हाल ही में DRDO और डॉक्टर रेड्डी ने साथ मिलकर कोविड-19 से लड़ने के लिए जीवन रक्षक दवा 2-DG तैयार की गई है। DRDO के दावे के मुताबिक 2-DG 3 दिन में बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के 50 प्रतिशत मरीजों को ठीक किया है। ऐसी जीवन रक्षक दवा के खिलाफ देश में मुहिम से चलाई जाने लगी है। कुछ कथित एक्सपर्ट्स और सलाहकार 2-DG की प्रभावकारिता के ऊपर सवाल उठाने लगे है।
हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है जब भारत में निर्मित दवाओं के ऊपर उंगली उठाई गई हो। इससे पहले भारत बायोटेक द्वारा बनाए गए COVAXIN टीका के खिलाफ भी इसी प्रकार की मुहिम छेड़ी गई थी,लेकिन आज सच सभी के सामने है। COVAXIN टीका सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया भर के लोगों के ऊपर भी असरदार है।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2- DG के शोध पत्र के लेखकों में पतंजलि आयुर्वेद के तीन (पल्लवी ठाकुर; नरसिंह चंद्र देव और अनुराग वार्ष्णेय) शामिल हैं; विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (शिवम सिंह) ; जैन विश्वभारती संस्थान (विनी जैन) और चेन्नई स्थित SIMATS के कुलपति, सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज, (राकेश कुमार शर्मा) शामिल है।
महाराष्ट्र के कोविड टास्क फोर्स के कुछ डॉक्टर इसके बावजूद भी 2-DG के इस्तेमाल को लेकर संशय में हैं। महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स के विशेषज्ञ सदस्य डॉ शशांक जोशी ने कहा,“मैं इसे केवल अनुसंधान मोड में उपयोग करूंगा क्योंकि हमारे पास सार्वजनिक डोमेन में डेटा नहीं है। डायबिटीज और कोरोनरी धमड़ी की बीमारी वाले लोगों की आबादी में अध्ययन नहीं किया गया है। यह दवा हल्के से मध्यम रोग में उपयोगी हो सकती है।”
कुछ डॉक्टरों के संदेह जताने के आधार पर, मुख्यधारा मीडिया ने धारणा बना कर जनता के मन में 2-डीजी दवा के बारे में संदेह पैदा करना शुरू कर दिया है। ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने कोरोना वायरस के टीकों के मामले में किया था। जिसके कारण आज भी लोगों के अंदर वैक्सीन को लेकर संकोच है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने एक लेख प्रकाशित किया था, जिसका शीर्षक ‘Regulators nod cuts little ice with doctors; experts flag unreliable clinical data’ था। इसी तरह, द इंडियन एक्सप्रेस सहित कई अन्य मीडिया घरानों ने 2-DG दवा की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए लेख प्रकाशित किए।
हालांकि, दिल्ली के अस्पतालों के शीर्ष डॉक्टर 2-DG दवा के बारे में उत्साहित हैं क्योंकि इसका संस्करण पहले ही कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है। इतना ही नहीं, यह 2-डीजी दवा तीन चरणों के परीक्षण से गुजरी है और सभी वैज्ञानिक आवश्यकताओं को पूरा करती है।
लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल के चिकित्सा निदेशक सुरेश कुमार ने कहा कि, “हमें यह देखना होगा कि यह निर्धारित करने के बाद यह कितना अच्छा प्रदर्शन करती है। अभी तक यह चुनिंदा केंद्रों पर ही उपलब्ध है। एक बार जब हम इसे प्रयोग में लाएंगे तो देखेंगे यह काम कर सकती है, क्योंकि ऑक्सीजन एक ऐसी चीज है जिसकी अधिकांश रोगियों को आवश्यकता होती है।”
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आपको बता दें कि, इससे पहले भी भारत में वामपंथी मीडिया और विपक्षी राजनेताओं ने पश्चिमी लिबरल मीडिया और बड़ी फार्मास्युटिकल लॉबी के साथ मिलकर भारत के टीकाकरण आभियान को पटरी से उतारने की कोशिश कर चुके है। उसी प्रकार इस बार 2-DG के खिलाफ किया जा रहा है।