वो संकटमोचक है, वो पाताल लोक से देश के लिए संसाधन जुटा सके हैं। दुनिया की कोई ताकत उसके सामने नहीं टिक सकती। वो सबके तारणहार है, मुंबई के पालनहार है। वो कोई और नहीं, भारत का सच्चा मसीहा, सोनू सूद है! क्यों, पक गए क्या? ये तो कुछ भी नहीं है, क्योंकि पिछले वर्ष अपने कारनामों से सबका दिल जीतने वाले सोनू सूद अब धीरे धीरे एक शातिर फ्रॉड सिद्ध हो रहे हैं।
इनकी हरकतें देखकर एक बार को हर्षद मेहता और विजय माल्या भी बालक लगेंगे। हालांकि इन दोनों के मुकाबले सोनू सूद ने लोगों का पैसा नहीं हड़पा है, लेकिन क्रेडिट लूटने और अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने में तो सोनू सूद ने बड़े बड़े ठगों को भी मीलों पीछे छोड़ दिया है।
हाल ही में सोनू सूद की PR टीम ने एक ऐसा कारनामा किया, जिसके पीछे चारों ओर से सोनू सूद को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल सोनू सूद की पीआर टीम ने एक पोस्टर छापा, जिसमें भारत माता की छवि सोनू सूद की छवि को प्रणाम करती हुई दिखाई दे रही थी। इस छवि के जरिए सोनू सूद के समर्थक ये दिखाना चाहते थे कि उनके बिना भारत का हाल कितना बुरा था। लेकिन अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने के चक्कर में सोनू सूद इस बार कुछ ज्यादा ही आगे निकल गए।
सोनू सूद ने पिछले वर्ष कई मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में सहायता की थी, और इसके चक्कर में उन्हे मीडिया ने ‘गरीबों का मसीहा’ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन धीरे धीरे सोनू सूद का परमार्थ परमार्थ कम, और सस्ती लोकप्रियता जुटाने का साधन ज्यादा दिखने लगा।
I think @SonuSood PR team has gone too far.
This post is posted on official FB page of @SonuSood
It depicts Bharat Mata folding hands in front of him & thanking for his efforts.Charity is one thing,Narcissism is another.
We appreciate ur work but this is not acceptable! pic.twitter.com/7vzbt4XsfM
— Prajwal Busta 🇮🇳 (Modi Ka Parivar) (@PrajwalBusta) May 11, 2021
लेकिन ये तो मात्र शुरुआत थी, क्योंकि सोनू सूद वास्तव में क्रेडिट लूटने के अलावा कुछ कर रहे हैं या नहीं ये संदेहास्पद हैं। उदाहरण के लिए अभी कुछ ही दिनों पहले क्रिकेटर सुरेश रैना की रिश्तेदार को ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, तो सुरेश रैना ने ट्विटर पर अर्जी डाली। उनकी सहायता करने में प्रशासन और सोशल मीडिया का अहम रोल भी था, जिसके लिए सुरेश रैना ने आभार भी प्रकट किया, परंतु यहाँ भी क्रेडिट लूटने सोनू सूद आगे आ गए –
गज़ब की "फ्रॉड गिरी" चल रही है pic.twitter.com/jwh4JGYE7P
— Narendra Modi Fan (Modi Ka Parivar) (@narendramodi177) May 7, 2021
यही नहीं, एक मामले में तो सोनू सूद ने एक व्यक्ति को बेड दिलवाने का दावा किया, और बाद में पता चला कि वह व्यक्ति तो मृत निकला। सोनू सूद के ट्वीट के अनुसार, “कभी कभी रात में जागना अच्छा होता है। के रवींद्रन को एक्सेल केयर अस्पताल में बिस्तर दिलवा दिया” –
Congratulations to your PR Team @SonuSood
We checked with Patient family to know that patient had died at 3am
And you got them bed at 9am.. Kya Baat Hai..
— Shishir Hegde #VishnugupthaVishwaVidyapeetha 🇮🇳 (@shishir_heg) May 9, 2021
सोनू सूद ने असल में उक्त मरीज को 9 बजे बिस्तर दिलवाया, जबकि मरीज कि मृत्यु तड़के 3 बजे ही हो चुकी थी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सोनू सूद सिर्फ नाम के लिए जनसेवा करते हैं, असल में जनसेवा से उनका उतना ही नाता है, जितना ममता बनर्जी का लोकतंत्र से और उद्धव ठाकरे का प्रशासनिक जिम्मेदारी से।
ऐसे में सोनू सूद की जालसाजी से एक बात तो स्पष्ट सिद्ध होती है – गीदड़ को कितने भी आभूषण पहना लो, वो मोर नहीं बन जाएगा। जिस प्रकार से लोगों को उल्लू बनाकर सोनू सूद सस्ती लोकप्रियता बटोर रहे हैं, वो न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि उनके दोहरे व्यक्तित्व को भी उजागर करता है।