विदेशी वीजा, सैलरी और अन्य लोभ देकर पंजाब में सिखों को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है

ईसाई

PC: SikhNet

पिछले महीने एक खबर सामने आई थी कि पंजाब के जालंधर में बलविंदर सिंह नाम के एक Christian godman ने एक परिवार से कैंसर ठीक करने के एवज में 80,000 रुपये ठग लिए। सिर्फ ठगा ही नहीं, बल्कि परिवार को ईसाई धर्म में परिवर्तित भी करा दिया। पंजाब में अब इस तरह से सिखों का धर्म परिवर्तन आम बात हो चुकी है। जगह जगह पर “प्रार्थना सभा” के नाम पर मिशनरियों द्वारा लोगों का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है, परन्तु मेन स्ट्रीम मीडिया को इसकी भनक नहीं है, पर जब RSS लोगों की घर वापसी करा रहा होता तो मीडिया हंगामे कर अपनी चूड़ियां तोड़ रही होती।

देश के अन्य राज्यों को देखा जाये तो पंजाब में हालात अलग हैं। इस राज्य में हिन्दू कम और सिख अधिक हैं लेकिन बावजूद इसके ईसाई मिशनरी बड़े पैमाने पर लोगों का धर्म परिवर्तन करा रही हैं। अन्य राज्यों की तरह पंजाब में चावल की बोरी नहीं, बल्कि विदेश जाने का वीजा और सैलरी का लालच दिया जा रहा है। यही नहीं मिशनरियों ने पंजाब में एक अलग ही रणनीति अपनाई है। इस राज्य में वे हिन्दू धर्म और सिख धर्म से जुड़ी पहचान को अपना कर लोगों को आकर्षित करते हैं और इस सफाई से किसी भी परिवार का धर्म परिवर्तन कराते हैं कि पड़ोसियों को भी भनक नहीं लगती।

पंजाब में हिंदू संतों की पोशाक धारण करने वाले ईसाई मिशनरियों की भीड़ को पंजाब के अंदरूनी हिस्सों में देखा जा सकता है, जो कि सिख और हिंदुओं दोनों के पिछड़े वर्गों के बीच, नगद या वस्तु के रूप में, भौतिक प्रलोभनों के साथ प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस रूपांतरण व्यवसाय को खुलेआम चलाने वाले दर्जनों “Pastors”, “Prophets” and “Apostles” मिल जायेंगे। हैरानी की बात यह है कि वास्तविकता का ज्ञान होते हुए भी ऐसे मिशनरियों से पंजाब सरकार भी मिलीभगत कर रही है। कुछ दिनों पहले ही जब apostles अंकुर नरूला ने 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दिया था तो उसे सरकार द्वारा प्रचारित किया गया था।

https://twitter.com/PunjabGovtIndia/status/1397898915127595014?s=20

यह सभी को पता है कि अंकुर नरूला कितना बड़ा फ्रॉड है। यही नहीं कुछ ऐसी भी खबर है कि जालंधर में यही अंकुर नरूला एक विशाल चर्च का निर्माण करवा रहा है। No Conversion के नाम से ट्विटर हैंडल चलाने वाले यूजर ने इसकी जानकारी एक video के माध्यम से दी थी।

इसी तरह गुरशरण कौर, बजिंदर सिंह, कंचन मित्तल हैं जिनका धर्म परिवर्तन हो चुका है और अब ये खुलेआम सोशल मीडिया पर धर्म परिवर्तन का काम कर रहे हैं।

ईसाई धर्म के प्रसार का सबसे बड़ा तरीका प्रार्थना सभा है। इसे हिंदी/पंजाबी में “प्रार्थना सभा” कहा जाता है। इन प्रार्थना सभाओं का सबसे बड़ा आकर्षण नकली चमत्कार इलाज है। हजारों लोगों को इलाज के झूठे वादे पर ऐसी सभाओं में लाया जाता है।

सभी प्रकार की बीमारियों जैसे कि कैंसर, बांझपन का “इलाज” वहाँ यीशु के नाम पर किया जाता है।

 

परिवर्तित सिख अपने नाम के साथ-साथ पगड़ी आदि प्रतीकों को अपने से अलग नहीं करते जिससे सामान्य व्यक्ति भड़के न और इनके झांसे में आ जाये। यही नहीं इन धर्मांतरणों की खास विशेषता यह रही है कि वहां परिवर्तित लोगों के नाम नहीं बदले जाते या उनके नाम के पीछे “मसीह” लगाने की जैसे पहले की प्रथा को नहीं अपनाया जाता। उदहारण के लिए अगर धर्म परिवर्तन के बाद बरजिंदर मसीह होता था, अब बरजिंदर सिंह ही रहता। इससे अब धर्म का पता लगाना भी नामुमकिन हो चुका है। पंजाब में, सिख धर्म के प्रतीकों का उपयोग ग्रामीण सिखों को भ्रमित करने और परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।

Sabu Mathai Kathettu नाम के एक ईसाई मिशनरी ने तो सिखों के धर्मांतरण की रणनीति के उपर The Sikh Community and the Gospel: An Assessment of Christian Ministry in Punjab नाम की एक किताब लिख दी है! Aravindan Neelakandan ने स्वराज्य में इस किताब के बारे में विस्तार से बताया है। बता दें कि Sabu Mathai Kathettu ऑपरेशन मोबिलाइज़ेशन से एक ईसाई evangelist है।

उसकी पुस्तक स्पष्ट रूप से बताती है कि ईसाइयों द्वारा किए गए सभी मानवीय कार्य केवल धर्मांतरण का एक साधन है। हालांकि, ब्रिटिश ने जानबूझकर पंजाब में अकाल पैदा किया था जिससे उनका धर्म परिवर्तित कर सकें परन्तु वे अधिक सफलता प्राप्त नहीं कर सके, इसलिए उन्होंने रणनीति बदल दी।

इसके अलावा, ईसाई डेरों के रूप में व्यक्तिगत पंथ बहुत से अनुयायियों को आकर्षित करते हैं और प्रचार कार्य करने के लिए भारी विदेशी धन प्राप्त करते हैं।

हफपोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंकुर नरूला का चर्च गरीब लोगों को अनाज की बोरियां बांट रहा था। दिलचस्प बात यह है कि “गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों जिन बोरिओं में राशन दिया गया था उन बोरिओं पर पंजाब सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना – ‘आटा दाल योजना’ Logo लगा हुआ था “यह ईसाई धर्मांतरण के लिए सरकार के साथ मिलीभगत और उसी के लिए सरकारी संसाधनों के इस्तेमाल की ओर इशारा करता है।

1991 और 2001 की जनगणना के बीच गुरदासपुर, फिरोजपुर, जालंधर जिलों में सिखों की आबादी में गिरावट देखी गई। 2011 की जनगणना में पंजाब में कुल 3,48,230 ईसाई थे। अगले दस वर्षों में उनकी संख्या दोगुनी होने की उम्मीद है। परन्तु जिस रफ़्तार से धर्म परिवर्तन हो रहा है उसे देखा जाये तो पिछले वर्षों में ईसाइयों की आबादी कम से कम 10 गुना बढ़ी है। पंजाब के ईसाई नेता स्वयं ईसाइयों की भारी वृद्धि का दावा करते हैं। 2016 में, ईसाई नेता इमानुल रहमत मसीह ने कहा था, “वास्तव में, राज्य में हमारी आबादी 7 से 10% है, लेकिन नए जनगणना हमें 1% से कम दिखाती है।” आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि उसने 2016 में 10 प्रतिशत होने का दावा किया था तो अब 5 वर्ष बाद इस प्रतिशत में कितना उछाल आया होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि आंध्र प्रदेश के बाद अब पंजाब तेजी से ईसाईकरण के निशाने पर है।

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वे मुख्य रूप से पिछड़े वर्ग को लक्षित करते हैं, जो पंजाब की आबादी का लगभग 32% हैं और उच्च जाति के हिंदू और सिखों द्वारा समान रूप से व्यवहार नहीं किया जाता है।

पंजाब में ईसाई धर्म परिवर्तन सिख और हिंदू धर्म की कीमत पर बढ़ा है। अगर जल्द से जल्द सख्त कदम नहीं उठाये गए तो यह न सिर्फ देश के लिए, बल्कि भारत और खासकर सिखों के लिए घातक साबित होगा।

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