Punjab’s New Malerkotla District : Amarinder’s last Attempt of Retaining The CM Chair
पंजाब की राजनीति में एक नया सियासी उफान आने की पूरी संभावनाएं हैं। एक तरफ जहां नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के कारण पंजाब की राजनीति में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ रही हैं, तो दूसरी ओर कैप्टन विधानसभा चुनाव को लेकर मुस्लिम तुष्टीकरण का दांव खेल चुके हैं, जिसका उदाहरण पंजाब में बनाया गया नया मुस्लिम बहुल जिला Malerkotla है। ऐसे में कांग्रेस के दो भागों में बंटने से पंजाब की राजनीति अब चार सिरों की हो गई है जिसमें बीजेपी पहली बार स्वतंत्र तौर पर चुनाव लड़ेगी। वहीं अकाली दल और आम आदमी पार्टी के अलावा कांग्रेस का बगावती धड़ा भी मैदान में होगा, जो इस लड़ाई को बेहद दिलचस्प बनाने वाला है।
पंजाब कांग्रेस में इस समय भारी घमासान जारी है। नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कैबिनेट के मंत्री तक उनसे बगावत करने लगे हैं। इसी बीच अब पंजाब सरकार ने मुस्लिम बहुत क्षेत्र के लिए एक नया जिला Malerkotla बना दिया है। ये राज्य का 23वां जिला माना जा रहा है। इसको लेकर कैप्टन ने कहा कि लंबें समय से ये मांग की जा रही थी, लेकिन इस पर काम करने में हमें वक्त लग गया। इस नए जिले को लेकर कैप्टन की राजनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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Malerkotla New District of Punjab
दरअसल, पंजाब की राजनीति में मुस्लिम मतदाताओं का कोई खास आधार नहीं है। इसके बावजूद कैप्टन उन्हें खुश करके अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। कैप्टन जानते हैं कि पार्टी में बगावत के चलते आने वाले विधानसभा चुनावों में उन्हें दिक्कत होने वाली है। ऐसे में अब कैप्टन मुस्लिम समुदाय के एक-एक वोट को भी नहीं छोड़ना चाहते हैं क्योंकि ये एक वोट भी चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकता है। वहीं कैप्टन के इस कदम और इसके पीछे छिपे डर के चलते ये साबित होने लगा है कि पंजाब की राजनीति में चौतरफ़ा मुकाबला दिखेगा।
अगले विधानसभा चुनाव में अब कांग्रेस के अलावा कांग्रेस का बगावती गुट भी खड़ा हो सकता है। वहीं बीजेपी के पास राज्य में कोई सत्ता या राजनीतिक बोझ नहीं है, तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी और अकाली दल की राजनीतिक शैली जनता अच्छे से देख चुकी है। बीजेपी के परंपरागत वोटों के आधार पर ये संभावना है कि वो ओबीसी समेत लोअर क्लास सिख और हिन्दू वोट को अपने पाले में कर पाने में सफल होगी। इसकी वजह ये है कि अभी तक अकाली और कांग्रेस दोनों ने ही निचले तबके के सिखों को राजनीति में कोई खास महत्व नहीं दिया है। वहीं हाल के मुस्लिम बहुल जिला बनाने के फैसले के बाद राज्य में ध्रुवीकरण होगा जिसमें बीजेपी के लिए बेहतर संभावनाएं होंगी।
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Malerkotla कुर्सी बचाने हेतु कैप्टन का मुस्लिम तुष्टीकरण दांव
दूसरी ओर कट्टर सिखों को अकाली दल का वोट बैंक माना जाता है। वहीं आम आदमी पार्टी भी निचले तबके के सिखों के बीच ही अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश में हैं। इन सबके बीच कांग्रेस का कोर वोट बैंक अपर और मिडिल क्लास सिखों का ही है, लेकिन उसके सामने दिक्कत ये है कि सिद्धू के कारण पार्टी में फूट की स्थिति है। ऐसे में कैप्टन को पता है कि उनका वोट बैंक खिसक सकता है, और इसीलिए अब कैप्टन ने पंजाब की राजनीति में मुस्लिम समाज को महत्व देना शुरू कर दिया है।
कैप्टन सिद्धू की बगावत के चलते डरें हुए हैं और इसीलिए उन्हें इन 2-3 प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक की याद आई हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि यदि पंजाब के सत्ता में एक बार पुनः अपनी जगह बनानी है तो इन विधानसभा चुनावों में मुस्लिमों को एकजुटता के साथ अपने पक्ष में करना होगा।