तीसरी लहर आने वाली है, उससे निपटने के लिए राज्यों को राजनीति छोड़ युद्ध स्तर पर तैयारी करनी होगी

कुछ राज्य कोरोना महामारी में भी राजनीति करने में लगें है

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देश में covid की दूसरी लहर ने तांडव सा मचा कर रखा है। पहली लहर से आसानी से निपटने वाले भारत की स्वास्थ्य सुविधाएं दूसरी लहर में पूरी तरह चरमरा गईं हैं। ऐसे में ऑक्सीजन की खपत और दवाओं की कमी का असर पूरा देश देख रहा है। केंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि covid की तीसरी लहर अधिक भयावाह हो सकती है। इसके बावजूद राज्य सरकारें आए दिन वैक्सीन से लेकर ऑक्सीजन की समस्याओं को हल करने से अधिक उनके जरिए राजनीति करने में ज्यादा दिलचस्पी रख रही है। उनका ये रवैया दिखाता है कि जब देश को खतरों की आहट से पहले अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने पर जोर देना चाहिए तब विपक्ष  राजनीतिक उठा-पटक में जुटा है और ये आम जनमानस के लिए चिंता जनक बात है।

covid की तीसरी लहर के संबंध में वैज्ञानिकों की राय को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “तीसरी लहर के बारे में एक्सपर्ट बता रहे हैं कि आने वाली तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी। अगर बच्चे अस्पताल जाएंगे तो फिर पैरेंट्स को भी साथ जाना होगा। इसी कारण वैक्सीनेशन इस ग्रुप के लोगों को जल्द दिया जाना चाहिए और वैक्सीनेशन समय पर पूरा किया जाए। इसके लिए साइंटिफिक तरीका अपनाया जाना चाहिए और इसका इंतजाम किया जाए। अगर हम अभी तैयारी करेंगे तो हम स्थिति से निपट पाएंगे।”

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इसके अलावा covid की तीसरी लहर से जुड़े मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सजग है। आशंकाएं ‌लगाई जा रही हैं कि कोरोनावायरस की तीसरी संभावित लहर को देखते‌ हुए कुछ बड़े‌ और कड़े फैसले लिए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ लापरवाही को छोड़ने और प्रत्येक कार्य का फीडबैक देने को कहा है। पीएमओ के ही वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा है कि “तीसरी लहर आना तय ही लग रहा है।” कोर्ट से लेकर सरकार तीसरी लहर के लिए प्राथमिक सुविधाओं को विस्तार देने पर अधिक तवज्जो दे रही है। इसके विपरीत खतरों के बीच भी कुछ मुद्दों पर ज़रूरत से ज़्यादा राजनीति हो रही है।

covid की वर्तमान दूसरी लहर के तांडव को देखते हुए ये माना जा रहा है कि तीसरी लहर अधिक खतरनाक हो सकती है। ऐसे में साफ है कि एक तरफ जहां केन्द्र सरकार इस मुद्दे पर अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई है तो वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी जरूरी परामर्श दिए जा रहे हैं। इसके इतर covid से लड़ने के लिए देश‌ की कई राज्य सरकारें राजनीति कर रही है, जिसका आम जनता पर बुरा असर पड़ सकता है। महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड और बंगाल तक की सरकार वैक्सीनेशन से लेकर ऑक्सीजन तक हर मुद्दे पर केन्द्र को घेरने में जुटी हुई है।

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केन्द्र को वैक्सीन के दामों से लेकर वेंटिलेटर और आक्सीजन समेत रेमडेसिवीर की कमी बताकर इन राज्यों द्वारा लगातार टारगेट किया जा रहा है। एक तरफ जहां ये राज्य राजनीतिक नौटंकियों में व्यस्त हैं तो दूसरी ओर उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्य अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं जिससे covid की दूसरी लहर से आसानी से निपटा जा सके, लेकिन विपक्षी पार्टियों की राजनीति के चलते पंजाब, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कोरोनावायरस का रामबाड़ इलाज़ यानी वैक्सिनेशन का काम धीमा है।

ये सभी राज्य सरकारें मिलकर मोदी सरकार को सुविधाओं के अभाव का जिम्मेदार बना रही है जबकि केंद्र द्वारा मिली मदद का इन्होंने प्रयोग नहीं किया। ऐसे में जब तीसरी लहर को लेकर आशंकाएं हैं तो ख़तरे को देखते हुए राज्य सरकारों को सुविधाएं बढ़ाने के साथ ही केन्द्र के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए वैक्सिनेशन को रफ्तार देनी चाहिए, जबकि ये लोग केवल राजनीति कर रहे हैं जो कि देश के लिए खतरनाक साबित हो‌ सकता है।

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