‘हुवावे को भारत की दुलत्ती’, भारत को चीनी हुवावे को उसकी औकात दिखा दी है

भारत अब 5G मोबाइल नेटवर्क से एक कदम की ही दूरी पर है। भारत सरकार के संचार मंत्रलाय ने 5G ट्रायल को अनुमति दे दी है। सरकार ने मंगलवार को कहा कि एरिक्सन, नोकिया और सैमसंग की नेटवर्क इकाई सहित कई उपकरण निर्माताओं के साथ 5G ट्रायल में शामिल होने की अनुमति देगा। हालांकि, इन कंपनियों में चीन का हुवावे शामिल नहीं है। यानी चीन की सबसे दिग्गज दूरसंचार कंपनी हुवावे भारत में होने वाले 5G ट्रायल में हिस्सा नहीं ले सकेगी। यह भारत द्वारा चीन के खिलाफ अपनाये जा रहे रणनीति का ही हिस्सा है जिसके तहत भारत चीनी कंपनियों का बहिष्कार कर रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार संचार मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रमुख कम्पनियां जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज का Jio Infocomm, Bharti Airtel और Vodafone Idea शहरी, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सरकारी कंपनी MTNL के साथ ट्रायल करेंगे। 5G पर लगातार कई महीनों से सस्पेंस बना हुआ था, अब जाकर इस मामले की तस्वीर साफ़ हुई है। बयान में भाग लेने वाले नेटवर्क उपकरण आपूर्तिकर्ताओं के बीच न हो हुवावे का नाम उल्लेख था और न ही उसकी प्रतिद्वंद्वी ZTE का किया गया था।

लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले पर हुवावे ने किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जबकि जेडटीई टिप्पणी के लिए किये गए अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।

बता दें कि हुवावे कंपनी बड़ी आक्रामकता से भारत में 5जी ट्रायल करने के लिए लाइसेन्स प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। चीन की सरकार तो Huawei को लेकर भारत सरकार को धमकी तक दे चुकी है। दरअसल, 2019 के सितंबर में चीन ने भारत को हुवावे के परिचालन के संबंध में कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी। चीन ने कहा था, ‘अगर Huawei पर भारत में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो चीन अपने यहां कारोबार करने वाली भारतीय फर्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वतंत्र होगा’।

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हालांकि, तब भारत के अधिकारियों ने भी चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया था। तब भारत के अधिकारियों ने कहा था कि अगर चीन अपनी चिंताओं को कूटनीतिक माध्यम से भारत सरकार तक पहुंचाता, तो अच्छा रहता। अधिकारियों ने यह भी कहा था कि चीन द्वारा खुले तौर पर भारत को धमकी देने की वजह से अब भारत सरकार के रुख में भी बदलाव आएगा और हुवावे को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया था कि चीन की कंपनी हुवावे को लेकर भारत की चिंताओं को व्यापार नीति नहीं बल्कि सुरक्षा नीति से जोड़कर देखा जाना चाहिए। अब भारत ने चीन की आक्रामकता का जवाब उसी के अंदाज में दिया है और चीनी कंपनी हुवावे को 5G ट्रायल से ही बाहर कर दिया है।

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