बिहार की राजनीति में कोरोना को लेकर लगातार नौटंकी देखने को मिल रही हैं। ऐसा नहीं है कि राज्य में सारी व्यवस्था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन में अच्छी ही हैं, लेकिन कुछ को लेकर भ्रम भी फैलाया जा रहा है। ऐसे में जन अधिकार पार्टी के मुखिया पप्पू यादव सड़कों पर उतर कर नीतीश शासन के विरोध में राजनीति करने लगे हैं। पप्पू यादव मदद का दिखावा कर अपनी छवि और राजनीति, दोनों चमका रहे थे जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों ने नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सभी विपक्षी दलों ने नीतीश की आलोचना करते हुए पप्पू की रिहाई की मांग की है लेकिन इस मुद्दे पर आरजेडी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है, और लालू यादव का परिवार मुंह में दही जमाए बैठा है।
दो दिन पहले ही जन अधिकार पार्टी के मुखिया पप्पू यादव को बिहार पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी को लेकर चारों तरफ पुलिस समेत नीतीश प्रशासन की निंदा हो रही है। वहीं इस मामले में पुलिस का कहना है कि कोरोना काल में प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने और लॉकडाउन की अवहेलना करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। इसके इतर जनाधिकार पार्टी के अन्य सभी नेता इस मुद्दे पर आरोप लगा रहे हैं कि पप्पू यादव ने बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी के तथाकथित “एंबुलेंस घोटाले” की पोल खोली, इसलिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
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इस मुद्दे पर बीजेपी समेत आरजेडी नेता लॉकडाउन का हवाला दे रहे हैं तो वहीं कांग्रेस पूर्ण रूप से पप्पू यादव के समर्थन में उतर आई है। इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस से सांसद रह चुकीं हैं। रंजीत रंजन ने इस गिरफ्तारी को साजिश बताते हुए ट्वीट कर कहा, “नीतीश जी, पप्पू जी कोरोना नेगेटिव हैं, अगर वह पॉजिटिव हुए तो आपको इस साजिश में शामिल चार लोगों एवं एम्बुलेंस चोरों को CM आवास से निकाल बीच चौराहे पर नहीं खड़ा किया तो मेरा नाम रंजीत रंजन नहीं।” बिहार में एक नेता की गिरफ्तारी पर इतना बड़ा बवाल हो जाए और उसमें लालू यादव की पार्टी या परिवार का एक बयान भी न आए… ये एक अजीबो गरीब स्थिति है, लेकिन इसके पीछे भी राजनीति ही है।
नीतीश जी
पप्पू जी कोरोना निगेटिव हैं, अगर वह पॉजिटिव हुए तो आपको, इस साजिश में शामिल चार लोगों एवं एम्बुलेंस चोरों को CM आवास से निकाल बीच चौराहे पर नहीं खड़ा किया तो मेरा नाम रंजीत रंजन नहीं।
— Ranjeet Ranjan (@Ranjeet4India) May 12, 2021
आरजेडी के नेता और प्रवक्ता इस पूरे प्रकरण को नीतीश-पप्पू की प्लानिंग और नौटंकी करार दे रहे हैं। वहीं दिलचस्प बात ये है कि केरल से लेकर कश्मीर तक की राजनीति पर अपनी राय देने वाले लालू यादव के बेटों, तेजस्वी और तेज प्रताप ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। एक और अजीब बात ये भी है कि लालू यादव इस समय जमानत पर बाहर हैं लेकिन फिर भी न तो उन्होंने, न ही परिवार के किसी अन्य सदस्य ने इस मामले में कुछ बोला है। लालू परिवार की ओर से इस मुद्दे पर एक ट्वीट तक नहीं किया गया जो कि आश्चर्यजनक है, हालांकि इसके पीछे भी लालू परिवार की रणनीति है।
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दरअसल, लालू यादव के परिजनों समेत आरजेडी को लगता है कि यदि पप्पू यादव के मामले में जितना ज्यादा बोला जाएगा, तो वो उतने बड़े हीरो बन जाएंगे और बिहार की राजनीति में इसका सीधा नुकसान आरजेडी को होगा। इसके कारण उनके बेटों का राजनीतिक जीवन बर्बाद हो सकता है।
अपने बेटों के राजनीतिक भविष्य की चिंताओं के चलते ही पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर लालू का परिवार कुछ भी बोलने से बच रहा है। लालू परिवार को पता है यदि वो इस मुद्दे पर बोलेंगे तो पप्पू यादव का हीरो बनना उनके बेटों को नुक़सान पहुंचाएगा, और यदि नीतीश कुमार का ज्यादा विरोध किया तो भी बर्बादी उनके बेटों के भविष्य की ही होगी। ऐसे में लालू परिवार ने चुप्पी साधना ही बेहतर समझा है।