जब एक जलता हुआ दीया बुझने वाला होता है तो उसकी लौ कुछ अधिक ही तेज़ हो जाती है। यही हाल अभी ट्विटर का दिखाई दे रहा है। सरकार द्वारा लताड़ लगाये जाने के बाद भी ट्विटर इंडिया अपने लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। ट्विटर के आरोपों के बाद जिस तरह से भारत सरकार ने ट्विटर को उसी की भाषा में जवाब दिया था उसके बाद ट्विटर इंडिया डर से कांप रहा था। यही नहीं दिल्ली पुलिस ने ट्विटर इंडिया के दिल्ली और गुरुग्राम के दफ्तर का दौरा भी किया। इस दौरान ट्विटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी से पुलिस ने पूछताछ भी की थी, लेकिन इसी बीच अब ट्विटर इंडिया के MD मनीष महेश्वरी ने ट्विटर पर एक फोटो पोस्ट किया, जिसमें ऐसा लग रहा है कि वह अप्रत्यक्ष रूप से इस विवाद को और आगे ले जाना चाहते हैं। उस फोटो में अंग्रेजी में एक स्लोगन लिखा है जिसका हिंदी अनुवाद है कि ‘यह बहुत मुश्किल होने वाला है, लेकिन बहुत मुश्किल का मतलब असंभव नहीं होता’ है। यानी मनीष अप्रत्यक्ष रूप से यह सन्देश देना चाहते हैं वह भारत सरकार ने खिलाफ लड़ाई को मुश्किल मानते हैं, लेकिन वह इसे आगे भी जारी रखना चाहते हैं।
That’s the tweet. pic.twitter.com/dBuFYB2nvT
— Manish Maheshwari (@manishm) May 28, 2021
महेश्वरी के इस ट्वीट को सोशल मीडिया यूजर्स सरकार के साथ चल रहे विवाद से जोड़कर देख रहे हैं हालांकि, माहेश्वरी ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने पहले वाले ट्वीट को लेकर कहा कि मेरा मतलब बिना इंटरनेट विकेंड का वक्त कैसे काटा जाए। मेरे घर का ब्रॉडबैंड बंद है। नेटफ्लिक्स इंडिया, आपके पास कोई विकल्प है?
अब मनीष जो भी सफाई दें, परन्तु ट्विटर भारत सरकार द्वारा बनाये गए नियमों को अब भी मानाने से इंकार कर रहा है। इसका अर्थ यही हुआ कि ट्विटर ने अपनी मनमानी नहीं छोड़ी है और वह आगे भी अपनी मनमानी करवाने के लिए भारत सरकार पर दबाव बनाना चाहता है, परन्तु ऐसा होने वाला नहीं है और आखिरी जीत केंद्र सरकार की ही होगी।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि, “ट्विटर का हालिया बयान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर अपनी शर्तें थोपने का प्रयास है। कंपनी उन रेग्युलेशंस का पालन करने से इनकार कर रही है, जिनके आधार पर उन्हें आपराधिक जिम्मेदारी से सुरक्षा मिलती है।अपने कदम के जरिए ट्विटर जानबूझकर आदेश का पालन नहीं करके भारत की कानून व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है।“
केंद्र सरकार ने ट्विटर को लताड़ लगाते हुए कहा था कि “भारत में फ्री स्पीच की रक्षा करना” यह भारत सरकार की जिम्मेदारी है, न कि ट्विटर जैसी निजी, लाभकारी, विदेशी संस्था की।”
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कल एक बार फिर से स्पष्ट कह दिया कि भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता यानी Digital Sovereignty के साथ कोई भी समझौता स्वीकार नहीं करेगा।
उन्होंने News 18 से कहा कि, “बड़ी सोशल मीडिया कंपनियां भारत से बड़ा मुनाफा कमाती हैं। इनकी देश में वृहद मौजूदगी है। सामान्य नागरिक, पत्रकार, उद्योगपतियों तक को ट्रोल किया जाता है। हम निजता का सम्मान करते हैं, लेकिन कंपनियों को आतंकी गतिविधियों, असामाजिक तत्वों, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से संबंधित मामलों में जानकारी मुहैया करानी पड़ेगी।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हम आलोचना का सम्मान करते हैं। कोई भी आलोचना कर सकता है। ये हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन कानून सर्वोपरि है। भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता के साथ किसी भी रूप में समझौता नहीं कर सकते। भारत एक लोकतंत्र है जो संविधान के हिसाब से चलता है। ट्विटर को हमें लोकतंत्र की मेरिट के आधार पर लेक्चर देना बंद करना चाहिए।”
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अगर ट्विटर के भारत और अमेरिका स्थित मुख्यालय में काम करने वाले और ख़ास वैचारिक झुकाव तथा राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव रखने वाले अधिकारी अगर ये सोचते हैं कि वो ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के पीछे अपने कुकर्मों को छुपा सकते हैं तो उन्हें ग़लतफ़हमी है। वो अगर ख़ुद को इतना ताक़तवर समझते हैं कि वे भारत के संप्रभु क़ानूनों का पालन नहीं करेंगे, यह उनकी ऐसी गलती होगी जो उनके लिए घातक साबित हो सकती है। अगर वो यह सोचते हैं कि ट्विटर नाम की एक प्राइवेट लाभकारी कंपनी नहीं बल्कि ट्विटर गणराज्य हैं तो यह उनका अहंकार है। ट्विटर को ये अहंकार हो गया है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और निजता को लेकर जो वह तय करेगा वही भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों को मानना होगा तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल साबित होगी और भारत की मोदी सरकार को पता है कि कैसे इन कंपनियों को सही रास्ते पर लाया जाये।























