हाल ही में सुर्खियों में आई एक खबर जिसका मुख्य मकसद था कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड टीके को बदनाम करना है। जिस प्रकार से भारत का टीकाकरण अभियान कोविशील्ड वैक्सीन पर निर्भर है, उससे हम यह भी कह सकते है कि, यह खबर भारत की टीकाकरण अभियान को पटरी से उतारने की साजिश थी।
दरअसल बात यह है कि, यूरोप के देशों में फैलाया गया कि, AstraZeneca और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाया गई कोविशील्ड वैक्सीन लगाने से खून का थक्का जम रहा है। यह खबर समूचे यूरोप में आग की तरह फैलाई गई। कुछ देश जैसे जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन में तो कोविशील्ड वैक्सीन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। वहीं ब्रिटेन के भी एक्सपर्ट्स कोविशील्ड पर प्रतिबंध लगाने के लिए मुहिम चलाई। जिसके बाद फैसला लिया गया कि, 18-29 साल के नौजवानों के पास अगर कोविशील्ड के अलावा दूसरी कोई भी वैक्सीन मौजूद है तो उसे ही लगाए।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि, फिलहाल भारत में दो वैक्सीन है- Covaxin और Covishield. ऐसे में भारत विरोधी तत्वों के पास कोविशील्ड के खिलाफ आग लगाने का और भारत के टीकाकरण अभियान को पटरी से उतारने का यह मौका था। भाग्यवश वह ऐसा नहीं कर पाए।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार ने जांच के आदेश दिये। एडवर्स इफ़ेक्ट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन ने अपनी जांच की रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी। जिसमें कहा गया कि भारत में कोरोना टीकाकरण के बाद ब्लीडिंग और थक्के के मामले बहुत कम है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि केवल भारत में ही नहीं ब्रिटेन में ब्लीडिंग और खून के थक्के जमने की मामले बहुत ही कम है। साफ शब्दों में कहें तो ना के बराबर।
बता दें कि राष्ट्रीय एडवर्स इफेक्ट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन कमेटी की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में कोविशील्ड वैक्सीन लगने के बाद प्रति दस लाख मामलों में रिपोर्टिंग रेट सिर्फ 0.61 है। ब्रिटेन में कोविशील्ड वैक्सीन लगने के बाद प्रति दस लाख मामलों में से सिर्फ 4 लोगों में खून के थक्के जमने की रिपोर्ट आई है, जबकि जर्मनी में प्रति मिलियन खुराक पर 10 हैं।
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविशील्ड टीकाकरण के लाभार्थियों में किसी भी प्रकार की ब्लीडिंग या खून के थक्के की घटनाओं से निपटने के लिए मजबूत तंत्र स्थापित किया है। ऐसे में भारतीय मुख्यधारा की मीडिया को वैक्सीन के खिलाफ लोगों में बेवजह की दहशत नहीं फैलानी चाहिए
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पहले से ही, भारत में टीकाकरण अभियान को लेकर वामपंथी मीडिया और विपक्षी नेताओं ने जनता के मन में संकोच पैदा किया है। ऐसे में एक फिर से देश के प्रति जिम्मेदारी को देखते हुए कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट को हवा नहीं देना चाहिए।