रक्षा मंत्रालय में अब सचिव के तौर पर शामिल होंगे सैन्य अफसर- सरकार का एक और मास्टरस्ट्रोक!

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देश के सशस्त्र बलों के इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने सेना, वायु सेना और नौसेना के अधिकारियों को पहली बार औपचारिक रूप से रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया है।

The Print की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार देर शाम आदेश में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी को सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) में अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया।

रिपोर्ट के अनुसार मेजर जनरल के के नारायणन, रियर एडमिरल कपिल मोहन धीर और एयर वाइस मार्शल हरदीप बैंस को DMA में संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। बता दें कि Department of Military Affairs सरकार द्वारा शुरू किए गए रक्षा सुधारों के हिस्से के रूप में जनवरी 2020 में काम करना शुरू कर दिया था। जब जनरल बिपिन रावत को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और DMA का सचिव नियुक्त किया गया था।

हालांकि, ये अधिकारी पहले से ही अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के रूप में कार्य कर रहे थे, परन्तु अब औपचारिक नियुक्ति का निर्णय लिया गया जिससे इस विभाग की शक्तियां निर्धारित होंगी और कार्यों का सुव्यवस्थित सुनिश्चित होगी।

देखा जाये तो यह देश के सशस्त्र बलों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे न सिर्फ सक्षमता बढ़ेगी बल्कि जो कार्य फाइलों में दबने के कारण देर से होते थे वो अब सैन्य स्तर से होगा।

रिपोर्ट में एक एक सूत्र का हवाला देते हुए कहा गया है कि, “अब तक, आधिकारिक अधिसूचना के बिना, सभी फाइलों को फैसलों के लिए सचिव, डीएमए में स्थानांतरित करना पड़ता था। इसकी अब आवश्यकता नहीं है क्योंकि प्रत्येक नियुक्ति अब प्रत्यायोजित शक्तियों के अनुसार फाइलों का निपटान कर सकती है। ”

देश में सशस्त्र बलों के लिए इसे “historic and landmark moment” कहा जा सकता है। बता दें कि DMA के काम करने की शुरुआत के बाद ये नियुक्तियां एसीसी के अनुमोदन का इंतजार कर रहा था और यह आखिरकार इसे मंजूरी मिल गयी। इससे अब रक्षा मंत्रालय में ही एक जबरदस्त बदलाव देखने को मिलेगा और प्रक्रिया सुचारू रूप से चलेगी। साथ ही नौकरशाही की लेट लतीफी से भी छुटकारा मिलेगा।

बता दें कि 2019 में ही केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय के अन्दर Department of Military Affairs बनाया था जिसकी अध्यक्षता एक Four Star General और नए बनाये गए पद CDS को सौंपी गयी थी। केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के पास अभी तक चार विभाग थे। ये हैं रक्षा विभाग (Department of Defence), रक्षा उत्पादन विभाग (Department of Defence Production), रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग (DRDO) और पूर्व सैनिक कल्याण विभाग (Department of Ex-Servicement Welfare)। इन सभी विभागों के प्रमुख सचिव होते हैं। इसी तरह रक्षा मंत्रालय के पांचवें सैन्य मामलों के विभाग (Department of Military Affairs) के प्रमुख CDS जनरल बिपिन रावत हैं। इससे तीनों सेनाओं के बीच रणनीति, खरीदारी प्रक्रिया और सरकार के पास सैन्य सलाह के लिए सिंगल विंडो का निर्माण हुआ है जिससे सेना में समन्वय बढ़ेगा। हालाँकि व्यक्तिगत संगठनों के ऑपरेशनल नियंत्रण का भार सेना प्रमुखों पर ही है।

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DMA तीनों सेनाओं में विभिन्न प्रकार की जरूरतों, हथियारों की खरीद, ट्रेनिंग और स्टाफ की नियुक्ति का काम करेगा। साथ ही इन सभी कामों के लिए सेना, सरकार, मंत्रालय और थर्ड पार्टी से समन्वय स्थापित करना भी इसी विभाग का काम है। सरकार के इस विभाग का एक मकसद यह भी था कि इससे स्वदेश में निर्मित सैन्य उपकरणों, हथियारों और तकनीकों को बढ़ावा मिलेगा। थल, वायु और नौसेना के सभी प्रशिक्षण संस्थान अब Department of Military Affairs के तहत आते हैं जो कि पहले ये रक्षा विभाग (Department of Defence) के अंदर आते थे। DMA में नागरिक और रक्षा अधिकारियों का मिश्रित विभाग है यानी यहां सरकारी और डिफेंस से जुड़े अधिकारी बैठेंगे। अब सरकार की ACC ने इस विभाग में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के रूप में बैठने वाले सैन्य अधिकारियों की नियुक्ति है दी है।

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