महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार पिछले डेढ़ सालों में आए दिन किसी नए मुद्दे पर विवादों में रहती हैं, जिसके चलते कुछ लोग तो इसे महाविनाश अघाड़ी भी कहने लगे हैं। ऐसा नहीं हैं कि ये विवाद सरकार तक सीमित हैं, बल्कि इसमें शामिल तीनों पार्टियों में भी अब टकराव की स्थिति है जिसमें सबसे बुरी स्थिति उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना की है।
महाराष्ट्र के CM पद को लेकर हाल ही में NCP प्रमुख शरद पवार ने ये तक कह दिया कि उद्धव ठाकरे को CM बनाकर वो पछता रहे हैं। ऐसे में शिवसेना जानती है कि एनसीपी के साथ उसकी ज्यादा दाल नहीं गलेगी। इसीलिए अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में गठबंधन की दूसरी साथी कांग्रेस को खुश करने की कोशिश करने लगी है जिसके चलते अब एक लेख में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी की तारीफों के पुर बांधे गए हैं।
जब विरोधी विचारधारा वाली पार्टियों के साथ केवल सत्ता की महत्वाकांक्षा के लिए गठबंधन होता है, तो स्थिति बुरी होती है। शिवसेना के साथ भी महाविकास अघाड़ी सरकार में कुछ ऐसा ही हो रहा है, जिसके चलते उसकी स्थिति किसी ढोलक की तरह हो गई हैं। गठबंधन की दोनों अन्य पार्टियां एनसीपी और कांग्रेस अपनी सहूलियत के अनुसार शिवसेना को फटकारती रहती हैं।
अब हाल फिलहाल में शिवसेना कांग्रेस को खुश करने में व्यस्त है, और उसने सोनिया गांधी को अपने पक्ष में लाने की जुगत शुरू कर दी है।
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दरअसल, पांच राज्यों में कांग्रेस की हार का संज्ञान लेते हुए शिवसेना के मुखपत्र सामना ने एक लेख प्रकाशित किया और इसमें कुछ सुझाव दिए। वहीं अब अगले लेख में सामना की तरफ से कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की तारीफ की गई है। सामना में लिखा गया, “सोनिया गांधी ने पूछा कि असम और केरल में अच्छा मुकाबला करने के बावजूद कांग्रेस मौजूदा सरकारों को क्यों नहीं हरा पायी। यही सवाल सामना में इस स्तंभ के जरिए पूछा गया था।”
कांग्रेस के राज्य के नेताओं को लेकर शिवसेना ने कहा कि अगर महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता भी सामना पढ़ते तो अच्छा होता, क्योंकि सोनिया गांधी पढ़ती हैं।
सामना के इस लेख में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी की भी तारीफ की गई है। सामना में लिखा गया, “कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा के खिलाफ अकेले लड़ाई लड़ रहे हैं और कड़ी आलोचना के बावजूद वह हमेशा अपनी बात रखते हैं।”
इसके साथ ही कोविड के दौर में राहुल की भूमिका को लेकर कहा गया, “कोविड-19 महामारी के बीच राहुल गांधी ने कई मुद्दों पर केंद्र की आलोचना की और सुझाव भी दिए। उनकी बुरी तरह आलोचना करने के बाद सरकार को उनके द्वारा दिए सुझावों पर फैसला लेना पड़ा।” खास बात ये भी है कि सामना ने राहुल गांधी को कांग्रेस का सेनापति तक करार दिया है।
विपक्ष को सरकार के खिलाफ खड़े होने की नसीहत देते हुए सामना में लिखा गया कि अब सड़कों पर उतरने का समय है। शिवसेना ने कहा, “इस वक्त सभी मुख्य विपक्षी दलों को टि्वटर शाखाओं से राजनीतिक जमीन पर आना होगा..जमीन पर आने का मतलब महामारी के वक्त में भीड़ इकट्ठा करना नहीं है बल्कि हर दिन सरकार से सवाल करना और उसे जिम्मेदार ठहराना है।”
अजीब बात है कि ये वही सामना है जो कुछ दिनों पहले तक यूपीए के पद से सोनिया गांधी को हटाकर शरद पवार को बिठाने की बात कर रहा था, तो अचानक इतना बदलाव कैसे आ गया?
शिवसेना के मिजाज में आए बदलाव की बात करें तो ये बदलाव अचानक किसी विशेष वजह से आया है। इसकी वजह ये है कि इस वक्त महाराष्ट्र की सरकार और महाविकास अघाड़ी गठबंधन के स्तंभकार शरद पवार सीएम और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से नाराज हैं।
शरद पवार ने ये तक कहा है कि उनको पछतावा हो रहा है कि उन्होंने उद्धव को सीएम बना दिया, जबकि अब उद्धव उनका फोन तक नहीं उठा रहे हैं। महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार अनिल थात्ते के जरिए ये सारा मामला बाहर आ चुका है। ऐसे में अब गठबंधन में चल रहे आंतरिक युद्ध में अब शिवसेना एनसीपी से नाराज हो गई है।
इसके इतर पार्टी की सत्ता महत्वाकांक्षा भी है, इसीलिए वो अपनी गठबंधन की एक और साथी यानी कांग्रेस को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है।
शरद पवार की नाराजगी के तुरंत बाद ही सामना में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तारीफ होना दिखाता है कि शिवसेना का रुख़ अब कांग्रेस की तरफ मुड़ गया है और वो अब कांग्रेस को अपने पाले में लाने की कोशिशों के साथ ही उनके शीर्ष नेताओं को लुभाने की कोशिश में है, लेकिन सवाल ये है कि कब तक?
महाराष्ट्र का ये गठबंधन बेमेल था, और इसीलिए आए दिन इसमें आंतरिक बगावत की ख़बरें आतीं है, ऐसे में वो दिन भी दूर नहीं जब इस गठबंधन के खात्मे की खबर आएगी।