वामपंथी पत्रकारों और संस्थानों का रवैया कुछ इस तरह का हो गया है कि अगर देश दुनिया में कुछ भी ग़लत हो रहा है तो उसका कारण भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। कुछ ऐसा ही टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनी कोलगेट को लेकर भी हुआ है। हाल ही में ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की और इसे बाक़ी संस्थाओं ने भी छापा, जिसमें कोलगेट की विकास दर डबल डिजिट न होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया गया है। इन संस्थानों ने PM मोदी पर इस प्रकार हमला बोला मानो वे देश के प्रधानमंत्री ना होकर कोलगेट के मार्केटिंग मैनेजर हैं। इन सभी का ये रुख दिखाता है कि अब ये सभी संस्थान अपने मोदी विरोधी एजेंडे के तहत निचले स्तर की पत्रकारिता की भी हदें पार कर रहे हैं।
कोलगेट की इस वर्ष की ग्रोथ को लेकर बिजनेस स्टैंडर्ड, ब्लूमबर्ग, मिंट आदि ने एक खबर प्रकाशित की जिसमें सभी की हेडलाइन लगभग एक समान ही थी कि “कोलगेट की इस वर्ष की ग्रोथ रेट दहाई तक नहीं पहुंच पाई, और ये सब हुआ मोदी के कारण”। ये हेडलाइन ही अपने आप में हास्यास्पद लगती है, जिसके चलते इसकी सबसे ज्यादा आलोचना हो रही है। इसके लेखक एंडी मुखर्जी ने लिखा, “इस वर्ष अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी कोलगेट की sales में केवल 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली। हालांकि, पिछले 12 महीनों में ये विकास दर केवल 1.2 प्रतिशत ही रही थी। ऐसे में दो सालों के औसतन राजस्व का विकास दर 5 प्रतिशत ही रहा। ये वही कंपनी है जिसकी ग्रोथ रेट वर्ष 2013 से पहले 9 वर्षों तक 13 प्रतिशत से अधिक रही थी।”
वहीं लेखक ने कोलगेट की ग्रोथ रेट की इस गिरावट को लेकर कुछ अजीबो-गरीब तर्क दिए हैं। लेखक का कहना है कि योगगुरु बाबा रामदेव के मोदी समर्थक होने का उन्हें फायदा हुआ है। लेखक के अनुसार वर्ष 2016 में नोटबंदी के “खराब” फैसले से भी कोलगेट को बड़ा नुक़सान हुआ। आखिर में लेखक ने कोलगेट के बुरे प्रदर्शन का ठीकरा कोरोना पर फोड़ डाला। वहीं कोरोनावायरस की दूसरी लहर को लेकर लेखक ने दावा किया है कि अगस्त तक भारत में करीब 12 लाख लोगों की मौत होने की संभावना है।
इस लेख से समझा जा सकता है कि इसे मोदी-विरोधी एजेंडे के अंतर्गत ही लिखा गया है। पुराने ढर्रे पर चली आ रही कोलगेट कंपनी के ग्रोथ ग्राफ़ के आधार पर सरकार पर सवाल उठाने का काम बेहद बचकाना और तर्कहीन है। कोलगेट की ग्रोथ रेट में कमी को इन मीडिया संस्थानों द्वारा ऐसे प्रदर्शित किया जा रहा है जैसे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही इस कंपनी के मार्केटिंग मैनेजर हैं, और अगर कंपनी ने ग्रोथ नहीं की तो ये गलती PM मोदी की है।
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इसके इतर भारत एक खुला और प्रतिस्पर्धा वाला बाजार है, जहां सभी कंपनियों को समान प्रकार की सुविधाएं मिलती हैं। इस दौर में आयुर्वेद का मार्केट काफी तेज़ से बढ़ रहा है। यही कारण है कि पतंजलि और डाबर जैसी कंपनियों के बिजनेस में बड़ी बढ़ोत्तरी देखी गई है। ऐसे में कोलगेट जैसी कंपनियों के लिए आवश्यक है कि वो अपने प्रोडक्ट और मार्केटिंग पर ध्यान दें। वहीं मोदी विरोधी लोगों द्वारा दिए गए कुतर्कों पर तो बस हंसा ही जा सकता है क्योंकि इससे इनके मानसिक संतुलन खोने का पता चलता है।