पाकिस्तान के टूलकिट को मोदी सरकार ने किया एक्स्पोज़
पिछले कुछ दिनों से भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर शांति कायम है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देश नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 2003 के युद्धविराम समझौते का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच राजनयिक सम्बन्धों में भी सुधार हुआ है। यह कुछ और नहीं बल्कि पाकिस्तान के टूलकिट की एक चाल का ही हिस्सा था और वह एक बड़ी योजना को अंजाम देने की फिराक में था। परन्तु अब इस चाल का खुलासा हो गया है और मोदी सरकार ने ख़ुफ़िया जानकारी के आधार पर इस योजना को नाकामयाब कर दिया है।
दरअसल, हुर्रियत कश्मीर में 21 मई को शहीद दिवस के रूप में मनाता आया है। हुर्रियत 21 मई को मीरवाइज मोहम्मद फारूक और अब्दुल गनी लोन की याद में शहीद दिवस मनाता है, जिन्हें 12 साल पहले इसी दिन आतंकवादियों ने मार दिया था। कोरोना के कारण पिछले वर्ष इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था। इस वर्ष भी हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक ने एक बयान जारी कर कहा कि इस साल 21 मई को “शहीद दिवस” कार्यक्रम महामारी के कारण नहीं मनाया जायेगा। हालांकि, इसके बाद एक विचित्र घटना घटी। Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार मीरवाइज के नाम से ही एक दूसरा बयान सामने आया , जिसमें पहले बयान के ठीक उलट शहीद दिवस के कार्यक्रमों का एक विस्तृत चार्टर दिया गया और उस दिन हड़ताल का आह्वान किया गया।
पाकिस्तान के टूलकिट को भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी ने किया नाकामयाब
अब यह खुलासा हुआ है कि हुर्रियत नेताओं पर दबाव बनाने और 21 मई को अशांति पैदा करने के लिए मीरवाइज उमर फारूक का जो दूसरा बयान सामने आया, वो असल में मीरवाइज उमर फारूक की ओर से नहीं, बल्कि पाकिस्तान की ओर से जारी किया गया था। भारत की केन्द्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी को पहले से ही इस बात की जानकारी थी। यानी यह भी एक तरह से पाकिस्तान की टूलकिट ही हुई, जिसे अब भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी ने नाकामयाब कर दिया है।
Indian Express के अनुसार हुर्रियत के सूत्रों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने पहले बयान को छोड़कर कोई दूसरा बयान जारी नहीं किया है। हुर्रियत की ओर से स्पष्ट कहा गया कि उन्होंने अधिकांश कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।
15 मई को, मीरवाइज मोहम्मद फारूक और अब्दुल गनी लोन को “श्रद्धांजलि” देते हुए, मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली जम्मू और कश्मीर अवामी एक्शन कमेटी ने कहा कि श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल विभिन्न “स्मृति समारोह” आयोजित किए जाते हैं। हालांकि, इस बार एक सप्ताह का ‘हफ्ता-ए-शहादत’ रद्द कर दिया गया क्योंकि कोरोनावायरस महामारी जम्मू-कश्मीर में व्याप्त है।”
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ख़ुफ़िया एजेंसी के सूत्रों के हवाले से Indian Express ने बताया कि मीरवाइज उमर फारूक का दूसरा यानि फर्जी बयान सबसे पहले कश्मीर मुद्दों से जुड़ी एक पाकिस्तानी वेबसाइट पर दिखाई दिया था। एक अधिकारी ने कहा “हुर्रियत ने पिछले साल भी कोविड के कारण शहीद दिवस नहीं मनाया था। जब उन्होंने इस साल भी संयमित ‘स्मृति समारोह’ की घोषणा की, तो ऐसा लगता है कि इससे पाकिस्तान परेशान है। अब वे हुर्रियत नेताओं पर कुछ करने और अशांति फैलाने का दबाव बना रहे हैं।“
यानी स्पष्ट है कि पाकिस्तान अब भारत के कड़े रुख से बेचैन है और वह बॉर्डर पर शांति दिखा कर कश्मीर में अशांति फैलाने की योजना पर जुटा हुआ है। हालाँकि, अब इस टूलकिट योजना को भारत सरकार न सिर्फ एक्सोज किया है बल्कि उसे नाकामयाब भी कर दिया है।