इस वर्ष हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में जिस तरह से भाजपा ने प्रदर्शन किया है उससे न सिर्फ भाजपा की विधान सभा सीटों में इजाफा हुआ है बल्कि वह एक Pan-India पार्टी बन चुकी है। उत्तर और पूर्वोतर में सफलता के बाद दक्षिणी राज्य ही ऐसे थे जहाँ भाजपा राजनीति में नगण्य थी। परन्तु इस बार की बढ़त ने अब भाजपा को एक Pan-India पार्टी बना दिया है।
भाजपा ने न सिर्फ पश्चिम बंगाल में 3 सीटों से अपने आकंड़ों को 76 किया बल्कि दक्षिणी राज्यों जैसे तमिलनाडु और पुडुचेरी में अपना में भी अपने वोट शेयर को बढ़ाने के साथ विधानसभा सीट जीतने में कामयाब रही है।
भारतीय जनता पार्टी ने दक्षिण, खासकर तमिलनाडु और पुडुचेरी में कुछ महत्वपूर्ण चुनावी कद को बढ़ाया हैं, जहां पिछले चुनावों से उसका वोट प्रतिशत बढ़ा है। हालाँकि केरल में सीटों के लिए फायदा नहीं हुआ है तो घाटा भी नहीं हुआ है, वह भी तब जब LDF ने जबरदस्त जीत हासिल की है।
बता दें कि 20 वर्षों के अंतराल के बाद, भाजपा ने तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में चार सीटें जीती हैं। यही नहीं पुडुचेरी में भी दो दशकों के बाद अपना खाता खोला, जहां चुनाव से पहले कोई उपस्थिति नहीं थी। पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा के तीन विधायक में से सभी सभी नामित सदस्य थे।भाजपा ने पुडुचेरी में छह सीटें जीतीं और NDA में वरिष्ठ सहयोगी अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस (एआईएनआरसी) के साथ गठबंधन में एनडीए सरकार बनाने के लिए तैयार है।
बता दें कि भाजपा ने एक लंबा सफर तय करते हुए पुडुचेरी में 2001 में सिर्फ एक विधायक और 2016 और 2021 के बीच तीन मनोनीत सदस्यों में से अब 6 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में बैठे जा रही है।
वहीँ तमिलनाडु में, भाजपा ने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के नेतृत्व वाले गठबंधन में केवल 20 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से चार में उसने जीत दर्ज की। BJP ने Tirunelveli, Nagercoil, Modakurichi और कोयंबटूर दक्षिण में जीत दर्ज की।
इस जीत में यह ध्यान देने वाली बात है कि कोयम्बटूर दक्षिण में भाजपा की राष्ट्रीय महिला विंग की अध्यक्ष Vanathi Srinivasan ने अभिनेता कमल हासन पराजित किया। पार्टी को कुल वोट शेयर का 2.62% हिस्सा मिला जो पहले से अधिक है।
हालांकि यह स्पष्ट है कि तमिलनाडु में अभी भी द्रविड़ पार्टियों का ही बोलबाला है, लेकिन भाजपा के छोटे लाभ को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है, वह भी तब जब पश्चिम बंगाल में 3 सीटों से अब 77 तक पहुँच चुकी है। अब नेताओं को इस बढ़त से एक नया जोश मिलेगा और 2026 के विधानसभा चुनावों में और अधिक सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य होगा। भाजपा के तमिलनाडु चुनाव प्रभारी रवि ने कहना है कि, ‘जीत ने हमारी पार्टी के विकास की ठोस नींव रखी है।’
जमीन पर, भाजपा ने अपनी बूथ समितियों को भी मजबूत किया, जिसमें से 48,000 से अधिक सक्रिय हैं। अगर यह सिलसिला जारी रहता है, तो इससे दक्षिणी राज्यों में भी पार्टी को उत्तर की तरह, अगले चुनावों में मदद मिलेगी।
वहीँ तेलंगाना को देखा जाये तो जिस तरह से भाजपा ने प्रदर्शन किया उससे भी उसके बढ़ते कद का अंदाजा लगाया जा सकता है। 2019 के लोक सभा चुनावों के दौरान भी भाजपा ने तेलंगाना में चार सीटों (17 में से) के साथ लगभग 20 प्रतिशत वोट भी जीता था। यही नहीं भाजपा ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में असाधारण प्रदर्शन किया और टीआरएस पिछले चुनाव में 99 सीटों की तुलना में केवल 56 सीटों पर ही सिमट गई थी, जबकि भाजपा ने अपनी संख्या चार से 48 सीटों पर पहुंचा दी है।
वहीँ एक दक्षिणी राज्य कर्नाटक में तो भाजपा सत्ता में ही बैठी है। इस राज्य में भी देखा जाये तो भाजपा ने कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों के लगातार दबाव के बावजूद अपनी पकड़ बनाये रखी है। 2019 के लोक सभा चुनावों में तो भाजपा ने 51 प्रतिशत से अधिक वोट के साथ 28 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
वहीँ 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और जेडीएस को मामूली बढ़त मिली थी जिससे वह सरकार बनाने में सफल रही। परन्तु 2019 में जेडीएस के 15 MLA के इस्तीफे के बाद सरकार गिर गयी और 15 सीटों में उप चुनाव कराने पड़े।
इन 15 सीटों में से 12 पर जीत दर्ज कर भाजपा कर्नाटका विधानसभा में 120 सीटों के साथ बहुमत में आ गयी और एक बार फिर से सरकार बनाने में सफल रही। अब जिस तरह से भाजपा ने इस बार के विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन किया है उससे यह बात साबित होती है कि वह दिन दूर नहीं जब सभी दक्षिणी राज्यों में भाजपा पांव जमा लेगी।