कोरोना के बीच एक बार फिर से किसान आन्दोलन जोर पकड़ने लगा है। किसानों ने आज एक बड़े प्रदर्शन का आयोजन किया है। इसी क्रम में हरियाणा की खट्टर सरकार का एक हैरान कर देने वाला फैसला सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा का हिसार प्रशासन 350 किसानों के खिलाफ 16 मई को दर्ज किए गए सभी मामले वापस लेने को तैयार हो गया है। सोमवार यानी 25 मई को एक और बड़े प्रदर्शन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा और जिला प्रशासन के बीच हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। जिस तरह से 16 मई को किसानों के उपद्रव के बावजूद उनके खिलाफ दर्ज मामलों को खट्टर सरकार ने वापस लिया है उससे यह स्पष्ट होता है कि अब सरकार में खट्टर की नहीं, बल्कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की चलती है। बता दें कि चौटाला पहले से ही किसानों के समर्थन में रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार सबसे पहले 16 मई को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामले वापस लिए जाएंगे। यही नहीं 16 मई को पुलिस द्वारा क्षतिग्रस्त किए गए किसानों के वाहनों की मरम्मत भी प्रशासन करवाएगा; और साथ में मृतक किसान रामचंद्र के पात्र परिजन को सरकारी नौकरी प्रदान की जाएगी।
दरअसल,16 मई को हिसार में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कोविड अस्पताल का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इस दौरान किसानों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसके बाद पुलिस और किसानों के बीच झड़प भी हुई थी। पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े थे। 16 मई को हुई इस झड़प में दर्जनों किसान घायल हुए थे। इसमें 5 महिला कॉन्स्टेबल समेत 20 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। इस मामले में 350 किसानों पर आईपीसी की 11 अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया। अब खट्टर सरकार द्वारा 350 किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए गए हैं। जिस प्रकार से मुख्यमंत्री अभी भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं उससे ऐसा लगता है कि सरकार को अब चौटाला नियंत्रित कर रहे हैं।
बता दें कि हरियाणा में इस वक्त बीजेपी शासित एनडीए की सरकार है। राज्य की विधानसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में गठबंधन की सहयोगी पार्टी जेजेपी है और उसके नेता दुष्यंत चौटाला राज्य के उप-मुख्यमंत्री हैं।
अब ऐसा लगता है कि दुष्यंत चौटाला के एजेंडे के दबाव में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को ऐसा फैसला लेना पड़ रहा है। देखा जाये तो बीजेपी का यह रुख नहीं है कि वह इस तरह से किसानों के सामने झुके। न ही केंद्र सरकार में और न ही अन्य राज्यों में जहाँ बीजेपी की सरकार है। परन्तु हरियाणा सरकार लगातार हैरान कर देने वाले फैसले ले रही है जिससे यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि वह चौटाला के दबाव में आकर ऐसे निर्णय ले रही है।
कुछ दिनों पहले हरियाणा के उप मुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी के प्रमुख दुष्यंत चौटाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत करने का आग्रह किया। पत्र की भाषा में चौटाला का किसानों के प्रति झुकाव साफ नजर आ रहा था। पत्र में चौटाला ने किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तीन से चार कैबिनेट सदस्यों की एक कमेटी बनाने को कहा था। चौटाला ने कथित किसानों को “अन्नदाता” का भी खिताब दिया है।
और पढ़े: ‘सभी को मुफ्त कफन देंगे,’ झारखंड के CM हेमंत सोरेन की मानवीय पहल
इससे पहले पहले इसी तरह हरियाणा सरकार ने उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के दबाव के कारण राज्य के लोगों को निजी कंपनियों में नौकरी के लिए 75 फीसदी का आरक्षण का फैसला किया था। ये वादा जेजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला ने ही चुनाव में नौकरियों के मुद्दे पर किया था, और बीजेपी को गठबंधन के चलते इस विधेयक को पारित करना पड़ा था। अपने एजेंडे को पूरा होता देख दुष्यंत चौटाला ने काफी खुशी जाहिर की थी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, “हरियाणा के लाखों युवाओं से किया हमारा वादा आज पूरा हुआ है। अब प्रदेश की सभी प्राइवेट नौकरियों में 75% हरियाणा के युवा होंगे। सरकार का हिस्सा बनने के ठीक एक साल बाद आया ये पल मेरे लिए भावुक करने वाला है। जननायक की प्रेरणा और आपके सहयोग से सदैव आपकी सेवा करता रहूं, यही मेरी कामना है।” इस कदम का व्यावसायिक समुदायों ने पुरजोर विरोध किया था। हरियाणा में भी अब भाजपा को अपने सहयोगी दल JJP की वजह से ही किरकिरी झेलनी पड़ रही है।
हरियाणा में बीजेपी ने गठबंधन की राजनीति और दुष्यंत चौटाला के दबाव में ऐसे फैसला ले रही है जो कि हरियाणा के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है। अगर कोई यह सवाल पूछे कि क्या दुष्यंत चौटाला हरियाणा की बागडोर रिमोट से चला रहे हैं? तो इसका जवाब हां होगा क्योंकि किसान आन्दोलन के खिलाफ किये गए केस को वापस लेने का फैसला और सीएम खट्टर की चुप्पी तो ऐसा ही कहती है। आने वाले समय में इसके भयंकर दुष्परिणाम सामने आने वाले हैं और उसकी जिम्मेदारी सीधी बीजेपी के ही हिस्से आएगी क्योंकि वो इस गठबंधन का मुख्य तौर पर नेतृत्व कर रही है।