बेटियों को पिता की लाडली माना जाता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि कोई बेटी अपने पिता की मौत का फायदा उठाकर सरकार विरोधी एजेंडा चला सकती है, नहीं न ? लेकिन वामपंथी पत्रकार बरखा दत्त मोदी विरोध में इतनी ज्यादा संवेदनहीन हो चुकीं हैं कि वो अपने पिता की मौत पर राजनीतिक एजेंडा चलाकर ये साबित करने की कोशिश कर रही हैं, कि ऑक्सीजन और सुविधाओं के अभाव में ही उनके पिता की मृत्यु हुई।
उन्होंने सीएनएन के टीवी चैनल में बैठकर कई आश्चर्यजनक दावे कर दिए, लेकिन उनके पिता को मेदांता हॉस्पिटल पहुंचाने वाले निजी एंबुलेंस ड्राईवर ने बरखा दत्त के सारे दावों की हवा निकाल दी है।
दरअसल, एनडीटीवी की वरिष्ठ पत्रकार रह चुकीं वामपंथ का झंडा बुलंद करने वाली बरखा दत्त ने 27 अप्रैल को एक थ्रेड ट्वीट कर बताया कि उनके पिता का देहांत हो गया है।उन्होंने लिखा, “सबसे दयालु, सबसे प्यारे आदमी मेरे पिता स्पीडी कोविड से लड़ाई हार गए और आज सुबह उनका देहांत हो गया। जब मैं उन्हें उनकी मर्जी के बिना अस्पताल ले जा रही थी तो मैंने वादा किया था कि मैं उन्हें दो दिन में घर ले आऊंगी, मैं अपनी बात नहीं रख सकी, मैं हार गई।”
The kindest, loveliest man I have every known, my father Speedy, lost the COVID battle and died this morning. When I took him to hospital, against his will, I promised I would bring him home in two days. I couldn’t keep my word. I failed. He never broke a promise he made to us pic.twitter.com/ZUDwoa1LDa
— barkha dutt (@BDUTT) April 27, 2021
उन्होंने थ्रेड के अगले हिस्से में लिखा, “मेरे पिता के अखिरी शब्द थे- मेरा दम घुट रहा है मेरा इलाज करो। मेदांता के सभी डॉक्टर्स, नर्स, सुरक्षा गार्ड, एंबुलेंस ड्राइवर को इतनी कोशिशों के लिए मेरा धन्यवाद।” उनके इस भावुक ट्वीट पर उनके विरोधियों ने भी संवेदना जाहिर की, लेकिन बरखा ने बड़ी ही चालाकी से सारा ध्यान अपने पिता उन आखिरी शब्दों पर केंद्रित किया , जिसमें उन्होंने कहा था, “मेरा दम घुट रहा है, मेरा इलाज करो।” इसी एक वाक्य को पकड़ कर बरखा दत्त ने अपनी गिद्ध पत्रकारिता का सबूत दे दिया।
My fathers last words to me were : “I’m choking, treat me”- to all the doctors at Medanta, nurses, ward staff, security guards, ambulance drivers, my gratitude for trying so hard. My father loved to invent things, make trains , planes and of course, his grandchildren pic.twitter.com/DIijrq2WNb
— barkha dutt (@BDUTT) April 27, 2021
I’d like to remember Speedy as the handsome man, eccentric scientist, doting father who gave my sister and I wings, than to think of him strapped to pipes. My best tribute to him is to redouble my commitment to report COVID on the ground & give voice to those who don’t have one pic.twitter.com/i0rVEhLRrO
— barkha dutt (@BDUTT) April 27, 2021
उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान सीएनएन के साथ बातचीत में कहा, “भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद खराब है। मैं जिस एंबुलेंस में अपने पिता को अस्पताल ले गई, उस एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर काम नहीं कर रहा था, मेरे पिता ने कहा कि वो सांस नहीं ले पा रहे, मेरा इलाज करो।”
इस एक बयान के जरिए बरखा भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सवाल खड़े कर रही थीं, लेकिन अब इस मामले में The Pulse को दिए एक इंटरव्यू में उस एंबुलेंस के चालक सोनू के बयानों ने बरखा के सारे से अलग ही बयान दिया है।
एंबुलेंस चालक सोनू ने कहा, “जब मैं मैडम के घर एंबुलेंस लेकर गया, तो उन्होंने सवाल पूछा कि ऑक्सीजन सिलेंडर बड़ा है या छोटा? मैंने जवाब में बड़ा कहा तो वो बहस करने लगीं। फिर उन्हें बताना पड़ा कि वर्तमान ऑक्सीजन की स्थिति के चलते बड़ा सिलेंडर लगाया गया है।” सोनू ने बताया कि रास्ते भर ऑक्सीजन ठीक तरीके से काम कर रही थी और उनके पिता को घर से सही सलामत ऑक्सीजन की मदद से मेदांता अस्पताल पहुंचे थे, और बरखा ऑक्सीजन को लेकर बेबुनियाद बात कर रही हैं।
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इस पूरे खेल में सभी मीडिया संस्थानों ने बरखा की बातों को तवज्जो देकर सवाल उठाए, लेकिन किसी ने भी उस एंबुलेंस चालक का पक्ष नहीं सुना। अब जब इस मामले में एंबुलेंस चालक का पक्ष सामने आ रहा है तो बरखा दत्त पूरी तरह एक्सपोज हो चुकी हैं। एंबुलेंस चालक के बयान से साफ जाहिर होता है कि बरखा दत्त ऑक्सीजन के मुद्दे पर झूठ बोल रहीं थीं, और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में एक गलत जानकारी दी, जिसके चलते एक बार फिर उनकी पत्रकारिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
इस पूरे वाकए को लेकर The Pulse के साक्षात्कार के अनुसार ये कहा जा सकता है कि बरखा दत्त अपने पिता की मौत से जुड़े बिंदुओं पर भी झूठी और बेबुनियाद बातें कर रही हैं और यही उनकी गिद्ध पत्रकारिता की प्रवृत्ति रही है। परंतु ये घटना साबित करती है कि इस गिद्ध ने अपने पिता की मौत और लाश पर भी एजेंडा सेट करने की बेहूदा कोशिश की।