अब उत्तर प्रदेश सरकार के बाद हरियाणा सरकार ने भी उपद्रवी किसानों पर लगाम लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। दरअसल, हाल ही में हरियाणा में प्रॉपर्टी डैमेज रिकवरी कानून को लागू किया गया है। यह कानून राज्य के अधिकारियों को हिंसक प्रदर्शन के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले हिंसक प्रदर्शनकारियों से मुआवज़ा वसूलने की अनुमति प्रदान करता है।
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में ही प्रॉपर्टी डैमेज रिकवरी अधिनियम को अधिसूचित किया था।
राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने आगे कहा कि,”राज्य में इस अधिनियम के लागू होने से किसी भी आंदोलन की आड़ में लोगों की दुकानों, घरों, सरकारी कार्यालयों, वाहनों, बसों और अन्य सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से ही की जाएगी।”
बता दें कि राज्य की विधानसभा ने पिछले महीने हरियाणा वसूली विधयक 2021 को पारित किया था। अब इसे राज्य के राज्यपाल सत्यदेव नारायण सिंह ने अपनी सहमति दे दी है।
प्रॉपर्टी डैमेज रिकवरी कानून पारित होने के बाद सरकार को राज्य में “दावा न्यायाधिकरण” स्थापित करने का प्रावधान करना होगा, जिससे संपत्तियों को हुए नुकसान के मुआवजे की याचिकाओं पर निर्णय लिया जा सके।
बता दें कि इन ट्रिब्यूनलों की अध्यक्षता हरियाणा सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस के अधिकारी करेंगे, जिन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से नियुक्त किया जाएगा।
यह ट्रिब्यूनल हिंसा में हुए नुकसान के आर्थिक दायित्व का निर्धारण करेगी, मुआवजे के दावों का आकलन करेगी और नुकसान का मौद्रिक मूल्य भी तय करेगी, और इसके बाद उपयुक्त मुआवजा प्रदान करने हेतु फैसला सुनाएगी।
गौरतलब है कि प्रॉपर्टी डैमेज रिकवरी कानून उपद्रवी किसानों के उपद्रव से निपटने के लिए लाया गया है। हरियाणा और पंजाब के कथित किसान, जो कई दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर डेरा जमा कर बैठे हैं, यह कानून उनके प्रदर्शन के ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकता है। बता दें कि कई प्रदर्शन स्थलों में से एक बहुचर्चित टिकरी बॉर्डर भी है, जो कि हरियाणा के टिकरी गांव के समीप है। ऐसे में यह कानून आने के बाद से उपद्रवियों को मनोबल टूटना तय है।
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हाल ही में हरियाणा की खट्टर सरकार ने अपने गठबंधन के साथी दुष्यंत चौटाला के दबाव में आकर किसानों के विरुद्ध किए गए सारे मुकदमे वापस लेने पड़े थे। उनमें हिंसा और सरकारी संपत्ति के साथ तोड़ – फोड़ जैसे संगीन मामले भी शामिल थे। हालांकि, अब नए कानून के लागू होने के बाद खट्टर सरकार ने अपनी मंशा साफ ज़ाहिर कर दी है, नकली किसानों की गुंडई को किसी भी कीमत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।