लक्षद्वीप में प्रस्तावित सुधारों के मुद्दे पर केरल में बवाल मचा हुआ है। एक तरफ मुस्लिम समुदाय एक सुर में प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के प्रस्तावित सुधारों का विरोध कर रहे है, तो वहीं केरल हाईकोर्ट ने उनकी दरकार को अनसुना करते हुए इन सुधारों पर हामी भरी है।
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो न तो मुसलमान है, और न ही वे लक्षद्वीप में पले बढ़े हैं, लेकिन दिखाएंगे ऐसे, जैसे ये न हो, तो केरल और लक्षद्वीप में एक पत्ता नहीं हिल सकता। ऐसे ही एक महानुभाव है मलयाली अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन। अपने आप को लक्षद्वीप के शुभचिंतक बताने वाले पृथ्वीराज इंस्टाग्राम पर वर्तमान सुधारों का विरोध करने के लिए सफेद झूठ बोलने से भी बाज़ नहीं आए।
पृथ्वीराज सुकुमारन लक्षद्वीप बचाओ अभियान के समर्थन में बोलने के लिए उन दिनों को याद करने लगे जब उनकी एक फिल्म ‘अनारकली’ के शूटिंग के लिए वे लक्षद्वीप आए थे। पोस्ट के अंश अनुसार,
“मैंने लक्षद्वीप में अपने फिल्म ‘अनारकली’ और ‘लूसिफ़र’ के लिए काफी समय बिताया है। अगर वहाँ के लोग इतने मिलनसार और प्यारे न होते, तो मैं वहाँ कभी अपना समय व्यतीत नहीं कर पाता। वहाँ के लोगों की आवाज को अनसुना न करें”।
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लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है, जिससे पता चलता है कि कट्टरपंथी मुसलमानों को बचाने के लिए पृथ्वीराज सुकुमारन किस हद तक झूठ बोल सकते हैं। दरअसल, पाँच वर्ष पहले एक साक्षात्कार में ‘अनारकली’ से डेब्यू करने वाले निर्देशक शची ने अपने साक्षात्कार में बताया था कि उन्हे लक्षद्वीप में शूटिंग करने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े थे।
शची के अनुसार, “हमारी फिल्म की क्रू निकलने के तैयार थी। लेकिन रास्ते में ही मुझे खबर आई कि प्रशासक राजेश प्रसाद ने हमें शूटिंग के लिए दी गई परमीशन वापिस ले ली, क्योंकि वहाँ के स्थानीय मस्जिद के इमाम के नेतृत्व में लक्षद्वीप के सुन्नी स्टूडेंट्स फेडरेशन ने एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने इस फिल्म के शूटिंग पर आपत्ति जताई थी, और कहा था कि यह इस्लाम के विरुद्ध है”।
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शायद ये इसलिए भी संभव है, क्योंकि इस फिल्म की कथा में एक हिन्दू नौसैनिक अफसर को वहाँ के स्थानीय कमांडर की बेटी से प्रेम हो जाता है, जो एक मुसलमान है। लक्षद्वीप पर लगभग 97 प्रतिशत मुसलमान रहते हैं, जिनका दशकों तक वहाँ पर वर्चस्व रहा है। अब ऐसे में वे ऐसे किसी भी वस्तु को क्यों बर्दाश्त करेंगे जो उनके रीतियों के विरुद्ध हो? ऐसे में जिस प्रकार से पृथ्वीराज सुकुमारन ने लक्षद्वीप की असलियत को छुपाने का प्रयास किया, वह यही बताता है कि अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में कैसे कुछ लोग नरसंहार पर भी आँखें मूँदने को तैयार हो जाएंगे।