कोरोनावायरस के कारण कुछ राज्य सरकारें मौके-बेमौके आंकड़ों के साथ खिलवाड़ कर रही हैं जिससे उनकी छवि को नुकसान न हो। कुछ ऐसा ही बिहार की नीतीश सरकार के शासनकाल में होने की आशंकाएं जताई जा रही हैं, जिसके चलते पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार को लताड़ लगाते हुए कोरोनावायरस के केसों और मृतकों की पूरी विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के आदेश जारी किए हैं। इसकी वजह ये है कि शमशान घाटों में हुए अंतिम संस्कारों और सरकारी आंकड़ों के बीच एक बड़ा अंतर है, जो कि एक बड़ी धोखा-धड़ी की आशंका को जन्म देता है, जिसके चलते पटना हाईकोर्ट नीतीश बाबू की सरकार के खिलाफ सख्त हो गया है।
देश के कई इलाकों से नदियों में शवों के बहने की तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिसने देशभर में एक दहशत सी फैला दी है। कुछ ऐसा ही बिहार के बक्सर में भी हुआ, जिसके बाद राज्य के मौतों के आंकड़ों को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। दरअसल, बिहार में कोरोनावायरस के लिए राज्य सरकार द्वारा हो रहे कार्यों की सीधी मॉनिटरिंग हाईकोर्ट कर रहा है। ऐसे में मुख्य सचिव द्वारा मौतों को लेकर जो रिपोर्ट पेश की गई, वो संदेहास्पद पाई गयी है। सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 1 मार्च से लेकर 13 मई तक कोरोना के कारण बक्सर में सिर्फ 6 लोगों की मौत हुई है। इसके इतर प्रमंडलीय आयुक्त की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 5 मई से लेकर 14 मई तक में ही बक्सर के श्मशान घाट पर 789 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है।
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इस मामले में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस कुमार की बेंच ने राज्य की नीतीश सरकार को लताड़ लगाई है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार के इस आंकड़े को हाईकोर्ट द्वारा तर्कहीन बताया गया है। कोर्ट ने महाअधिवक्ता ललित किशोर को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “आखिर सच कौन है? बक्सर में 1 मार्च से 13 मई तक कितने कोरोना के एक्टिव मरीज रहे? जिन लोगों की मौत हुई, सभी का डीटेल्स बताएं और 19 मई तक कोर्ट में अपना जवाब सौपें।” दिलचस्प बात ये है कि कोर्ट के गुस्से के बाद ही ललित किशोर ने दोबारा रिपोर्ट देने की बात कही थी, जिसमें चलते कोर्ट ने अब बिहार सरकार को 19 मई तक का समय दिया है।
ये पूरा मामला तब से उठा है, जब बक्सर के पास गंगा से बड़ी संख्या में शव उतराते नजर आए थे, जिसके बाद लोगों में खौफ की स्थिति पैदा हो गयी थी। इस मामले में स्थानीय प्रशासन ये कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि ये सभी शव उत्तर प्रदेश से आएं हैं। हालांकि कुछ ऐसी ही स्थिति उत्तर प्रदेश के गंगा से जुड़े कई इलाकों में देखी गई है, जिसके बाद ये सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या राज्य सरकारें कोविड के आंकड़ों के साथ ही मौतों की संख्या के मुद्दे पर भी झोल कर रही हैं।
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यही कारण है कि पटना हाईकोर्ट ने बिहार के मुख्य सचिव द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आंकड़ों पर आशंका जाहिर करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट दायर करने की बात कही है, क्योंकि शमशान में होने वाले संस्कारों और सरकारी आंकड़ों में ज़मीन आसमान का अंतर है।