गलवान में भारत-चीन के बीच चल रहे तनाव पर The Hindu फेक नैरेटिव बना रहा था, भारतीय सेना ने किया एक्सपोज

द हिंदू फेक न्यूज

वामपंथी अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने एक बार फिर से फेक न्यूज फैलाने के लिए सुर्खियों में है। दरअसल, अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में बीते रविवार को “गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ मामूली झड़प” शीर्षक वाले एक लेख पर भारतीय सेना की प्रतिक्रिया सामने आई है। सेना ने मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि मई 2021 के पहले सप्ताह में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ऐसा कोई “मामूली टकराव” नहीं हुआ था।

इस गैर जिम्मेदाराना हरकत के खिलाफ भारतीय सेना ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जवाब देते हुए लिखा कि,” यह स्पष्ट किया जाता है कि मई 2021 के पहले सप्ताह में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ऐसा कोई मामूली आमना-सामना नहीं हुआ है।”

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भारतीय सेना ने ट्विटर पर आगे जानकारी देते हुए लिखा कि “यह लेख उन स्रोतों से प्रेरित हुआ है जो पूर्वी लद्दाख में मुद्दों के शीघ्र समाधान के लिए चल रही प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं।”

भारतीय सेना ने मुख्यधारा मीडिया से अपील करते हुए ट्विटर पर लिखा कि,“मीडिया पेशेवरों से अनुरोध किया जाता है कि वे IndianArmy में अधिकृत स्रोतों से भारतीय सेना से जुड़ी घटनाओं पर वास्तविक संस्करण/स्थिति स्पष्ट करें, न कि तीसरे पक्ष से अप्रमाणित इनपुट पर रिपोर्ट को आधार बनाएं।”

बता दें कि अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का हवाले से दावा किया था कि, मई के पहले सप्ताह में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी के नो-पेट्रोलिंग ज़ोन में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच मामूली आमना-सामना हुआ था और कोई झड़प नहीं हुई थी। हालांकि, दोनों पक्ष जल्दी से अलग हो गए।

द हिंदू ने अपने लेख में एक सेना अधिकारी के बयान का हवाला देते हुए छपा था कि, “पिछले साल नो-पेट्रोलिंग जोन बनाए जाने के बाद से दोनों पक्षों में कभी-कभी यह देखने के लिए सैनिक परीक्षण करते है कि कहीं दूसरे पक्ष ने सीमा तो नहीं पार की है ? गश्ती दल अलग-अलग समय पर भेजे जाते हैं। उस दिन भारतीय और चीनी गश्ती दल एक ही समय क्षेत्र में गश्त करने के लिए पहुंचे, जिसके बाद एक मामूली टकराव हुआ, लेकिन वे जल्द ही अपने अपने क्षेत्र के वापस लौट आए।”

खैर, यह पहली दफा नहीं है जब द हिंदू ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फेक न्यूज फैलाया हो। इससे पहले भी अक्टूबर 2020 में द हिंदू में छपी एक लेख को भारतीय सेना ने फेक न्यूज करार दिया था। ठीक ऐसे ही द हिंदू के सीनियर पत्रकार एन राम ने राफेल डील से जुड़ी गोपीनिया जानकारी सार्वजनिक कर दिया था। जिसके बाद भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी द हिंदू द्वारा राफेल डील के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम को सच मनाने से इंकार कर दिया था और इस प्रकार केंद्र सरकार को राफेल मामले में क्लीन चिट दिया गया था।

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अगर हम सभी घटनाक्रम को देखें तो द हिंदू हमेशा से भारतीय सेना और भारतीय सुरक्षा के खिलाफ फेक न्यूज फैलाता रहा है और फेक नैरेटिव सेट करते आ रहा है। भारत सरकार और केंद्रीय सुरक्षा मंत्रालय को द हिंदू के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करना चाहिए और उसकी जवाबदेही तय करनी चहिए।

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