कर्नाटक की राजनीति में हाल फिलहाल कुछ ठीक नहीं चल रहा है, क्योंकि यहां अब बीजेपी विधायकों के अलग-अलग खेमें बन गए हैं। इनमें से कई अब एक नए मुख्यमंत्री की मांग करने लगे हैं। इस बात की पुष्टि बीजेपी के नेताओं ने ही की है, कि पार्टी के कई विधायक बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व से मिलने दिल्ली गए थे और उन्होंने वहां मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को हटाकर एक नए मुख्यमंत्री की मांग की है। येदियुरप्पा इन सभी बातों और अपनी कुर्सी के ख़तरे को लेकर चल रही बातों को अफ़वाह बता रहे हैं, जबकि अंदरखाने उन्हें हटाने की तैयारी हो रही हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए ये अहम होगा कि वो मुश्किल दौर से गुजर रही कर्नाटक बीजेपी को एक साथ जोड़कर रख सके।
कर्नाटक में जब विधानसभा चुनाव के 6 महीने बाद ही कांग्रेस के कई विधायकों ने इस्तीफा दिया था तो बीजेपी ने आसानी से सरकार बना ली थी। उस समय ये चर्चाएं थीं, कि पार्टी वहां येदियुरप्पा जैसे उम्रदराज नेता को मुख्यमंत्री पद से हटाकर किसी अन्य को सीएम की कुर्सी देगी, लेकिन येदियुरप्पा ने अपने राजनीतिक कौशल से सीएम पद की कुर्सी पा ली। इसके इतर अब लगभग ढाई साल पूरे होने के बाद एक बार फिर येदुरप्पा को सीएम पद से हटाने की मांग होने लगी है। खास बात ये है कि इस बार मांग विधायकों की तरफ से उठी है।
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येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाने को लेकर उनकी ही कैबिनेट के राजस्व मंत्री आर अशोक ने कहा, “मुझे दिल्ली में कई (विधायकों) के डेरा डालने की जानकारी मिली है, मुझे आज भी कई जगहों पर होने वाली बैठकों के बारे में पता चला है। मैंने मीडिया में देखा है कि कई मंत्री भी इसका हिस्सा हैं। यह सच है कि इस तरह की चर्चा हो रही है।’’ उन्होंने कहा, “मुझे कुछ (विधायकों) के दिल्ली जाने के बारे में पता चला है। यह 100 प्रतिशत सच है कि ऐसा घटनाक्रम हो रहा है। मैं मीडिया में उनके बयान देख रहा हूं, लेकिन मेरी प्राथमिकता कोरोना से पीड़ित लोगों के साथ खड़ा होना है।’’
वहीं इस मामले में येदियुरप्पा ने भी आक्रोशित बयान दिया है, और अपनी कुर्सी सुरक्षित होने की बात कही है। उन्होंने कहा, “कुछ लोगों के दिल्ली जाने से कुछ बदलने वाला नहीं है। उन्हें उचित जवाब देकर वापस भेज दिया गया है। सभी को इस वायरस को नियंत्रित करने के लिए साथ आना चाहिए। सभी विधायकों और मंत्रियों का फोकस कोविड-19 पर होना चाहिए।” सीएम खुद को आश्वस्त तो दिखा रहे हैं, लेकिन उन्हें भी इस बात का इल्म है कि विधायकों की ये उनके खिलाफ बगावत उनकी कुर्सी हिला सकती है।
दक्षिण की राजनीति में कर्नाटक को बीजेपी के लिए गढ़ माना जाता है। पार्टी इसके जरिए दक्षिण में अपने कदम मजबूत कर रही है। इसलिए ऐसे राज्य में विधायकों और सीएम के बीच ही विवाद होना पार्टी के लिए दिक्कतें खड़ी कर सकता है। इतना ही नहीं राज्य में चुनाव का वक्त भी दो साल से कम बचा है। ऐसे में पार्टी के राजनीतिक भविष्य को देखते हुए बीजेपी आलाकमान कोई बड़ा फैसला ले सकता है। यद्यपि येदियुरप्पा ने बीजेपी के लिए कर्नाटक को एक गढ़ बनाया है लेकिन भविष्य की राजनीति को देखते हुए पार्टी किसी बड़े फैसले की ओर बढ़ सकती है।