आज पूरा देश कोरोना महामारी से परेशान है, ऐसे में दुनिया भर से भारत की मदद की जा रही है। इस बीच भारत के अपने विपक्षी दल ऐसे हैं, जो मदद तो दूर, राहत कार्य भी में रोड़ा बन कर खड़े है। हाल ही में विपक्ष के 12 नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना महामारी से लड़ने के सुझाव दिए थे। बता दें कि, कुछ सुझाव ऐसे थे जिनपर भारत सरकार पहले ही अमल कर चुकी है, और साथ ही कुछ सुझाव ऐसे भी थे जिसमें विपक्ष के अपने एजेंडे छिपे हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाले नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स अलायंस नेता फारूख अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, सीपीआई नेता डी राजा और सीपीआईएम के सीताराम येचुरी शामिल हैं।
संयुक्त पत्र में पीएम मोदी को सुझाव देने वाले विपक्षी नेताओं में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टॉलिन, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, एनसीपी चीफ शरद पवार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और जेडीएस के एचडी देवगौड़ा का नाम भी शामिल है।
Twelve leaders of Opposition parties write a joint letter to PM Narendra Modi suggesting a slew of measures for combating #COVID19 pic.twitter.com/b5HTNB6G6D
— ANI (@ANI) May 12, 2021
अगर हम बात करें लिखे गए पत्र की, तो पत्र में विपक्ष की अपनी लालसा साफ़ -साफ झलक रही थी। उदाहरण के लिए पत्र के 9वें और आखिर बिंदु में लिखा गया कि, “कृषि कानूनों को रद्द किया जाए, ताकि किसानों को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सके”। आप देख सकते है इस बिंदु में कोरोना पर फोकस कम और कृषि कानून पर फोकस ज़्यादा दिखाई दे रहा है।
यहाँ विपक्ष का एजेंडा साफ नजर आ रहा है। वो इस सुझाव की आड में क्रांतिकारी कृषि कानूनों को रद्द करना चाहते हैं। प्रदर्शनकारी किसानों को कोरोना से बचाने का एक ही रास्ता है, कि उन्हें जल्द से जल्द वापस उनके घर भेज दिया जाये। ऐसा इसलिए क्योंकि वह आंदोलन क्षेत्र अपने आप में कंटेनमेंट जोन बन चुका है। ऐसे में वहां आंदोलन करना कहीं की भी समझदारी नहीं है।
अब आते है विपक्ष के पाँचवें सुझाव पर। पांचवा सुझाव यह है कि Central vista प्रोजेक्ट को रोका जाए और उन पैसों को संक्रमण रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों में लगाया जाए। आपको बता दें कि सेंट्रल vista आधुनिक इंडिया का एक विकाशसील प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट के लिए सालों पहले धन आवंटित किया जा चुका है। सबसे मुख्य बात यह भी है की भारत सरकार ने कभी भी धन की कमी होने की बात नहीं कही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को वैक्सीन के लिए एडवांस में करोड़ों रुपए दे चुकी है।
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पत्र के छठे बिंदु में कांग्रेस पार्टी अपने विफल एजेंडे “न्याय स्कीम” को फिर से भुनाने का प्रयास करती दिखाई दे रही है, जिसके तहत बेरोजगारों को प्रतिमाह 6,000 रुपए देने का प्रावधान किए जाने की बात कही गयी है। स्पष्ट है कि पत्र में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके ऊपर भारत सरकार विचार विमर्श करे। यह पत्र पूरी तरह से बेबुनियाद और तथ्यहीन है।