑक्सीजन ज्यादा दिखाई पड़ रही है।
लेकिन इसे केजरीवाल सरकार की भलमनसाहत समझने की गलती मत कीजिएगा। अभ कुछ ही दिन पहले केंद्र सरकार ने मामला अपने हाथों में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली द्वारा उपयोग में लाई जा रही मेडिकल ऑक्सीजन के ऑडिट कराने की मांग की। इसके प्रति दिल्ली सरकार ने काफी आपत्ति जताई, क्यों उसे भली-भांति पता था कि यदि केंद्र सरकार की बात सुप्रीम कोर्ट ने मान ली, तो दिल्ली में Oxygen की wastage और अवैध इस्तेमाल के आरोपों का सच सबके सामने आ जाएगा।
कोर्ट को ऑडिट कराने में कोई आपत्ति नहीं दिखाई देती, और इसीलिए अब दिल्ली सरकार एक बार फिर मीडिया के सामने ‘गुड बॉय’ बनने का नाटक कर रही है, ताकि उस पर से निष्पक्ष जांच की लटक रही तलवार हट जाए। लेकिन दिल्ली की करतूतों को देखते हुए इस बात के आसार कम ही हैं कि ये बात यहीं पर खत्म हो जाएगी।
इसके अलावा केंद्र सरकार दिल्ली के रवैये से भी काफी नाराज है। कई हजार टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के बावजूद दिल्ली में न केवल अनेकों लोग ऑक्सीजन की कमी से मारे गए, बल्कि महाराष्ट्र के तर्ज पर केजरीवाल सरकार वैक्सीन लगवाने में भी आनाकानी करती दिखाई दे रही है। ऐसे में केंद्र सरकार केजरीवाल सरकार पर नरम पड़ने के मूड में नहीं दिखाई दे रही है। इसीलिए अब केंद्र ने ऑक्सीजन के प्रयोग पर ऑडिट कराने की मांग की है, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
अब दिल्ली सरकार पर ये भी आरोप लगे हैं कि उसके विधायक जमाखोरी को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में अब दिल्ली सरकार ‘अतिरिक्त ऑक्सीजन’ दान कर अपने आप को दानवीर के तौर पर चित्रित करना चाहती है, परंतु बकरे की अम्मा आखिर कब तक खैर मनाएगी? ऑडिट होगा, सच सामने आएगा, वो सच हो केजरीवाल सरकार सबसे छुपाना चाहती है।