लक्षद्वीप भारत का मालदीव बन सकता है, लेकिन इस्लामिस्ट और कम्युनिस्ट ऐसा होने से रोक रहे हैं

प्रफुल्ल पटेल lakshyadweep

PC: India Today

आम तौर पर खबरों से दूर रहने वाला लक्षद्वीप आजकल सुर्खियों में है। केरल के कई लोगों का मानना है कि लक्षद्वीप खतरे में है, और केंद्र सरकार को तत्काल कुछ कदम उठाने चाहिए। स्थिति कितनी चिंताजनक है, इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पृथ्वीराज सुकुमारन जैसे कई मलयाली अभिनेता भी ‘लक्षद्वीप बचाओ’ अभियान के समर्थन में उतर आए हैं। यहां के प्रशासक की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों को जनविरोधी करार देते हुए लक्षद्वीप और केरल की विपक्षी पार्टियों ने विरोध कर रहे हैं। यही नहीं #SaveLakshadweep (लक्षद्वीप बचाओ) नाम से सोशल मीडिया कैंपेन चलाकर लक्षद्वीप के प्रशासक को वापस भेजे जाने की मांग की जा रही है।

दरअसल, इस द्वीप के नए प्रशासक कई सुधार करना चाहते हैं, जिससे लक्षद्वीप का कायाकल्प सुनिश्चित हो। उन्होंने संदेहास्पद विदेशी जहाजों के आगमन पर रोक लगा दी है जिसको लेकर लेकर खुफिया ब्यूरो चेतावनी देता रहा है कि ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

लेकिन इस अभियान के विरोध में कई लोग उतर आए हैं, विशेषकर केरल के निवासी, जो अब ‘लक्षद्वीप बचाओ’ अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। ऑर्गनाइज़र की रिपोर्ट की मानें, तो इसके लिए प्रफुल्ल पटेल ने हाल ही में कुछ कानूनी सुधार का प्रस्ताव दिये हैं, जो कहीं न कहीं 2019 में कश्मीर प्रांत में हुए सुधारों की याद दिलाता है। लक्षद्वीप में शराब और ड्रग्स के अंधाधुंध उपयोग को रोकने के लिए प्रफुल्ल पटेल ने बतौर प्रशासक गुंडा एक्ट लागू किया था, जिसके अंतर्गत शराब और ड्रग्स के अवैध सेवन पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई। इसके अलावा पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए लक्षद्वीप में जिस Total Prohibition यानि पूर्ण शराबबंदी का फरमान जारी किया था, उसमें भी ढील दी गई थी।  यही नहीं प्रफुल्ल पटेल ने प्रदेश में कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों द्वारा लगाए गए एंटी-सीएए/एनआरसी पोस्टरों को भी हटवा दिया था। प्रफुल्ल पटेल का उद्देश्य प्रदेश में बुनियादी ढाँचे और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना है जिससे पर्यटन क्षमता को भी बढ़ावा मिल सके। कुल मिलाकर लक्षद्वीप को दुनिया के लिए खोला जा रहा है, और यही वहाँ के कट्टरपंथी मुसलमानों को रास नहीं आ रहा है।

इसके अलावा प्रफुल्ल डीके पटेल ने कई ऐसे सुधार लाने का प्रस्ताव रखा है, जो कथित तौर पर ‘इस्लाम विरोधी’ बताया जा रहा है, विशेषकर गौहत्या पर रोक। इसके कारण प्रफुल्ल पटेल को ‘लक्षद्वीप के विनाशक’ से लेकर ‘भाजपा एजेंट’ तक की संज्ञा दी जा रही है। असल में इन सुधारों के जरिए प्रफुल्ल पटेल लक्षद्वीप की छवि बदलना चाहते हैं, जो अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के कारण आतंकवाद के नए गढ़ के रूप में उभरकर आई है। परंतु इन सुधार नीतियों का विरोध किया जा रहा है और प्रशासन को ‘फासीवादी’ का टैग दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर उनकी नीतियों के खिलाफय़ ट्रेंड चलाया रहा है।

अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन 24 मई को प्रशासन के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के समर्थन में उतर गये। पृथ्वीराज सुकुमारन के अनुसार, “मैं कोई लंबा चौड़ा भाषण नहीं लिखूँगा कि क्यों लक्षद्वीप के नए प्रशासक के सुधारों से लोग तकलीफ में है। परंतु मुझे बहुत पत्र और याचिकाएँ आ रही है, जिनका मुझे समझ में नहीं आता कि मैं क्या करूँ”। 

इसके बाद तो एक एक करके कई नेता विरोध प्रदर्शन के समर्थन में नजर आये। सीपीआईएम नेता और राज्यसभा सांसद एलामनम करीम ने प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखा और लक्षद्वीप से उनको वापस बुलाने का आग्रह किया है।

वास्तव में ये लोग दशकों के अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नीति के कारण लक्षद्वीप अब हिंदुओं और अन्य गैर मुसलमानों से लगभग खाली हो चुका है। असल में मकपा, केरल के नेताओं और अन्य पार्टियों का ‘लक्षद्वीप बचाओ’ लक्षद्वीप को बचाने पर कम, और कट्टरपंथी इस्लाम के प्रभुत्व को कायम रखने पर अधिक केंद्रित है। ऐसे में यदि प्रफुल्ल पटेल कश्मीर की भांति लक्षद्वीप को कट्टरपंथी इस्लाम के प्रभाव से मुक्त कराने और उसे भारतीय ‘मालदीव’ में परिवर्तित करने में सफल रहते हैं, तो ये केरल के वामपंथियों के साथ साथ अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए एक बहुत बड़ा झटका होगा, और ये उनके लिए एकदम असहनीय होगा।

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