पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का रवैया हमेशा ही एक अलग गंगा बहाने का रहा है, लेकिन अब उनके इस रवैए को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक तगड़ा झटका लगा है। संसद द्वारा पारित रियल इस्टेट रेगुलेटरी एक्ट 2016 (RERA) से अलग ममता ने बंगाल में एक नया कानून बनाया था और अब उसी कानून को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस रवैए को ममता के लिए झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे ममता द्वारा मनमानी के मामलों में कमी आएगी, क्योंकि वो अधिकतर केन्द्रीय कानूनों के विरोध में खड़ी हो जाती है।
दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2016 में रियल इस्टेट रेगुलेशन एक्ट लागू किया था, लेकिन ममता बनर्जी ने केन्द्र की नीतियों से इतर बंगाल में एक नया एक्ट पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्रीज रेगुलेशन एक्ट 2017 (HIRA) पारित कर दिया था। ममता ने केंद्र के कानून को लागू करने से इंकार कर दिया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संविधान की परिभाषा सुनाते हुए लताड़ लगा दी है और कहा है कि उनका कानून पूर्णतः निष्क्रिय है।
और पढ़ें- BJP नेताओं पर पुलिसिया कार्रवाई करने की थी ममता की तैयारी, सुप्रीम कोर्ट ने फेरा मंसूबों पर पानी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने बंगाल के कानून को लेकर कहा, “राज्य सरकार का कानून असंवैधानिक है। अगर किसी विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है तो राज्य विधानमंडल समान नेचर का कानून नहीं बना सकती है। इस कानून के निर्माण में एक सामानांतर तंत्र बनाया गया है और ये असंगत है।” इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य की लड़ाई में केन्द्र की तरफ फैसले का झुकाव ममता दीदी के लिए भारी पड़ सकता है।
ममता द्वारा लागू किए गए कानून के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “राज्य सरकार के कानून ने केंद्रीय कानून को ओवरलैप यानी अतिक्रमण किया है और इस तरह इस कानून को लागू कर राज्य विधायिका ने पैरलल सिस्टम बनाया और इस तरह से संसद की जो पावर है उसमें दखल दिया है और ये संसद की शक्ति में अतिक्रमण है। देखा जाए तो राज्य का कानून होम बायर्स के हितों को प्रोटेक्ट करने में सफल नहीं रहा और केंद्र के रेरा कानून के खिलाफ ये कानून है।”
और पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट से ममता बनर्जी को बड़ा झटका, अवमानना का नोटिस भी जारी
अपने पहले दिए गए फैसलों को निष्क्रिय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने अनुच्छेद-142 के विशेषाधिकार का प्रयोग किया है। दिलचस्प बात है कि इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल सरकार को एक एनजीओ ने चुनौती दी थी और इस मामले में केंद्र के कानून को प्राथमिकता दी गई है, जो ममता के लिए संदेश है कि बंगाल में उनकी असंवैधानिक मनमानी कतई नहीं चलेगी।