यह पहली बार है जब कोई गवर्नर अपने ही राज्य में सुरक्षित नहीं है, वह राज्य है पश्चिम बंगाल

गवर्नर खतरे में हैं, आम लोगों के हाल की कल्पना कर लीजिये!

पश्चिम बंगाल Governor

(PC: National Herald)

पश्चिम बंगाल भारत में सबसे भयंकर सियासी टकराव वाला राज्य बन गया है। पूरे प्रदेश में भाजपा कार्यकताओं के साथ हिंसा की गई। मुस्लिम बहुल इलाकों में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों पर हुए हमले हुए, इन कारणों से पहले ही राज्य की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में थी, किंतु अब यह टकराव राजभवन के दरवाजे तक पहुंच गया है

हाल ही में जब CBI ने सोमवार की सुबह बड़ी कार्रवाई करते हुए नारदा केस में पश्चिम बंगाल सरकार के दो मंत्रियों व एक विधायक समेत चार नेताओं को गिरफ्तार किया, तो तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने भयंकर उत्पात किया। ममता बनर्जी के नेतृत्व में कार्यकर्ता न सिर्फ CBI दफ्तर का घेराव करने पहुंचे बल्कि उन्होंने सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी भी की।

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लेकिन स्तरहीनता पर उतारू तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की ओर से प्रदर्शन का ऐसा तरीका खोजा गया है, जो पश्चिम बंगाल में समाप्त हो चुकी लोकतान्त्रिक स्वीकार्यता को दिखाता है। तृणमूल का एक कार्यकर्ता भेड़ों के साथ राजभवन पहुंच गया। उसने बाकायदा राजभवन के सामने, पश्चिम बंगाल पुलिस की मौजूदगी में भेड़ों के साथ तसवीरें खिंचवाई।

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बिना सरकारी संरक्षण के कोई व्यक्ति अपनी भेड़ लेकर राजभवन तक कैसे आ सकता है, जबकि राजभवन के आस पास के इलाके में धारा 144 लागू रहती है। कल्पना करें कि राज्य सरकार राज्यपाल के मानसिक उत्पीड़न के लिए, उन्हें अपमानित करने के लिए किस स्तर तक नीचे गिर चुकी है। ममता लोकतंत्र को तो लगभग खत्म कर ही चुकी हैं, अब वह लोकतंत्र की मूल भावनाओं, सिद्धांतों तक का लिहाज नहीं कर रहीं हैं। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका रवैया कितना अभद्र है। ममता इस बेशर्मी से लोकतांत्रिक मूल्यों को भी दरकिनार इसलिए कर पा रही हैं क्योंकि उन्हें पता है कि मेनस्ट्रीम मीडिया और वामपंथी-उदारवादी इकोसिस्टम कभी भी उनसे सवाल नहीं करेगा।

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यह दुखद है कि राजनीतिक विरोध का स्तर इतना गिर गया है कि संवैधानिक पद पर बैठे लोगों का इस तरह अपमान किया जा रहा है। किन्तु पश्चिम बंगाल में इन दिनों जो हालात हैं, उसे देखकर यह घटना भी अब सामान्य ही लगने लगी है। सीबीआई की कार्रवाई के बाद तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा था कि “राज्यपाल सनकी हैं, खून चूसने वाले हैं। उन्हें यहां एक मिनट भी नहीं रुकना चाहिए। पागल कुत्ते की तरह इधर-उधर घूम रहे हैं।”

जब सांसद अपशब्द का इस्तेमाल कर रहा हो तो कार्यकर्ता पत्थरबाजी और अभद्रता नहीं करेंगे तो और क्या करेंगे। ऐसे राजनीतिक दल के कार्यकर्ता हत्या, रेप, आगजनी ही कर सकते हैं। तृणमूल में कार्यकर्ता से लेकर नेता तक, हर व्यक्ति ममता के वफादार पशु की तरह व्यवहार करता है। तृणमूल ने प० बंगाल का ये हाल बना दिया है कि राज्यपाल को खुलेआम राज्य छोड़ने की धमकी दी जा रही है, जब वह दंगा पीड़ित हिंदुओं से मिलने जा रहे हैं तो उनका रास्ता रोका जा रहा है, पीड़ित हिन्दुओं का हाल पूछने पर उन्हें काले झंडे दिखाए जा रहे हैं।

जिस राज्य में राज्यपाल ही सुरक्षित न हो, उस राज्य में आम लोगों का क्या हाल होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। अभी के हालात देखकर यही कहा जा सकता है कि तृणमूल के गुंडों ने कट्टरपंथी मुसलमानों के साथ मिलकर पूरे पश्चिम बंगाल को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले रखा है।

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