ममता बनर्जी इस बात से खुश नहीं हैं कि उनकी पार्टी तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता तक पहुंची हैं, बल्कि उन्हें इस बात की चिंता ज्यादा है कि वो नंदीग्राम की सीट से चुनाव हारी है। ममता को डर है कि मेदिनीपुर के इलाके से शुभेंदु अधिकारी टीएमसी को पूरी तरह साफ ही न कर दें। ऐसे में ममता ने अपनी कैबिनेट में मेदिनीपुर से आने वाले 6 विधायकों को शामिल किया है। ममता इसके जरिए शुभेंदु अधिकारी के कद को छोटा करना चाहती हैं। साथ ही ममता बनर्जी को यह डर भी है कि यदि शुभेंदु अधिकारी अगले 5 वर्ष बीजेपी के लिए काम करते हैं तो वो ममता के सामने सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार साबित होंगे और उनसे जीतना भी ममता के लिए चुनौती होगी।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद ऐसा नहीं है कि राजनीतिक मौसम पूरी तरह खत्म हो गया है, बल्कि यहां राजनीति की एक नई बिसात बीजेपी ने बिछाना शुरू कर दिया है। पार्टी ने ममता को चुनाव हराने वाले शुभेंदु अधिकारी को ही विधानसभा में ममता के सामने मुख्य विपक्षी नेता के तौर पर चुन लिया है। इस पूरे प्रकरण के बाद अब बंगाल की राजनीति में शुभेंदु अधिकारी बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे बन गए हैं। शुभेंदु के कद का बढ़ना ममता बनर्जी पचा नहीं पा रही हैं।
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शुभेंदु के इसी वैभव को कम करने के लिए अब ममता ने शुभेंदु के ही गढ़ यानी मेदनीपुर से आने वाले 6 विधायकों सोमेन महापात्रा, मानस भुनिया, अखिल गिरी, हुमायूं कबीर, सेओली साहा और श्रीकांत मेहतो को मंत्री पद दिया है। ये सभी मेदिनीपुर इलाके में शुभेंदु के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। इन्होंने पार्टी में रहने अए बावजूद समय-समय पर शुभेंदु की आलोचना की है। मेदिनीपुर इलाके के लगभग सभी विधायकों को मंत्री पद देकर ममता ने असल शुभेंदु से अपने डर का एक बार फिर इजहार कर दिया है।
जिस प्रकार से बीजेपी ने विपक्षी दल से आए होने के बावजूद बंगाल की राजनीति में शुभेंदु अधिकारी को विधानसभा में बीजेपी की कमान सौंपी है, वो ममता के लिए झटका है। शुभेंदु ममता बनर्जी के काम काज से अच्छी तरह वाकिफ हैं। वहीं ममता अपनी नंदीग्राम से हुई हार भी पचा नहीं पा रही है। ऐसे में अब ममता शुभेंदु के इलाके में उनके विरोधियों को मंत्री पद देकर उनके कद को कम करना चाहती हैं।
बंगाल की राजनीति में शुभेंदु अधिकारी अगले 5 सालों में बीजेपी के सबसे बड़े नेता बन कर उभर सकते हैं। इसके संकेत उन्होंने ममता बनर्जी को हराकर ही दे दिए हैं। ऐसे में ममता बनर्जी को एक सबसे बड़ा डर यह भी है कि यदि शुभेंदु 5 सालों तक बीजेपी के लिए शानदार काम करते रहें तो इससे न केवल उन्हें राज्य की जनता के बीच अभूतपूर्व लोकप्रियता मिलेगी, बल्कि बीजेपी को यह भरोसा भी होगा कि वो ममता के सामने शुभेंदु को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर सके। ममता बनर्जी ममता बनर्जी का ये डर असम में एक गैर RSS नेता हिमंता बिस्वा सरमा के सीएम बनने से अधिक बढ़ गया है, जो कि पांच साल पहले कांग्रेस में थे।
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भविष्य की राजनीति में शुभेंदु अधिकारी के बढ़ते कद की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए और बीजेपी के असम वाले संकेत से ममता डर गई हैं। ममता नहीं चाहतीं कि किसी भी कीमत पर शुभेंदु बंगाल में बीजेपी का मुख्य चेहरा बनें, क्योंकि इससे उन्हें नुकसान होगा। इसलिए अब ममता शुभेंदु का कद छोटा करने की कोशिशों में जुट गईं हैं।