WHO ने “भारतीय Variant” बोलकर भारत को बदनाम किया? नहीं, वो भारतीय मीडिया का एजेंडा निकला

अब WHO और भारत सरकार ने मिलकर खोली भारतीय मीडिया की पोल

WHO

(PC: Dailymotion)

ये किसी से छिपा नहीं है कि कैसे भारत में कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा एजेंडावादी पत्रकारिता होती है, जिसके चलते भारत की छवि धूमिल होती है। इसी प्रकार अब भारतीय मीडिया ने विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की बातों को गलत तरीके से पेश किया, और भारत में कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन को लेकर झूठ फैलाया कि WHO ने इसे ‘भारतीय वेरियंट’ करार दिया है। WHO के हवाले से बिना तथ्यों के ऐसी भ्रामक खबर फैलाने पर अब भारत सरकार ने इन एजेंडावादी मीडिया संस्थानों को लताड़ लगाई है, और कोरोना के ‘भारतीय वेरियंट्स’ जैसे टर्म के इस्तेमाल पर सख्त आपत्ति जाहिर की है।

दरअसल, WHO का कहना है कि भारत में कोरोना का नया वेरिएंट या कहिए स्ट्रेन काफी ख़तरनाक है। इसको लेकर संगठन ने एक रिपोर्ट भी साझा की है लेकिन भारतीय मीडिया ने कोरोना के वेरिएंट को भारतीय वेरिएंट बताकर नया एजेंडा चलाने की कोशिश की। मीडिया का एजेंडा साफ़ था, ये कभी वुहान वायरस को चीनी वायरस तो नहीं बोल सके, लेकिन भारत के स्ट्रेन को तुरंत “भारतीय variant” बताकर मीडिया भारत को बदनाम करना चाहती थी। इसीलिए अब मोदी सरकार ने मीडिया संस्थानों की खबरों को फेक न्यूज करार दे दिया है। सरकार की तरफ से कहा गया कि WHO की रिपोर्ट में कहीं भी भारतीय वेरिएंट का ज़िक्र तक नहीं है, इसलिए मीडिया इसको लेकर दुष्प्रचार न फैलाए।

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हाल ही में WHO की वैज्ञानिक मारिया वेन के बयान और WHO की रिपोर्ट को लेकर मीडिया में की गई भ्रामक रिपोर्टिंग के संबंध में बयान ज़ारी कर सरकार द्वारा कहा गया, “कोरोना के B.1.617 वैरिएंट को दुनिया के लिए चिंताजनक बताने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बयान को कई मीडिया रिपोर्ट्स में कवर किया गया। इनमें से कुछ रिपोर्ट्स में इस वैरिएंट को भारतीय कहा गया, लेकिन ये रिपोर्ट्स बेबुनियाद हैं। WHO ने अपने 32 पेज के डॉक्यूमेंट्स में B.1.617 वैरिएंट के साथ कहीं भी इंडियन नहीं जोड़ा है।”

इतना ही नहीं, मोदी सरकार ने सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि मीडिया नए स्ट्रेन को “भारतीय वेरिएंट” से संबोधित न करें। इससे पहले WHO के दक्षिण एशियाई समूह ने सफाई देते हुए ट्वीट किया, “WHO कभी किसी वायरस या स्ट्रेन के नाम को उस देश के नाम से कतई नहीं जोड़ता है, जहां से उसका पहला केस आया हो। हम इसके लिए वैज्ञानिक नामों का प्रयोग करते हैं, और यही उपयोग करने की सभी क़ो सलाह देते हैं।” जैसे ही कोरोना के वेरिएंट को भारतीय वेरिएंट बताने की हवा चली तो WHO की आलोचना भी शुरू हो गई है जिसको लेकर अब WHO ने सफाई दी है, और खबरों को फेक बताया है।

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किसी भी ख़तरनाक वायरस को जब किसी देश के नाम से जोड़ दिया जाता है तो वो उस देश की छवि के लिए नकारात्मक होता है। ऐसे में बिना सोचे-समझे इस नए स्ट्रेन को भारतीय मीडिया ने WHO का हवाला लेकर भारतीय वेरिएंट घोषित कर दिया, जो कि एक भ्रामक खबर थी। मीडिया के इस नए एजेंडे को बर्बाद करने के लिए आवश्यक था कि भारत सरकार कोई सख्त रुख दिखाए और हुआ भी वैसा ही। वहीं इस मामले में WHO की भी काफी फजीहत होने लगी थी, इसीलिए उसे तक सफाई देनी पड़ी। ऐसे में आवश्यक है कि मुख्य धारा के मीडिया संस्थानों की बातों को सत्यापित करके ही उन पर विश्वास किया जाए।

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