“कहीं पोल पट्टी न खुल जाये”, केजरीवाल ने किया Oxygen की खपत की जांच का पुरजोर विरोध

दिल्ली के नाम की Oxygen को आखिर कौन खींच रहा है?

केजरीवाल

(PC: Yahoo News India)

दिल्ली में ऑक्सीजन की समस्याओं को लेकर आए दिन छाती पीटने वाली दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार का एक अजीबो-गरीब चेहरा सामने आया है।  दिल्ली में ऑक्सीजन की खपत का ऑडिट कराने से दिल्ली सरकार ने साफ़ इंकार कर दिया है, और इसलिए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केन्द्र सरकार की याचिका को रद्द कर मांग की है जिसमें अन्य राज्यों को दी जाने वाली ऑक्सीजन क़े ट्रांसपोर्टेशन का ऑडिट करने की मांग की गयी है। यह दिखाता है कि दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर अब बैकफुट पर आ गई है। इसीलिए अब वो बचने की कोशिश कर रही है और ऑडिट की मांग को नकार रही है, क्योंकि इससे दिल्ली सरकार की पोल खुल सकती है।

दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से सर्वोच्च अदालत में याचिका के जरिए मांग की गई थी कि दिल्ली में ऑक्सीजन के खपत के संबंध में ऑडिट होना चाहिए, लेकिन दिल्ली सरकार इस मामले में पीछे हटती नजर आ रही है। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दिल्ली को 700 मिट्रिक टन की जगह 730 टन ऑक्सीजन प्रतिदिन दी जा रही है, लेकिन एक रिसर्च में सामने आया है कि बेहतर ट्रांसपोर्टेशन के जरिए इस 700 टन की खपत को 500-600 टन के बीच सीमित किया जा सकता है, और इसलिए खपत का ऑडिट आवश्यक है।”

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इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील राहुल मेहरा ने कहा, “दिल्ली के कई अधिकारी ऑक्सीजन वितरण देख रहे हैं, लेकिन ऑक्सीजन लिफ्ट कर हॉस्पिटल तक पहुंचाना सप्लायर का काम होता है।” उन्होंने कहा, “हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। ऑक्सीजन वितरण में समय लगता है। जो टैंकर खाली हैं, उन्हें भी केंद्र नहीं उठा रहा।” ऑक्सीजन ऑडिट का विरोध करते हुए उन्होंने कहा, “पंजाब, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र समेत कई राज्य हैं, जिन्हें उनकी मांग के बराबर या ज़्यादा ऑक्सीजन दिया जा रहा है। दिल्ली के बारे में कहा जा रहा कि उसे ऑक्सीजन देने के लिए दूसरे राज्यों से कटौती करनी पड़ रही है। कोर्ट केंद्र से इस पर लिखित हलफनामा ले। अगर ऑडिट होना है तो पूरे देश का हो।”

साफ है कि दिल्ली सरकार का सप्लाई करने का सिस्टम बेहद ही लचर है, जिसमें कई सारे झोल‌ हैं। पहले दिल्ली की केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन के लिए केंद्र पर हमला बोल रही थी, लेकिन जब 730 टन ऑक्सीजन की सप्लाई होने लगी तो अब दिल्ली सरकार ये सारी ऑक्सीजन मुफ्त में होम आइसोलेशन के मरीजों को देने को राजी हो गई है। होम आइसोलेशन में रहने वाले ज्यादातर मरीज माइल्ड सिम्टम्स वाले होते हैं। ऐसे में उन्हें मुफ्त ऑक्सीजन देना बर्बादी हो सकती है, जो कि केजरीवाल की मुफ्त की मलाई वाली योजना की तरह प्रतीत होता है।

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देश के कई राज्य ऐसे हैं, जहां लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है, और अब जब दिल्ली सरकार को मिल रही है तो वो अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चक्कर में उसे मुफ्त बांटने की बात कह रही है जो कि असल में भ्रष्टाचार और बर्बादी की वजह बन सकता है। इसीलिए केन्द्र सरकार ऑक्सीजन की खपत का ऑडिट कराना चाहती है। केजरीवाल सरकार को पता है कि ऑडिट से उनके सभी ऑक्सीजन से जुड़े काले कारनामे सामने आ जाएंगे, इसीलिए अब दिल्ली सरकार केन्द्र सरकार की ऑक्सीजन खपत के ऑडिट की मांग का विरोध कर रही है।

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