देश में विद्युत ऊर्जा की खपत और उसकी बढ़ती कीमतें लोगों को एक वैकल्पिक स्रोत की ओर देखने पर मजबूर कर रही है। इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि पारंपरिक तौर पर बनने वाली बिजली के लिए जरूरी संसाधन सीमित मात्रा में हैं। ऐसे में मोदी सरकार सोलर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने में लगी है। लेकिन हकीकत ये है कि पहले सोलर एनर्जी को लेकर निवेश में कॉरपोरेट सेक्टर बेरुखी रखता था, लेकिन अब यह स्थिति बदलने लगी है, क्योंकि हाल की छमाही में सोलर एनर्जी के क्षेत्र में कॉरपोरेट कंपनियों का निवेश बढ़ा है जिसकी कुछ मुख्य वजहें हैं।
सोलर एनर्जी और पैनल्स की टेक्नोलॉजी भारत में आई तो इसकी कीमतें आसमान छूने वाली थीं। गुजरात और राजस्थान के इलाकों में सरकार ने बड़े स्तर पर बिजली बनाने के सोलर प्लांट लगाए, लेकिन निजी क्षेत्र ने इस तकनीक से दूरियां बनाईं, लेकिन अब स्थिति बिल्कुल विपरीत हैं। सोलर एनर्जी की बात करें तो आम घरों तक में लोग साधारण कार्यों के लिए सोलर पैनल को वैकल्पिक उर्जा के स्रोत के रूप में रख रहे हैं, जो कि किफायती है, और सहज भी।
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इन परिस्थितियों को कॉरपोरेट सेक्टर भी समझ रहा है, और इसीलिए कॉरपोरेट सेक्टर का निवेश सोलर एनर्जी के क्षेत्र में बढ़ा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में सोलर सेक्टर में वेंचर कैपिटल फंडिंग, पब्लिक मार्केट और डेट फाइनेंसिंग सहित कुल कॉरपोरेट फंडिंग, जैसे निवेशों में 8.1 अरब डॉलर तक की बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में 43 क्षेत्रों के 6.7 बिलियन डॉलर के निवेश की तुलना में 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
कॉरपोरेट फंडिंग में वृद्धि मुख्य रूप से 2021 की पहली तिमाही में उच्च ऋण और सार्वजनिक बाजार वित्तपोषण गतिविधि के कारण हुई है। मैरकॉम कैपिटल ग्रुप के सीईओ राज प्रभु ने कहा, “सौर क्षेत्र में निवेश की गतिविधि 2021 में मजबूत हुई हैं, जिसमें पहली तिमाही में संख्या में साल-दर-साल काफी वृद्धि हुई। भले ही 2020 में एक अभूतपूर्व बढ़ोतरी के बाद पहली तिमाही में सौर शेयरों ने अपनी कुछ बढ़ोतरी खोई है। पहली तिमाही में अधिग्रहित लगभग 15 GW परियोजनाओं के साथ सौर संपत्ति की बड़ी मांग बनी हुई है।”
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वित्त वर्ष 2021 पहली तिमाही में सौर क्षेत्र के लिए ग्लोबल वीसी फंडिंग 14 सौदों में 1 बिलियन डॉलर थी। 2020 में 12 सौदों में 773 मिलियन डॉलर की तुलना में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। निवेश की कुल 1 बिलियन डॉलर की धनराशि में से 96 प्रतिशत 10 सौदों में 990 मिलियन डॉलर के साथ सौर डाउनस्ट्रीम कंपनियों में चली गई है। वित्त वर्ष 2020 में, सोलर डाउनस्ट्रीम कंपनियों ने छह सौदों में 748 डॉलर मिलियन जुटाए गए।
अदानी ग्रीन एनर्जी ने भारत में अपने निर्माणाधीन अक्षय संपत्ति पोर्टफोलियो के लिए $ 1.35 बिलियन का ऋण पैकेज उठाया है। भारती एयरटेल ने भी इस क्षेत्र में अपना निवेश बढ़ाया है। इन सारे आंकड़ों को लेकर कहा जा सकता है कि देश में सोलर एनर्जी में कॉरपोरेट सेक्टर की दिलचस्पी ले रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह इस क्षेत्र का भारत में किफायती साबित होना है। इसी के चलते अब इस क्षेत्र में भारत के उच्च वर्ग से लेकर मध्यम वर्ग के लोगों की पहुंच सोलर एनर्जी तक बन चुकी है जो कि एक सहज संकेत देता है।