‘फ्री में बाँटने के लिए बड़ी संख्या में दवाइयां खरीदना जमाखोरी है’ –दिल्ली हाईकोर्ट
कोरोना महामारी के दौरान यह देखने को मिला कि कई नेता जनता को अपने पास से आवश्यक मेडिकल दवाई दे रहे थे। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामलें में कहा है कि इस तरह से लोगों में फ्री में बाँटने के लिए बड़ी संख्या में दवाई खरीदना एक प्रकार से जमाखोरी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि नेताओं के पास दवाओं या ऑक्सीजन की जमाखोरी करने का कोई अधिकार नहीं है तथा कोरोना के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों को जमा करने का काम राजनेताओं का नहीं है। नेताओं द्वारा दवा बांटने के मामले में कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए दवाइयों की जमाखोरी ठीक बात नहीं है, ऐसा न हो।
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि हम इस स्थिति को स्वीकार नहीं कर सकते हैं कि महामारी में व्यापार को बढ़ावा मिले। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। कोई भी राजनीतिक दल इस महामारी को बिक्री का केंद्र नहीं बना सकता। कोर्ट ने सवाल किया कि ये राजनेता दवाई बिना प्रिस्क्रिप्शन के कैसे खरीद सकते थे?
Delhi High Court will hear Covid related petitions today.
A Bench of Justices Vipin Sanghi and Jasmeet Singh to hear the cases.#DelhiHighCourt #COVID19India pic.twitter.com/EsvIuFY61P
— Bar and Bench (@barandbench) May 17, 2021
राजनीतिक फायदे के लिए दवाइयों की जमाखोरी ठीक बात नहीं है – दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि, “आपको जिम्मेदारी के साथ कार्य करना होगा। राजनीतिक पार्टियों के नेता अपनी राजनितिक रसूख बढ़ाने लिए जमाखोरी नहीं कर सकते हैं।“
कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि बीजेपी नेता गौतम गंभीर को इतनी बड़ी मात्रा में केमिस्ट से दवा का स्टॉक कैसे मिला। उन्होंने कहा कि अगर नेताओं का इरादा सार्वजनिक हित का है तो उन्हें ये दवाएं DGHC को देनी चाहिए जिससे ये सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध हों और जरुरतमंद मरीजों तक पहुंच सकें।
Court says political leaders have no business to hoard stocks. If their intention is to do public good, then they should give it DGHS and he will distribute it to the needy
— Bar and Bench (@barandbench) May 17, 2021
इसके साथ ही पुलिस ने कोर्ट से इस मामले में विस्तृत जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 6 हफ्ते का समय मांगा था। इस पर कोर्ट ने कहा कि 6 हफ्ते बाद यह मुद्दा बचेगा ही नहीं। कोर्ट के अनुसार, राजनीतिक दलों के पास महामारी में इस तरह से दवा जमा करने का कोई अधिकार नहीं है। वो भी तब जब आम जनता जिन्हें इस दवाइयों की आवश्यकता है वे इसके लिए कई गुना कीमत चुका रहे हैं।“
Order: We hope and expect Delhi police to conduct proper investigation into the hoarding of medicines
Status report to be filed.
We hope and expect that medicines are not hoarded for political gains.
— Bar and Bench (@barandbench) May 17, 2021
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई लताड़
कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि दिल्ली पुलिस इस मामले में सही तरीके से जांच करेगी और कहा कि महामारी के समय में राजनीतिक फायदे के लिए ज़रूरी दवाओं की जमाखोरी नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि, “उन्हें उम्मीद है कि इन दवाओं को जरूरतमंदों को देने के लिए DGHC को भेज दिया जाएगा।”
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बता दें कि नॉन प्रॉफिट संस्था हृदय फाउंडेशन के चेयरमैन दीपक सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। आरोप लगाए थे कि कुछ नेता दवाओं और मेडिकल सामान की जमाखोरी कर रहे हैं। याचिका में उन्होंने बीवी श्रीनिवास, BJP सांसद गौतम गंभीर, सुजॉय विखे, कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा और कांग्रेस के पूर्व विधायक मुकेश शर्मा का नाम भी लिया था।
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कोरोना महामारी के दौरान यह देखने को मिला कि कई नेता जनता को अपने पास से आवश्यक मेडिकल दवाई दे रहे थे। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामलें में कहा है कि इस तरह से लोगों में फ्री में बाँटने के लिए बड़ी संख्या में दवाई खरीदना एक प्रकार से जमाखोरी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि नेताओं के पास दवाओं या ऑक्सीजन की जमाखोरी करने का कोई अधिकार नहीं है तथा कोरोना के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों को जमा करने का काम राजनेताओं का नहीं है। नेताओं द्वारा दवा बांटने के मामले में कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए दवाइयों की जमाखोरी ठीक बात नहीं है, ऐसा न हो।”,
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