‘कांग्रेस हिन्दू विरोधी है’, कांग्रेसी टूलकिट ने हिन्दुओं के प्रति नफरत को किया उजागर
जिस तरह सबको पता है कि सूर्योदय पूर्व दिशा से होता है, ठीक उसी तरह कांग्रेस के इतिहास को देखकर कहा जा सकता हे कि वो देश की एक हिन्दू विरोधी पार्टी है। कांग्रेस ने समय-समय पर ये साबित भी किया है, लेकिन टूलकिट प्रकरण के बाद तो ये पूर्णतः साबित हो गया है कि कांग्रेस हिन्दुओं की संस्कृति और रीति-रिवाजों से घृणा करने की पराकाष्ठा पार कर चुकी है। इस टूलकिट में जिस तरह से कुंभ को कोरोना का सुपर स्प्रेडर बताने की बात कही गई है, वो कांग्रेस के हिन्दू विरोधी होने का प्रमाण हैं। इतना ही नहीं ईद को लेकर चुप्पी साधने का संदेश ये भी दिखाता कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति न छोड़ने से बाज नहीं आ रही है।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जब ये कह चुके हों कि वो एक्सीडेंटल हिन्दू हैं, तो फिर उस पार्टी का बंटाधार होना तो तय ही है। हालांकि, इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हिन्दुओं के प्रति कोई नफरत नहीं दिखी, लेकिन उनके जाने के बाद और सोनिया गांधी के सक्रिय राजनीति में आने के साथ ही कांग्रेस में हिन्दू विरोधी लहर बहने लगी। यूपीए सरकार के दौरान बने एनएसी के जरिए सोनिया साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक-2011 को कानून बनाने की तैयारी कर चुकी थीं। उस दौरान विपक्ष और गठबंधन की पार्टियों के कारण ये हो न सका, लेकिन ये साबित हो गया कि अब कांग्रेस हिंदुओं से नफ़रत के लिए निचले स्तर तक गिर चुकी है।
कोरोना काल में अपनी टूलकिट के जरिए देश में भय का माहौल पैदा करने में भी कांग्रेस ने हिन्दुओं के विरोध का ही सहारा लिया है। इसको लेकर खुद बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने बताया कि कैसे कांग्रेस ने कुंभ और ईद के बीच विरोध का एक अजीब-गरीब रास्ता चुना था। संबित ने कहा, “टूल किट में पार्टी की तरफ से अपने लोगों को कहा गया था कि कुंभ को कोरोना का सुपर स्प्रेडर इवेंट बताते हुए यह कहना है कि सरकार ने इस इवेंट को अपनी मंजूरी दी थी। ईद की भीड़ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करनी है और कुंभ तथा ईद की भीड़ की तुलना से भी बचना है।”
कांग्रेस अब इन आरोपों को गलत बताते हुए बचने की कोशिश कर रही है, लेकिन अगर पिछले वक्त के कांग्रेस के रवैए को देखें तो पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हरिद्वार में आयोजित कुंभ को कोरोना का सुपर स्प्रेडर बनाने में पूरा जोर लगाया है। इतना ही नहीं पंजाब से लेकर बंगाल, हैदराबाद, भोपाल आदि जगहों पर ईद के दौरान जमा हुई भीड़ का कोई जिक्र तक नहीं है। ये दिखाता है कि कांग्रेस भले ही कांग्रेस टूलकिट से खुद को अलग करने की बात कह रही है, लेकिन वो उसी टूलकिट के अनुसार सारे काम कर रही थी।
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हिन्दू विरोधी नीति और मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण कांग्रेस ने अपना राजनीतिक अस्तित्व गंवा दिया है। यही कारण है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली जबरदस्त हार के बाद हार की समीक्षा के लिए बनी एंटनी कमेटी की रिपोर्ट में कहा था कि कांग्रेस को मुस्लिम समर्थक छवि का नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं कमेटी की बातों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस नेताओं, (राहुल, प्रियंका) ने मंदिरों के भ्रमण किए लेकिन पार्टी को कुछ खास फायदा नहीं हुआ, क्योंकि हिन्दू विरोध पार्टी के खून में शामिल है।
वहीं अब टूलकिट के जरिए एक बार फिर सामने आया है कि कांग्रेस चाहे जितनी भी नौटंकियां कर ले, लेकिन उसकी नीयत हमेशा हिन्दू विरोधी और मुस्लिम तुष्टीकरण वाली ही रहेगी और ये हिन्दुओं के उससे विमुख होने की मुख्य वजह है।