चीन ने हाल ही में भारत को दक्षिण एशिया में कोरोना के विरुद्ध साथ में जंग लड़ने का प्रस्ताव दिया था। इसके लिए चीन ने दक्षिण एशियाई देशों के साथ एक आधिकारिक बैठक आयोजित की थी, जिसमें सभी देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्से लिया। लेकिन भारत ने इस बैठक में जाने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही भारत ने आधिकारिक तौर पर चीन से कोई सहायता भी स्वीकार नहीं की है, जबकि आश्चर्यजनक रूप से चीन भारत की सहायता के लिए बहुत आतुर दिखाई दे रहा है। अब भारत को मनाने के लिए चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
दरअसल, अब जिनपिंग ने भारत में चाइनीज वायरस के कारण दिनों दिन बिगड़ते हालात पर अपनी संवेदना व्यक्त की है। साथ ही कोरोना के विरुद्ध जंग में भारत को मदद का हाथ बढ़ाया है। पत्र में जिनपिंग ने कहा है कि चीन, भारत के साथ कोरोना विरोधी सहयोग बढ़ाने के लिए इच्छुक है। इतना ही नहीं, कल ही चीनी विदेश मंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर को फोन कर भारत की पूरी सहायता करने का आश्वासन दिया है।
यह हास्यास्पद है कि जिस देश ने कोरोना फैलाकर, उसकी जानकारी लंबे समय तक छुपाकर, पूरी दुनिया को इस महामारी से बर्बाद कर दिया है। वह देश सहयोग की बात कर रहा है। चीन भारत के साथ सहयोग करने की पेशकश कर रहा है जब अभी भी दोनों देशों की सेनाएं सीमा के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी अपनी Locations पर कायम है, और उनके बीच कभी भी टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
दरअसल, चीन का यह रवैया एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। चीन जानता है कि उसके आर्थिक विकास की गति को बनाए रखने के लिए, उसकी फैक्ट्री में लगातार काम चलते रहने के लिए ये बहुत जरूरी है कि भारत का बड़ा मार्केट उसके हाथ में ही रहे। इस समय वुहान वायरस के कारण भारत की स्थिति कमजोर हो गई है, ऐसे में जिनपिंग मौके का फायदा उठाकर भारतीय घरेलू बाजार के दरवाजे चीनी कंपनियों के लिए खुलवाना चाहते हैं।
भारत ने एक के बाद एक चीन को आर्थिक, रणनीतिक, सैन्य आदि हर मोर्चे पर शिकस्त दी। भारत ने सैकडों चीनी एप्लिकेशन्स पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत ने कई सेक्टर में चीनी निवेश को ब्लॉक कर दिया, जैसे कोयला सेक्टर। भारत ने चीनी इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को झटका देने की पूरी व्यवस्था कर ली है। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल आदि कई सेक्टर में कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है, इसके कारण, इनके दाम कई गुना बढ़ गए। जिससे चीन को भारी नुकसान हुआ।
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भारत ने मोबाइल निर्माता कंपनीयों को PLI योजना के तहत अपनी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए मदद दी है, जिससे चीनी मोबाइल सेक्टर को काफी नुकसान होगा, जिसका अब तक भारतीय बाजार पर कब्जा था। अब भारत सरकार प्रोसेस्ड फूड के मामले में चीनी वर्चस्व खत्म करने की तैयारी में है। खिलौना निर्माण जैसे क्षेत्र, जिसमें भारत कभी सक्रिय नहीं रहा था, वहाँ भी भारत ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। फार्मा सेक्टर की बात करें तो भारत ने चीन को सालों से यहाँ मात दी हुई है।
विदेश नीति के मोर्चे पर भी भारत ने चीन को अपनी वैक्सीन मैत्री योजना से करारी शिकस्त दी है। भारत ने ताइवान के साथ अप्रत्यक्ष रूप से कूटनीतिक संबंध मजबूत करने शुरू कर दिए हैं। वहीं सीमा पर भी चीन को इतना हाथ पैर मारने का कोई लाभ नहीं हुआ। उल्टे भारत ने चीनी सेना की शक्ति का तिलिस्म तोड़ दिया। भारतीय वीरों ने गलवान और फिर ऑपरेशन ब्लैकटॉप में जैसी वीरता दिखाई उसने चीनी सेना का मनोबल तोड़ दिया।
कम्युनिस्ट गिद्ध स्वभाव के होते हैं, और जिनपिंग दुनियाभर के कम्युनिस्टों के मालिक हैं। उन्हें भारत में आई वुहान वायरस की दूसरी लहर, एक अवसर लग रही है। लेकिन जिनपिंग को भारत के आत्मबल का अंदाजा नहीं है। सम्भवतः उन्हें अपनी सेना के उन सैनिकों से इस बारे में जानकारी जुटानी चाहिए, जिन्होंने हिमालय के पहाड़ों में भारतीयों की हिम्मत और दृढ़ता देखी है।