अब तो साफ़ सबूत हाथ में हैं- US से ऑर्डर लेकर Twitter भारत के घरेलू मामलों में टांग अड़ा रहा है

ट्विटर को ये काफी महंगा पड़ने वाला है

ट्विटर दिल्ली पुलिस

Navabharat

कांग्रेस के टूलकिट का मामला गहराता जा रहा है। अब ऐसे भी तथ्य सामने आये हैं जिससे यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी नेताओं के ट्वीट को भारत में नहीं बल्कि अमेरिका में बैठे लोगों ने ‘Manupulative media’ का लेबल दिया था। यानी कांग्रेस की मदद अमेरिका में बैठे ट्विटर के अधिकारीयों द्वारा की जा रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि ट्विटर अब भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है।

दरअसल, कल खबर आई कि दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की एक टीम कथित तौर पर दिल्ली में ट्विटर इंडिया के कार्यालयों पर तलाशी लेने पहुंची। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, ट्विटर इंडिया के लाडो सराय, दिल्ली और गुरुग्राम कार्यालयों में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के अधिकारी पहुंचे थे।

अधिकारीयों ने बताया कि, “दिल्ली पुलिस की टीम एक नियमित प्रक्रिया के तहत ट्विटर को नोटिस देने के लिए ट्विटर कार्यालय गई थी। यह आवश्यक था, क्योंकि यह पता लगाना था कि नोटिस देने के लिए सही व्यक्ति कौन था, क्योंकि ट्विटर इंडिया के एमडी द्वारा दिए गए जवाब बहुत अस्पष्ट थे।”

बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोशल मीडिया के दिग्गज प्लेटफार्म ट्विटर को नोटिस भेजा है। पुलिस ने ट्विटर से पूछा है कि उसने पोस्ट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ टैग क्यों किया था?

समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से दिल्ली पुलिस ने कहा, “जांच कर रही स्पेशल सेल सच्चाई का पता लगाना चाहती है। ट्विटर ने ‘Manipulated media’ का टैग लगा कर सच्चाई जानने का दावा किया है, यह उसे स्पष्ट करना चाहिए।”

यानी जब ट्विटर इंडिया के MD से इस सवाल का जवाब माँगा गया था कि ट्विटर ने किस आधार पर बीजेपी नेताओं के ट्वीट को ‘Manupulative Media’ के कैटेगरी में डाल दिया था, वह भी तब जब जाँच एजेंसी इस मामले की जाँच में जुटी हुई है? इस पर MD ने जवाब दिया था कि उन्हें इस बारे में कुछ भी पता नहीं है और कंटेंट अमेरिका से निर्धारित किये जाते हैं इसलिए ट्विटर के अमेरिकी ऑफिस से पूछिए।

अगर यह सच है कि कांग्रेस के ट्विटर को पत्र लिखे जाने के बाद, ट्विटर ने अमेरिका से बीजेपी नेताओं द्वारा शेयर किये गए टूलकिट को ‘Manupulative media’ की कैटेगरी में डाल दिया था तो यह स्पष्ट रूप से भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप है। ऐसा प्रतीत होता है कि साजिश जिनती बड़ी दिखाई दे रही थी, यह उससे कहीं अधिक बड़ी है। देश और PM मोदी को बदनाम करने वाले टूलकिट में सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि विश्व भर कि लिबरल ब्रिगेड की संस्थाएं मिली हुई हैं। यह बात तब और स्पष्ट हो गयी जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल नोटिस देने ट्विटर इंडिया के ऑफिस पहुंची। जैसे यह खबर सामने आई वैसे ही कांग्रेस और लेफ्ट लिबरल पत्रकार फड़फडाने लगे और इसे freedom of speech पर हमला तक बता दिया। यह हास्यास्पद ही है कि ये ही पत्रकार यह दावा करते है कि  टूलकिट फर्जी है और जब दिल्ली सबूत मांगने पहुंची तो ये कहते हैं यह फासीवाद है।

अब केंद्र सरकार को इसके लिए ट्विटर के खिलाफ न सिर्फ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि सोशल मीडिया को भी यह सन्देश देना चाहिए कि वे भारत में अपने मन की कुछ भी नहीं कर सकते हैं  और वो भी भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप तो बिल्कुल नहीं।

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बीजेपी द्वारा टूलकिट के एक्सपोज किये जाने के बाद इस मुद्दे पर कांग्रेस खुद को आक्रामक दिखाने की कोशिश कर रही है। इसलिए पार्टी द्वारा तुरन्त ही बीजेपी के नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की गई थी और साथ ही ट्विटर को भी पत्र लिखा था। कांग्रेस के पिछले एक महीने के रवैए को देखें तो कहा जा सकता है कि पार्टी के नेताओं की रणनीति इसी टूलकिट के अनुसार ही चल रही थी। ऐसे में अब ट्विटर का कांग्रेस के साथ मिलीभगत भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। अगर केंद्र सरकार ने जल्द ही एक्शन नहीं लिया तो 2024 तक आते आते ट्विटर वैसी ही स्थिति पैदा करने की कोशिश करेगा जैसा उसने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के आखिरी दिनों में किया था। इसलिए यह आवश्यक है इन सोशल मीडिया कंपनियों को काबू में किया जाये जिससे ये सर के उपर न चढ़े।

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