पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव जीतने के बाद एक अलग ही स्तर की राजनीति पर पहुंच गईं हैं। ममता पीएम मोदी को चिठ्ठी लिखकर कोरोना संबंधी उपकरणों की मांग कर रही हैं, तो वहीं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को लेकर उनका एक अलग ही रवैया सामने आया है। उन्होंने मांग की है कि बंगाल के किसानों को पीएम किसान निधि का पैसा दिया जाए। जबकि ये वही ममता हैं जो इस पैसे के संबंध में कहती थीं कि ये पैसा राज्य के फंड में दिया जाए। हालांकि, अब उनके सुर बदल गए हैं, जो दिखाता है कि ममता अब केंद्र के आगे घुटने टेक चुकी हैं।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत केन्द्र सरकार की तरफ से देश के किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए दिए जाते है़ं। ये स्कीम पूरे देश में लागू है, लेकिन बंगाल में ममता बनर्जी की जिद के कारण वहां के किसानों को इसका लाभ नहीं मिला। ममता की मांग थी कि किसानों का पैसा राज्य को दिया जाए, लेकिन मोदी सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी। इसके चलते तीन सालों तक बंगाल के किसानों क़ो इस योजना का कोई लाभ नहीं मिल सका लेकिन अब ममता के सुर बदल गए हैं।
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बनर्जी ने पीएम मोदी के भाषणों को लेकर चिट्ठी में कहा, “मैं हाल में राज्य की आपकी यात्राओं के दौरान दिए गए आश्वासनों की याद दिलाना चाहूंगी जिसमें आपने कहा था कि प्रत्येक किसान को 18,000 रुपये की बकाया राशि दी जाएगी लेकिन आज तक राज्य सरकार या किसानों को यह रकम नहीं मिली है।” ममता ने कहा, “मैं आपसे संबंधित मंत्रालय को पात्र किसानों के लिए कोष जारी करने और 21.79 लाख किसानों से संबंधित आंकड़े साझा करने का अनुरोध करती हूं।”
दिलचस्प बात ये है कि शपथ लेने के बाद ममता बनर्जी दो दिन में पीएम मोदी को दो पत्र लिख चुकी हैं। पहले आक्सीजन की मांग से लेकर पूरे देश क़ो मुफ्त वैक्सीन लगाने की बात, और अब किसान सम्मान निधि का पैसा देने का अनुरोध। ममता का ये रुख जाहिर करता है, वो केंद्र के आगे तो झुकी हुई हैं ही लेकिन वो अपनी अकड़ से बाज भी नहीं आ रही हैं। इसी अकड़ के कारण बंगाल के किसानों को किसान सम्मान निधि का पैसा नहीं मिल पाया था। हालांकि, अब ऐसा लग रहा है कि ममता इस मुद्दे पर राजी हैं।
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प्रधानमंत्री पहले पीएम किसान निधि के लिए पैसे भेजने की बात करते थे, तो ममता अड़ंगे लगातीं थीं। किन्तु अब पूरा खेल बदल गया है। ममता खुद ही पीएम को खत लिख कर किसानों के लाभ की बात कर रही है। राजनीतिक बातों से इतर ये फैसला बंगाल के किसानों के हित में हैं।