छत्तीसगढ़ की घटना से सबक: ‘माई-बाप’ सरकार में जिलाधिकारी का पद खत्म किया जाना चाहिए

आम आदमी सरकारी कार्यालय में जाते समय यह मानकर जाता है कि उसे अपमान का घूंट पीना पड़ेगा!

DM रणबीर शर्मा

PC: tv9media

हाल ही में छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के DM रणबीर शर्मा का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह एक नवयुवक को थप्पड़ मारते दिख रहे थे। युवक की गलती यह थी कि वह दवा की पर्ची लेकर घर से दवा लेने निकला था, लेकिन यह ऐसा कोई पहला मामला नहीं है।

इससे पहले त्रिपुरा से एक शादी समारोह का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें DM शैलेश कुमार यादव ने लोगों के साथ बदतमीजी की थी। DM शैलेश कुमार यादव ने दूल्हे की गर्दन पकड़कर उसे धकेला, पुजारी को थप्पड़ मारा और लड़की के भाई को विनम्रता से सवाल पूछने पर गिरफ्तार कर लिया। कोई स्वाभिमानी व्यक्ति ऐसा दुर्व्यवहार स्वीकार नहीं कर सकता।

पिछले दिनों मध्य प्रदेश के इंदौर में लॉकडाउन के नियम का उल्लंघन करने पर तहसीलदार साहब ने लोगों की परेड निकलवा दी। यहां तक तो फिर भी सहनीय है, उन्होंने परेड में ठीक से न चलने पर एक व्यक्ति को पीछे से लात भी मारी।

समस्या यह है कि भारत तो आजाद हो गया है लेकिन भारत का प्रशासनिक ढांचा अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता का शिकार है। DM और SSP तो बड़े पद हैं, भारत में तो हवलदार, और सरकारी प्यून भी एक आम आदमी से ऐसे व्यवहार करता है जैसे उसकी कोई हैसियत नहीं है। पान खाकर अपने कार्यालय में सुस्ताते सरकारी कर्मचारी, आम मध्यमवर्गीय और गरीब व्यक्ति के साथ गुलाम और अपराधी जैसा व्यवहार करते हैं। आप किसी सरकारी कार्यालय में कोई कार्य करवाने जाएं, आप कर्मचारी से सीधे मुँह बात करने की उम्मीद नहीं रख सकते। आम आदमी सरकारी कार्यालय में जाते समय यह मानकर जाता है कि उसे अपमान का घूंट पीना पड़ेगा।

बड़े अधिकारियों की बात करें तो भारत में प्रशासनिक सेवा में कार्यरत लोग स्वयं को महामानव मानते हैं। UPSC का सिलेबस बहुत विस्तृत क्षेत्र में फैला है। इसमें इतिहास, भूगोल, विज्ञान, नागरिक प्रशासन, कानून बहुत से विषयों का अध्ययन होता है। इसीलिए UPSC पास कर्मचारी स्वयं को इतना विद्वान मानने लगते हैं कि यह इतिहासकार को इतिहास लिखना सिखा सकते हैं, भूगोलवेत्ता को भूगोल समझा सकते हैं। UPSC परीक्षा पास करके आप बांध बनाने के काम को भी देख सकते हैं, शहर चलाने के काम को भी देख सकते हैं। यह समझ के परे है कि ऐसी कौन सी विद्या है जो एक व्यक्ति को हर क्षेत्र में पारंगत होने का भ्रम दे सकती है।

रणबीर शर्मा जैसे सरकारी लोग इसी घमंड में रहते हैं कि वो सबसे बड़े जानकार हैं, प्रशासनिक अधिकारी, हर व्यक्ति को सीख देते फिरते हैं, लेकिन स्वयं में समाप्तप्राय न्यूनतम मानवीय गुण का भी ये अधिकार ध्यान नहीं रखते।

यह सत्य है कि सभी अधिकारी ऐसे नहीं है, लेकिन यह भी सत्य है कि इन अधिकारियों को लोग अपना सहयोग तक नहीं समझते, सेवक क्या ही समझेंगे। जिन अधिकारियों से सेवा की उम्मीद की जानी चाहिए उन्हें देखकर आम आदमी डर जाता है, तो इसका कारण इन अधिकारियों की शक्तियों का असीमित होना है। ब्यूरोक्रेसी में भारत आज भी ब्रिटिश काल की व्यवस्था अपनाए हुए है। इसे तत्काल सुधारने की आवश्यकता है।

सबसे पहले तो सरकार और जनप्रतिनिधियों को ऐसे अधिकारियों पर, जो अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं, क्रिमिनल चार्ज लगाकर मुकदमा दायर करवाना चाहिए। IAS असोसिएशन के अधिकारी सीमित करने चाहिए, जो हर भ्रष्ट और दुष्ट अधिकारी की सुरक्षा के लिए आगे आ जाता है और रणबीर शर्मा जैसे लोगों की आलोचना तक नहीं करता। इन अधिकारियों पर बदसलूकी करने पर सस्पेंशन का भी प्रावधान सख्ती से लागू किया जाना चाहिए, अनावश्यक रूप से लोगों को परेशान करने वाले अधिकारियों को सेवानिवृत्त करना चाहिए। जब तक जनप्रतिनिधि स्वयं खुलकर इनके विरुद्ध नहीं उतरेंगे, तब तक इसमें सुधार की गुंजाइश नहीं है।

इन सबसे बढ़कर जनता को स्वयं अपने अधिकारों, अपने सम्मान और सुरक्षा के लिए जागरूक होना पड़ेगा। कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका के अतिरिक्त लोकतंत्र में सबसे बड़ी और प्रभावी शक्ति जनता का दबाव होता है। अगर यह शक्ति अपने रूप को जानकर आगे आए, तो लोकतंत्र की सभी शाखाओं को सुधारा जा सकता है।

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