भारत की लिबरल मीडिया और कांग्रेस पार्टी के बीच साँठ-गांठ शुरू से ही देखने को मिलती रही है। जब भी कांग्रेस पार्टी पर कोई विपत्ति आती है, तो तुरंत यह लिबरल मीडिया उसके बीच-बचाव में कूद पड़ती है। ऐसा ही कुछ Toolkit मामले पर भी देखने को मिला है। एक तरफ जहां पूरे सोशल मीडिया पर मंगलवार को कांग्रेस Toolkit का मामला ट्रेंड कर रहा था, तो वहीं देश की मेनस्ट्रीम लिबरल मीडिया ने इस पर चुप्पी साधे रखी। लुटियन्स मीडिया ने इस खबर को दबाने की भरपूर कोशिश की। हालांकि, सोशल मीडिया पर यूजर्स ने कांग्रेस की खटिया खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
दरअसल, हाल ही में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने मीडिया के सामने कांग्रेस पार्टी की Toolkit का पर्दाफाश किया था। इस Toolkit में विस्तार से लिखा गया था कि कैसे केंद्र सरकार की छवि को धूमिल किया जाए। इतना ही नहीं, टूलकिट में सिस्टमाइज तरीके से केंद्र सरकार को घेरने की और कोरोना महामारी में ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक फायदा बटोरने की बात कही गई है।
हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के इतने बड़े कांड के खुलासे के बाद भी यह मुद्दा मुख्यधारा मीडिया के प्राइम टाइम डिबेट का हिस्सा नहीं बन पाया। देश के जाने-माने अखबार द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू , दैनिक जागरण इत्यादि के लिए यह खबर फ्रंट पेज पर जगह भी नहीं बना पाई। वामपंथी पत्रकार जैसे राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त ने इस मुद्दे पर एक ट्वीट करना भी मुनासिब नहीं समझा।
कांग्रेस पर सवालिया निशान खड़ा करने वाली इस खबर पर देश की मुख्यधारा मीडिया की चुप्पी बहुत कुछ बयां कर रही है। यह इस बात को भी सत्यापित करता है कि यह लुटियन्स मीडिया भी कांग्रेस की Toolkit gang का ही हिस्सा थी। कांग्रेस का Toolkit बिना लुटियंस मीडिया के सहयोग के काम भी नहीं आता। अर्थात मीडिया ने कांग्रेस के एजेंडे को खूब चलाया और जब कांग्रेस रंगे हाथों पकड़ी गई तो मीडिया ने चुपचाप अपनी आँखें इस मुद्दे पर बंद कर ली।
उदाहरण के लिए राजस्थान और पंजाब में जब खराब वेंटिलेटर पाए गए थे तो मीडिया ने केंद्र सरकार के ऊपर सवाल खड़े किए थे। हालांकि, जब कांग्रेस का Toolkit में सच सामने आया तो ये सब निशब्द हो गए। आपको बता दें कि ऐसे तमाम उदाहरण है जिसके कारण लुटियंस मीडिया इस मामले को तवज्जो नहीं दे रही है।
आज हम कांग्रेस पार्टी की नीचता की चर्चा इसलिए कर पा रहे है क्योंकि आज सोशल मीडिया का युग है। सोशल मीडिया यानी ट्विटर और फेसबुक पर यह बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन टीवी और अखबार में यह खबर गायब दिखाई देती है। यह साबित करता है कि कांग्रेस पार्टी और देश की मेनस्ट्रीम लिबरल मीडिया एक ही थाली के चट्टे-बट्टे है।