वामपंथी देशभर में बीफ़ बिकवाना चाहते हैं, लेकिन लक्षद्वीप में सबको शराब पर बैन चाहिए

लक्षद्वीप में मजहबी लोगों की मनमानी कब तक?

लक्षद्वीप बीफ बैन

भारतीय गणराज्य का एक अहम समुद्री हिस्सा माने जाने वाले लक्षद्वीप को शांत क्षेत्र माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में यहां ऐसे फैसले हुए हैं जिससे लक्षद्वीप मुख्य धारा की मीडिया में चर्चा का विषय बन गया है। इस पूरे प्रकरण की मुख्य धुरी केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रशासक प्रफुल्ल पटेल हैं, जो कि लगातार वहां बड़े और महत्वपूर्ण सुधारों की नींव मजबूत कर रहे हैं। ऐसे में बीफ खाने पर और शराब की बिक्री को लेकर एक बहस छिड़ गई है। बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम होने के कारण यहां के लोग शराब की बिक्री का विरोध कर रहे हैं तो दूसरी ओर बीफ पर लगे बैन के खिलाफ प्रशासन को कोस भी रहे हैं जो कि इनका दोगला रवैया दिखाता है।

लक्षद्वीप में नए प्रशासक प्रफुल्ल पटेल लगातार क्षेत्र को विकास के पथ पर आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में वो पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटकों की मांग के चलते शराब बंदी को खत्म करने का ऐलान कर चुके है। सीएए-एनआरसी के खिलाफ वहां काफी प्रदर्शन हुए। ऐसे में इस्लामिक कट्टपंथियों को सबक सिखाने के उद्देश्य से उन्होंने सभी तरह के सीएए विरोधी पोस्टर हटवा दिए है, और ये बात इस्लामी संगठनों को बेहद खल रही है।  राज्य में बीफ बैन करने के कारण कुछ संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने भी तगड़ा विरोध किया है।

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लक्षद्वीप की राजनीतिक पार्टियां लगातार प्रफुल्ल पटेल के हाल के सुधारों को जनविरोधी फैसला बता रही हैं। इस मुद्दे पर एनसीपी नेता मोहम्मद फ़ैज़ल, कांग्रेस नेता टीएन प्रतापन समेत अन्य वामपंथी दलों के नेताओं ने प्रफुल्ल पटेल के फैसलों को अनैतिक करार दिया है। इन सभी ने केंद्र से मांग की है कि पटेल ने अचानक शराब बिक्री शुरू करवा कर और पशु संरक्षण के नाम पर बीफ को बैन करके एक बड़ा विवाद खड़ा किया है। इसलिए केन्द्र सरकार को प्रफुल्ल पटेल से जिम्मेदारी छीनते हुए उन्हें वापस बुला लेना चाहिए।

वहीं इस मुद्दे पर बीजेपी ने प्रफुल्ल पटेल का समर्थन किया है और उनके फैसलों को विकासवादी बताया है, जबकि विपक्षी पार्टियां लामबंदी कर मोदी सरकार को घेर रही हैं। इसके इतर प्रफुल्ल पटेल के फैसलों का जिस प्रकार विरोध हो रहा है, वह तुष्टीकरण और दोगलेपन का एक सटीक उदाहरण है। लक्षद्वीप की बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम है, जहां करीब 96.58% आबादी मुस्लिम है, जबकि हिंदुओं की तादाद केवल 2.77%  है। इसके चलते यहां विपक्षी पार्टियों ने मुस्लिम समुदाय को खुश करने की प्लानिंग की है।

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एक तरफ ये लोग मुस्लिम समाज के लोगों के लिए आवाज उठाते हैं कि यहां बीफ पर बैन क्यों लगा है, जबकि दूसरी ओर ये शराब की बिक्री से आक्रोशित हैं। बीफ को हिंदुओं में खाद्य पदार्थों में वर्जित माना गया है। ये बेहद मुश्किल है कि कोई हिन्दू समाज का व्यक्ति बीफ का सेवन करता हो। इसीलिए अपनी बहुसंख्यक आबादी का फायदा उठाकर लक्षद्वीप में मुस्लिम समाज के लोग बीफ बैन को गलत बता रहे हैं, क्योंकि ये लोग बीफ खाने के आदी होते हैं। ठीक इसी तरह मुस्लिम समाज में शराब को वर्जित माना गया है, लेकिन विकास और पर्यटन के कारण लक्षद्वीप में शराब बिक्री को छूट दी गई है, और मुस्लिम समाज इस बात का विरोध कर रहा है।

इन दोनों मुद्दों पर मुस्लिम बहुसंख्यक समाज केवल अपना हित देख रहा है, और इसीलिए वो अपने मजहबी नियमों को मानने का दबाव त़ो बना रहा है लेकिन हिंदुओं के हितों की अवहेलना कर दोगलेपन का सटीक परिचय भी दे रहा है।

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